बवासीर यानी पाइल्स के बारे में कितना जानते हैं? जानें लक्षण और इलाज

बवासीर यानी पाइल्स के बारे में कितना जानते हैं? जानें लक्षण और इलाज

आज के समय में काफी लोग बवासीर से पीड़ित है। बवासीर यानी पाइल्स। यह एक ऐसी समस्या है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को असहनीय दर्द और जलन से गुजरना पड़ता है। यह ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति का बैठना तक मुश्किल हो जाता है। यह गंभीर बीमारी है। यह बीमारी मलाशय और गुदा में मौजूद रक्त वाहिकाओं में सूजन के कारण होता है। इस दौरान मल त्याग करने में बहुत कठिनाई होती है। कभी-कभी तो मल के साथ खून भी आता है।

पाइल्स दो प्रकार के होते हैं-

  1. खूनी बवासीरः खूनी बवासीर में शौच के समय खून आता है। शुरुआत में थोड़ा-थोड़ा खून आता है पर बाद में ज्यादा आने लगाता है।
  2. बादी बवासीर: बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस की समस्या रोजाना रहती है। इसमें गुदा के आस-पास वाले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि समस्या हो जाती हैं। दोनों बवासीर में काफी दर्द और जलन होती है।

पाइल्स होने के कारण

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पाइल्स की समस्या कई कारणों से होती हैं। जिनमें मुख्य रूप से कब्ज, भोजन में फाइबर की कमी, शौच को लंबे समय तक रोकना, मोटापा, पाचन क्रिया ठीक ढंग से काम न करना, तनाव आदि है। दरअसल, पाइल्स के कारण गुदा की ब्लड वेसल्स बड़ी हो जाती है, जिसके कारण जलन के साथ दर्द की समस्या बढ़ जाती है।

  • कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है।
  • कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।
  • अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
  • शौच ठीक से न होना।
  • फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
  • आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • अवसाद।

पाइल्स होने के अन्य कारण

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  • देर तक खड़े होकर काम करने पर बवासीर की समस्या होती है
  • प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को पाइल्स की समस्या हो जाती है। यही नहीं डिलीवरी के बाद भी यह समस्या हो सकती है।
  • परिवार के किसी सदस्य को बवासीर है, तो इससे भी होने का खतरा होता है।

पाइल्स के लक्षण क्या हैं?

  • मल त्याग के समय दर्द होना और रक्त या फिर म्यूकस आना।
  • एनस यानी मलद्वार के आस-पास सूजन, गांठ या फिर खुजली का होना।
  • मल त्याग के बाद भी पेट साफ नहीं होना।
  • मस्सों से सिर्फ खून आना।

क्या सावधानी बरती जाए?

घर के टॉइलट हो या फिर ऑफिस, मॉल, ट्रेन या फिर कहीं और पब्लिक टॉइलट यूज करते वक्त ध्यान दें कि टॉयलेट साफ है या नहीं क्योंकि इन सभी जगहों पर जर्म्स, गंदगी और कीटाणु का डर रहता है।

पाइल्स से बचने के लिए क्या करें?

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  1. अपने आहार में फाइबर से भरपूर भोजन जैसे बीन्स, फल और सब्जियों को शामिल करें।
  2. दिनभर में कम-से-कम 8-10 गिलास पानी पीएं।
  3. नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें।
  4. अधिक देर तक एक ही जगह पर बैठे ना रहें।
  5. पेट हमेशा साफ रखें।
  6. यदि मल त्याग के दौरान दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  7. मल पास करते समय गुदा की मांसपेशियों पर दबाव न डालें। इससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है।
  8. कब्ज की शिकायत हो तो अपने डाइट में दही का सेवन जरूर करें।

क्या न खाएं?

  • तली-भुनी चीजें न खाएं। जैसे- जंक-फूड वगैरह।
  • व्हाइट ब्रेड का सेवन न करें
  • चाय और कॉफी बिल्कुल भी न पीएं

पाइल्स की समस्या से निजात कैसे पाएं?

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नारियल और छाछ

इस बीमारी का सबसे आसान इलाज है नारियल और छाछ (मट्ठे)। आपको बस नारियल के ऊपर जटा को आग में जलाकर उसकी भस्म यानी की राख को इकठ्ठा कर लेना है और इस भस्म की 3-3 ग्राम की 6 पुड़िया बना लेना है। फिर इस भस्म को 100 ग्राम छाछ ( मठ्ठा) में मिला कर दिन में 3 बार यानी सुबह, दोपहर और शाम में सेवन करना है। ऐसा करने से 1 दिन में ही फायदा दिखने लगता है।

एलोवेरा और हल्दी

इस बीमारी के निजात के लिए एलोवेरा और हल्दी बेहद ही फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आपको 2 चम्मच एलोवेरा जेल में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर इसको अच्छे मे मिक्स कर लेना है। अब इस पेस्ट को रोजाना नियमित रूप से रात में सोने से प्रभावित जगह पर लगा लेना है। इसके इस्तेमाल से बवासीर की वजह से होने वाली ब्लीडिंग और दर्द में राहत मिलेगी। साथ ही धीरे-धीरे मस्से भी ठीक हो जाएगी।

हल्दी और नारियल का तेल

नारियल के तेल के कितने फायदें हैं ये बताने की जरूरत नहीं है। नारियल के तेल का कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही हल्दी में एंटी-सेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जिसकी वजह से इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। आपको बस 1 चम्मच नारियल तेल में थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिला लेना है और फिर इसे प्रभावित हिस्से पर हल्के हाथों से या फिर कॉटन की मदद से लगा लेना है। इससे दर्द और जलन से काफी राहत मिलेगी।

काला नमक और हल्दी

काला नमक और हल्दी पाइल्स की समस्याओं से राहत दिलाने में काफी कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए एक चम्मच काले नमक में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर हल्के गुनगुने पानी के साथ सेवन करना है।

घी और हल्दी

पाइल्स की वजह से जलन और दर्द बहुत होता है। इस दर्द को कम करने के लिए चुटकीभर हल्दी में एक चम्मच घी मिलाएं और इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।

पाइल्स के लिए आसान योग कौन-कौन से हैं?

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ताड़ासन

इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को हवा में ऊपर उठा लें और हथेलियों को आपस में जोड़ लें। फिर एड़ियों को ऊपर उठाएं और पंजे के बल खड़े हो जाए। अब शरीर को ऊपर खिंचने का प्रयास करें और जितना हो सके ऊपर खींचें। कुछ सेकेंड बाद एड़ियां नीचे कर लें। यह प्रक्रिया दो से तीन बार करें।

तिर्यक ताड़ासन

यह आसन ताड़ासन की तरह ही हवा में ऊपर उठाएं और शरीर को एक बार बाएं खींचे। फिर दोबारा ताड़ासन की पोजीशन में आकर फिर से शरीर को दाएं ओर खींचें। इस आसन को दो बार दोहराएं।

कटिचक्रकासन

इस आसन को करने के लिए आप दोनों पैर बराबर रख लें और दोनों हाथों को जमीन के समानांतर रखें। और फिर कमर को पहले बाएं और फिर दाएं घुमाएं। यह प्रक्रिया पांच-पांच बार करें। इस आसन को सुबह-शाम दोनों वक्त करें।

बवासीर और भगंदर में अंतर

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  1. बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है। इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
  2. भगंदर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर (External Opening) की त्वचा में होती है।
  3. भगंदर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगंदर हो जाता है।
  4. इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है, और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है।

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