खुश रहना चाहते हैं, तो लोगों से ये 10 सवाल पूछना छोड़ दीजिए

खुश रहना चाहते हैं, तो लोगों से ये 10 सवाल पूछना छोड़ दीजिए

वैसे तो सवाल करना आधा इल्म माना जाता है पर शर्त ये है कि यह किसी बात को समझने के नियत से पूछा जाए। लेकिन अगर सवाल पूछने का उद्देश्य कुछ और हो तो इसका मतलब है कि आप अपने जानने वाले को चोट पहुंचाना चाहते हैं और वह भी उसे बिना एहसास कराए।

यह भी हो सकता है कि आप जिस सवाल को आप सीधा-साधा समझ रहे हों, लेकिन उसे सुनकर कोई भन्ना जाए और बिना मतलब माहौल खराब हो जाए। अब सवाल उठता है कि वह कौन से सवाल हैं जो लोगों के लिए तकलीफदेह होते हैं। आइए जानते हैं:

उम्र कितनी है आपकी?

यह सवाल लड़कों के लिए उतना ही कड़वा है जितना कि लड़कियों के लिए। उम्र जितनी भी हो किसी की, आप क्या करेंगे जानकर? क्या आपको उसके यहां रिश्तेदारी करनी है? या फिर उसकी उम्र अधिक होगी तो आप घटा देंगे या बढ़ने से रोक देंगे! और आपने कौन-सा तीर मार लिया इतनी उम्र में? अपनी उम्र पर ध्यान दीजिए, अपनी सेहत का ख्याल रखिए।

सैलरी कितनी है?

यह सबसे कठिन सवालों में से एक है। मेरा मतलब है, अगर वेतन कम है, तो क्या आप मेरी आर्थिक मदद करेंगे, या यदि वेतन अधिक है, तो क्या आप उसमें हिस्सा चाहते हैं? यह प्रश्न किसी भी तरह से उचित नहीं है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कितनी तनख्वाह पाता है। बस वह हलाल होनी चाहिए।

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तुम शादी कब करोगे?

अरे, भाई जब शादी होनी होगी तो कर लेंगे, न आपसे पूछकर करेंगे और न आपकी मर्जी से करेंगे। अगर यह सवाल माँ-बाप करें तो बात समझ में आती है, या वे लोग जो आपके जीवन में आपके काफी करीब हैं। यह सवाल केवल उन लोगों पर लागू होता है जो वास्तव में आपसे प्यार करते हैं। अगर आप किसी के मुसीबत में शामिल नहीं होते तो फिर उनके खुशी में शामिल होने की उतावलापन दिखाने की क्या जरूरत है।

खुशखबरी कब सुनाओगे?

आंटियां अक्सर नव-विवाह जोड़ों से सवाल पूछती हैं, वह भी शादी के अगले महीने से ही। वह सवाल दागना शुरू कर देती हैं कि भई! अच्छी खबर कब सुनाएंगे। या बड़े पापा, चाचा, फूफा-फूफी, दादी-दादी वगैरह कब बनाओगे? अरे! भाई आपको इतनी जल्दी क्यों हैं, बस कल शादी की और आज ही बच्चे पैदा कर दें। शुक्र है कि शादी के दिन आपने यह नहीं पूछा कि खुशखबरी कहां है। मान भी लो कि किसी को बच्चे नहीं हो रहे हैं तो क्या आपके पास कोई जादू का मंत्र है जिससे पढ़ते ही बच्चे पैदा हो जाएंगे और आपको दादा-दादी… कहने लगेंगे?

नौकरी लगी या नहीं?

यह सवाल बेरोजगारों को बहुत चुभता है। अरे, भईए मान भी लो की फलां की नौकरी लग गई तो क्या आप जानकर लड्डू बांटने वाले हैं? अगर नहीं तो फिर इस सवाल का मतलब क्या है। अगर नहीं लगी है या नहीं लग रही तो क्या आप उसको बेरोजगारी भत्ता देने वाले हैं? नहीं न! तो चुप रहिए। वैसे भी मौत और रिज्क जब आनी होगी आ जाएगी। और आएगी तो आपको बताया जाएगा या फिर आपको खुद ही अंदाजा हो जाएगा कि लड़का बा-सलाहियत हो गया है।

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कितना कमा लेते हो?

आपको यह प्रश्न किसी व्यावसायिक व्यक्ति से कभी नहीं पूछना चाहिए। यदि आप जानना चाहते हैं, तो आप उनकी जीवन शैली से अनुमान लगा सकते हैं। वैसे भी आपको ये जानकर करना क्या है। मेरा मतलब है, यह सवाल क्यों? आपने दिन-रात कड़ी मेहनत की है और अब जब आप आर्थिक रूप से स्थिर हैं, तो आप सवाल पूछने वाले कौन हैं? मान लीजिए कि वह व्यक्ति कम कमाता होगा तो क्या आप उसकी कमाई में रकम जोड़कर पूरा कर देंगे। क्या आपको याद है कि आपने राह चलते हुए किसी गरीब से कब पूछा था कि सोने से पहले उसने खाया था या नहीं। दावे के साथ कह सकता हूं कि आपको याद नहीं होगा!

इतना वजन क्यों बढ़ाया है?

अरे भाई, बेचारा/बेचारी एक तो पहले ही परेशान है (और यकीन जानिए कि उसे खुद पता होगा कि वजन कैसे बढ़ रहा है और नहीं मालूम होगा तो वह वजह मालूम कर रहा होगा, इलाज ढूंढ रहा होगा..)। ऊपर से आप जख्मों पर नमक क्यों रगड़ रहे हो। वैसे भी महफिल में आप उससे ये सवाल करके क्या साबित करना चाहते हैं। क्या आपको याद है आखिरी बार कमजोर और बेसहारा व्यक्ति की मदद आपने कब की थी?

नंबर क्यों कम हुए?

यह एक बहुत ही दर्दनाक सवाल है, खासकर बोर्ड परीक्षा के बच्चों के लिए। और यह अक्सर उन माता-पिता द्वारा पूछा जाता है जिनके बच्चे इम्तेहान में अच्छे ग्रेड नहीं ला पाते हैं। वैसे, जिसका रिजल्ट अच्छा होगा वह खुद या अपने माता-पिता को किसी-न-किसी बहाने से बताएगा। अगर कोई बच्चा अपना रिजल्ट नहीं बता रहा है, तो इसका मतलब है कि उसके नंबर में कुछ गड़बड़ है, तो उसे जाने दीजिए। वैसे न आपने उसे बैठकर पढ़ाया था न उसकी फीस जमा की थी, फिर इतनी चिंता क्यों। आप किसी के घाव पर नमक छिड़कना क्यों चाहते हैं?

भविष्य के बारे में क्या सोचा है?

अरे साहब, क्या आपने कभी अपने भविष्य के बारे में सोचा है। और अगर आपने सोचा है तो वह सब कुछ आपके विचारों के मुताबिक हो रहा है? भविष्य का निर्धारण करने के लिए एक सही माहौल का होना बेहद जरूरी है। जिस व्यक्ति के पास वह माहौल है वह धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ता है। वैसे, अगर आप भविष्य के बारे में चिंतित हैं, तो सवाल पूछने के बजाय, अपने अनुभव से सीखिए। जो पीछे गलतियां रह गई हैं उसे आगे से ठीक कीजिए और उसके मुताबिक लोगों का मार्गदर्शन कीजिए। ताकि वे वह गलतियां न करें जो आपने की थी।

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फलां आपसे आगे क्यों निकल गया?

किसी से किसी की तुलना करना और लोगों के सामने करना वैसे भी व्यक्ति को बागी बना देता है। यह सवाल हतोत्साहित करता है। हर किसी की अलग-अलग क्षमताएं होती हैं और हर कोई अपने दम पर सफल होता है। हर आदमी की अपनी किस्मत होती है। एक व्यक्ति की तुलना दूसरे व्यक्ति से करना व्यक्तित्व को तोड़ने जैसा है। ऐसे सवाल छोटे शहरों के लोग करते हैं और कम पढ़े-लिखे और कम तजुर्बेकार लोग। अक्सर गांव के माता-पिता भी ऐसा करते हैं जब वे बच्चे को डांटते हैं और उसकी तुलना पड़ोसी के बच्चे से करते हैं और यह बच्चे को हतोत्साहित करता है। यह सवाल पूछने से पहले जरा गौर कीजिए वह कौन से लोग थे जिससे आप बहुत आगे निकल गए या पूछे छूट गए।

आप दिखने में इतने बीमार क्यों लग रहे हैं?

किसी बीमार व्यक्ति के प्रति संवेदना व्यक्त करना अच्छी बात है, लेकिन भीड़-भाड़ वाली जगह पर सवाल पूछना बेहूदगी की अलामत है। अगर वह गरीब व्यक्ति स्वस्थ है, तो वह आपकी बात सुनेगा और मुफ्त में तनाव का शिकार हो जाएगा। मान भी लीजिए वह बीमार है तो आप क्या कर लेंगे। क्या आप हर दिन हॉस्पिटल-हॉस्पिटल घूमकर मरीजों को सेब और मूर्रबे पहुंचाते हैं! या फिर कोई हकीम और डॉक्टर हैं, जो मुफ्त में इलाज करना चाहते हैं।

इसलिए खुश रहिए और लोगों को भी रहने दीजिए। हो सके तो खुशियां बांटिए। और खुशियों को बांटने के लिए बेहद जरूरी है कि आप अपनी अनावश्यक और हानिकारक जिज्ञासा को थोड़ा दबा कर रखिए। धन्यवाद!


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