सामान्य दिखने वाले ये लक्षण हैं कैंसर की निशानी, जानें कुछ विशेष बातें

सामान्य दिखने वाले ये लक्षण हैं कैंसर की निशानी, जानें कुछ विशेष बातें

एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन औसतन 1300 से अधिक लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, 2020 तक कैंसर के मामलों में 25 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। हर साल कैंसर के 10 लाख नए मामलों का निदान किया जा रहा है और वहीं 2035 तक कैंसर के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बारह लाख तक बढ़ने की उम्मीद है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर रोग से प्रभावितों की दर कम होने के बावजूद यहां 15 प्रतिशत लोग कैंसर के शिकार होकर हो रहे हैं। डब्लूएचओ की सूची के मुताबिक, 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं। वर्तमान में कुल 24 लाख लोग इस बीमारी के शिकार है।

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क्या है कैंसर?

कैंसर होने से एब्नार्मल सेल्स शरीर में अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते है जिससे ट्युमर बन जाता है। ट्यूमर दो प्रकार के होते है- बिनाइन ट्यूमर और मेलिगनेंट ट्यूमर। बिनाइन ट्यूमर शरीर के अन्य भाग में नहीं फैलता और यदि एक बार हटा दिया जाए तो इसके वापस आने की संभावना नहीं होती है। परन्तु बिनाइन ब्रेन ट्यूमर जानलेवा होता है।

वहीं दूसरी ओर मेलिगनेंट ट्यूमर शरीर के अन्य टिश्यू में भी फैलता है और यदि सही समय पर इलाज न हुआ तो बाकी अंगों को भी ग्रसित करने लगता है। यह अत्यंत खतरनाक ट्यूमर है क्योंकि इसको हटाने के बाद भी यह वापस उत्पन्न हो सकता है।

इसके चार स्टेज होते हैं। पहले और दूसरे स्टेज में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है और आस-पास के टिश्यूज के गहराई में नहीं फैलता। लेकिन तीसरे स्तर पर कैंसर विकसित हो जाता है। ट्यूमर बड़ा हो जाता है और दूसरे अंगों में बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। चौथे स्टेज में अन्य अंगों में फैल जाता है। यह शरीर में तीन तरह से फैलता है।

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कैंसर के प्रकार

कैंसर कई प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार है:

रक्त कैंसर (Blood Cancer)

आम आदमी में बहुत सामान्य दिखने वाले ये लक्षण हैं कैंसर होने की निशानी

ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता है। इसमें खून में सफेद रक्त कणिकाओं का बनना बंद हो जाता है। ल्यूकेमिया भी दो तरह का होता है। इसमें थकान और कमजोरी, सांस फूलना, शरीर पर नीले धब्बें का होना, मसूड़ों में सूजन, पेट फूलना, लगातार बुखार होना, पसीना होना आदि इसके लक्षण हैं। तेजी से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी के अलावा विकिरण चिकित्सा और मूल-कोशिका प्रत्यारोपण का इस्तेमाल किया जाता है।

त्वचा कैंसर (Skin Cancer)

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त्वचा कैंसर तीन प्रकार के होते हैं। बीसीसी, एससीसी और मेलेनोमा। इनमें मेलानोमा त्वचा कैंसर का सबसे खतरनाक प्रकार है। मानव त्वचा में कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स कहा जाता है जो त्वचा के रंग के वर्णक मेलेनिन का उत्पादन करते हैं। जब ये मेलानोसाइट्स कैंसर बदल जाते हैं, तो इस स्थिति को मेलेनोमा या घातक मेलेनोमा कहा जाता है।

स्किन कैंसर मुख्य रूप से सूरज के संपर्क में आनी वाली त्वचा पर ही होता है, जैसे खोपड़ी, चेहरा, होंठ, कान, गर्दन, छाती, भुजाएं और हाथ इत्यादि। इसके अलावा महिलाओं में टांगों पर भी यह विकसित हो सकता है। इसके उपचार का सबसे प्रभावी रूप सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, ठंड और स्क्रैपिंग हैं।

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ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)

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यह सबसे खतरनाक कैंसर है। आज सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर से महिलाएं पीड़ित हैं। यह कैंसर पुरुषों को भी होता है। यह स्‍तनों की कोशिकाओं में पनपता है। यह कैंसर होने का मुख कारण है- बच्चे नहीं पैदा करना, अधिक उम्र में पहला बच्चा होना, स्‍तनपान नहीं कराना, वजन में अत्यधिक वृद्धि और अक्सर शराब का सेवन करना तथा खराब व अनियंत्रित जीवनशैली स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं।

इसके अलावा अनुवांशि‍क रूप से भी स्तन कैंसर की बीमारी होना संभव है। इसका कई लक्षण हैं जैसे स्तन के आकार में बदलाव महसूस होना , स्तन या बांह के नीचे की ओर टटोलने पर गांठ महसूस होना, स्तन को दबाने पर दर्द होना, कोई तरल या चिपचिपा पदार्थ स्त्रावित होता, निप्पल के अग्रभाग का मुड़ना एवं रंग लाल होना, स्तनों में सूजन आ जाना, स्तन कैंसर के प्रमुख है। इसका इलाज कैंसर की अवस्था पर निर्भर करता है। इसमें कीमोथेरेपी , रेडिएशन थेरेपी, हॉर्मोन से उपचार और ऑपरेशन है।

मुँह का कैंसर (Mouth Cancer)

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कैंसर जिसमें होंठ, जीभ, गाल, मुंह की एक परत, कठोर और नरम तालू, साइनस, और ग्रसनी (गले) के कैंसर शामिल हैं, यदि इनका सही समय पर निदान और उपचार नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकते हैं।

इसके लक्षण हैं-गले में खराश या शुष्क मुंह, दांतों का सड़ना, मतली और उल्टी, पीड़ादायक मसूड़े या खून निकलना, त्वचा और मुंह में संक्रमण, जबड़े में दर्द या ऐंठन, स्वाद और गंध की पहचान करने में अक्षमता, वज़न घटना, बाल झड़ना, रक्तस्त्राव, गंभीर एनेमिया, कमज़ोरी, भूख न लगना, दस्त, हाथ और पैरों का सुन्न होना, बुखार, सरदर्द आदि हैं। इस कैंसर का इलाज सर्जरी,विकिरण थेरेपी, कीमोथेरेपी, लक्षित दवा उपचार आदि।

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फेंपड़े का कैंसर (Lungs cancer)

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गले का कैंसर, कैंसर का एक समूह है जिससे टॉन्सिल से लैरिंक्स तक कहीं भी ट्यूमर हो सकता है। यह आमतौर पर उन कोशिकाओं में शुरू होता है जो आपके गले में होती हैं। आवाज़ में परिवर्तन होना हो जाता है। साथ ही बोलने में दिक्कत होती है।

इसके मुख्य रूप से ये लक्षण है जो इस प्रकार है- खांसी में खून आना, निगलने में कठिनाई, ऐसा लगना कि गले में कुछ अटका है, गले में गांठ या छाला होना और उसका ठीक न होना, कान या गर्दन में दर्द होना, सांस लेने में समस्याएं होना, अधिक शराब पीना, धूम्रपान करना या तंबाकू चबाना आदि। गले के कैंसर का इलाज कई तरह से किया जा सकता है, जैसे-ट्यूमर को हटाने वाली सर्जरी या उन्हें नष्ट करने वाली दवा जल्द से जल्द लेना।

पेट का कैंसर (Colon Cancer)

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यह जानलेवा बीमारी है। जब पेट की कोशिकाएं ट्यूमर में बदलने लगें तो पेट में कैंसर होता है। पेट के कैंसर के लक्षण हैं- पेट में परेशानी और दर्द, जी मिचलाना और उल्टी लगना, वजन घटना, निगलने में कठिनाई, उल्टी में खून आना, मल में खून निकलना, और कम भोजन करने पर भी पेट का फूला हुआ महसूस होना आदि। इसका निदान शारीरिक परिक्षण, पिछली दवाईयों का विवरण, एंडोस्कोपी, ऊतकों की बायोप्सी के साथ साथ व्यायाम है।

हड्डियों का कैंसर (Bone cancer)

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बोन कैंसर शरीर की किसी भी हड्डी में हो सकता है लेकिन यह ज्यादातर लंबी हड्डियों (जैसे हाथ व पैर) में होता है। इसके होने के प्रमुख लक्षण: हड्डियों में दर्द, जोड़ के आसपास सूजन व दर्द, रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत, कमजोर हड्डी के कारण हल्की गतिविधि से भी हड्डी का चटकना, थकान व बिना कारण वजन का घटना है।

इसके इलाज में सर्जरी कर ट्यूमर निकालते हैं। लिंब सेल्वेज सर्जरी के जरिए कैंसरग्रस्त ट्यूमर वाली हड्डी को हटाकर आर्टिफिशियल या धातु की हड्डी लगाते हैं।कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी या दोनों की मदद से भी बोन कैंसर का इलाज किया जाता है।

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मस्तिष्क कैंसर (Brain cancer)

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यह जानलेवा होता है। दिमाग में असामान्य कोशिकाओं का कैंसर के रूप में या बिना कैंसर के जमा हो जाना या विकसित हो जाने से मस्तिष्क कैंसर होता है। ब्रेन कैंसर ट्यूमर मस्तिष्क पर अधिक दबाव डालता है, जिससे या तो वह ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं या शरीर के अन्य भागों में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

इसके लक्षण हैं- सिर दर्द, दृष्टि धुंधली होना, संतुलन खोना, भ्रम, और दौरे शामिल हैं। बोलने, देखने और समझने में दिक्कत होने लगना। दौरे पड़ना, संवेदी (स्पर्श) और ब्रेन की कार्यगति (मूवमेंट कंट्रोल) में कमी, बहरापन, उनींदापन या उंघना, थकान, दोहरा दिखाई देना, डिप्रेशन आदि है। इसके इलाज के लिए रेडियोथेरेपी, सर्जरी, कीमोथेरेपी और विकिरण उपचार है।

मेटास्टोटक हाई ग्रेड कैंसर (Metastatic high grade cancer)

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मेटास्टेसिस में शरीर के एक हिस्से से, रक्त या लिम्फैटिक प्रणाली के माध्यम से कैंसर का फैलाव होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में मेटास्टैटिक ट्यूमर के रूप में एक नए ट्यूमर का निर्माण हो जाता है। इसका गंभीर होने का मुख्य कारण यह है कि यह शरीर में फैलने की क्षमता सबसे अधिक रखता है । मेटास्टेसिस को ‘मेटास्टैटिक कैंसर’ या ‘चरण 4 कैंसर’ भी कहते है। यह कैंसर महिलाओं को ज्यादातर होता है। इसके लक्षण हैं-सिरदर्द, दौरा, या चक्कर आना, देखने में दिक्कत, सांस की तकलीफ (जब कैंसर फेफड़ों में फैल जाता है), पेट में जांडिस या सूजन (जब कैंसर यकृत में फैल जाता है), चलने में कठिनाई या भ्रम का होना आदि। इसका इलाज निर्भर करता है कैंसर कितना फैला है, मरीज की उम्र और उसकी मेडिकल हिस्ट्री क्या है।

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पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer)

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इस कैंसर को शांत मृत्यु (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है, क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों के आधार पर पहचाना मुश्किल होता है और बाद के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। सामान्यत: इस कैंसर के लक्षणों में एबडोमेन के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, भूख कम लगती है, तेजी से वजन कम होने की दिक्कतें, पीलिया, नाक में खून आना, उल्टी होना आदि है। इसका इलाज, इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर की अवस्था कौन सी है। रोगी की सजर्री की जाती है या फिर उसे रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी दी जाती है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार अब तक इस कैंसर का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है।

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer)

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यह कैंसर पुरुषों को होती है। जैसे-जैसे पुरूष की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे यह ग्रांथि भी बढ़ती है, जो मूत्रशाय पर दबाव डालती है। इसके परिणामस्वरूप पुरूषों में प्रोस्टेट के बढ़ने की समस्या होती है और अगर सही समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो यह समस्या कैंसर का रूप ले लेती है। बार-बार पेशाब जाना और रिसाव, पेशाब की कमज़ोर धार, पेशाब की धार बनाकर रखने में कठिनाई, पेशाब टपकना, पेशाब रुक जाना, बार–बार पेशाब आना और रात में अत्यधिक पेशाब आदि है। इसका इलाज विकिरण, शल्य चिकित्सा, हार्मोन थैरेपी, कीमोथैरेपी है।

गर्भाशय कैंसर (Uterus cancer)

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गर्भाशय की अंदरूनी परत को एंडोमेट्रियम कहते हैं। इसी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनती हैं। एंडोमेट्रियल कैंसर खतरनाक है क्योंकि इसके कारण महिलाओं में मां बनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। इसके अलावा ये कई अन्य परेशानियों का भी कारण बन सकता है। एंडोमेट्रियल कैंसर को ही गर्भाशय का कैंसर या बच्चेदानी का कैंसर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि 100 में 1 महिला को ये कैंसर होता ही होता है।इसके पहचाने का तरीका है- असामान्य बेजाइनल डिस्चार्ज, जननांग से ऊपर के हिस्से में दर्द, वजन कम होना, बार-बार पेशाब जाना,भूख न लगना है। इसके इलाज के लिए बायोप्सी कराना, रेडिएशन थेरेपी, हिस्ट्रेक्टमी सर्जरी है।

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सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)

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सर्विक्स में सेल्स की अनियमित वृद्धि से सर्वाइकल कैंसर होता है। गर्भाश्य के मुख्य द्वार को सर्विक्स कहा जाता है। यह कैंसर महिलाओं को होता है। खासकर उन महिलाओं को जो कई पुरुषों से शारीरिक संबंध बनाती है। साथ ही प्राइवेट भाग की साफ सफाई न करने या फिर बार-बार गर्भधारण करने से होती है। यह आनुवांशिक बीमारी भी हो सकती है। इसके कई लक्षण हैं- शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग या फिर तेज दर्द, मासिक धर्म बंद होने के बाद भी रक्तस्राव होना, भूख या वजन का घटना, पेशाब करते समय तेज दर्द होना। सर्वाइकल कैंसर का इलाज सर्जरी है। ऑपरेशन के जरिए गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, जिसे हिस्टेरेक्टॅमी कहा जाता है, जिन महिलाओं का कैंसर शुरुआती अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है, उनके लिए इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से भी सर्विक्स कैंसर का इलाज किया जाता है।

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भारत में कैंसर के शिकार लोग

फिलहाल भारत में यह प्रतिलाख 70.23 व्यक्ति है। डेन्मार्क जैसे यूरोपीय देशों में यह संख्या दुनिया में सर्वाधिक है यहां कैंसर प्रभावितों की दर प्रतिलाख 338.1 व्यक्ति है। भारत में हर साल कैंसर के 11 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। वर्तमान में कुल 24 लाख लोग इस बीमारी के शिकार है। वहीं पूर्व के आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 1990 के मुकाबले वर्तमान में प्रोस्टेड कैंसर के मामले में 22 प्रतिशत और महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले में 2 प्रतिशत और ब्रेस्ट कैंसर के मामले में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

तम्बाकू और नसेली पदार्थों के सेवन से 42 प्रतिशत पुरुष और 18 प्रतिशत महिलाएं गले के कैंसर से अपनी जान गंवा चुके हैं। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के एक प्रतिवेदन के अनुसार देश मे हर साल इस बीमारी से 70 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है, इनमें से 80 प्रतिशत लोगों के मौत का कारण बीमारी के प्रति उदासीन रवैया है। उन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास तब ले जाते हैं जब स्थिति लगभग नियंत्रण से बेकाबू हो जाती है।

कैंसर जानलेवा है लेकिन लाइलाज नहीं। अपने जीवन शैली में थोड़ी-सी सतर्कता से खुद को और अपने परिवार को स्वस्थ रखा जा सकता है। शुद्ध हवा, व्यायाम, हरी सब्जियों का सेवन, किसी भी नसेली पदार्थ का सेवन न करना, साफ-सफाई का ध्यान रखना, हर महीने रूटीन बॉडी चेकअप करवाना आदि है। किसी भी तरह का शरीर में बदलाव होने पर डॉक्टर से सलाह लेना न भूले।


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