आप अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के बारे में क्या जानते हैं? यह खतरनाक क्यों!

आप अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के बारे में क्या जानते हैं? यह खतरनाक क्यों!

अक्सर हम अपने दैनिक खानपान में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का इस्तेमाल करते हैं। शायद ये इसलिए है क्योंकि इसके नुकसान को लेकर हमलोग अंजान हैं। सच कहा जाए तो इनका अधिक सेवन गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। पर अब सवाल उठता है कि हम ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में क्या जानते हैं? दरअसल, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स 15 साल पहले गढ़ा गया था, और इसके वेरिएंट में ब्राउन ब्रेड और आइसक्रीम जैसी सामाग्री शामिल हैं जो इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग के जरिए तैयार किए जाते हैं।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स सामान्य खाद्य पदार्थों या खाद्य पदार्थों से भिन्न होते हैं, उनमें ऐसे तत्व होते हैं जो आमतौर पर आपको अपने घर की रसोई में नहीं मिलेंगे, फूड्स के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए इसमें एडिटिव्स मिलाए जाते हैं। गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक ‘अल्ट्रा-प्रोसेस्ड पीपल’ में, लेखक क्रिस वान टुल्केन ने ब्राजील के वैज्ञानिक फर्नांडा रैबर के हवाले से कहा है कि अधिकांश अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को सेहतमंद खाद्य पदार्थों के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। औद्योगिक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थों को कहा जाता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स वास्तव में बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन हाल के दो अध्ययनों ने इन खाद्य पदार्थों को हाई ब्लड प्रेसर, हृदय रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा है। एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि कुछ तरह के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स, ड्रिंक और बिस्कुट ‘अल्ट्रा-प्रोसेस्ड’ होते हैं जो कई बीमारियों का कारण बनते हैं, ऐसे खाद्य पदार्थ आमतौर पर आंतों, पेट, लिवर और पेट की बीमारियों का कारण बनते हैं।

ये भी पढ़ें: डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को लेकर क्या कहता है रिसर्च?

आप अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के बारे में क्या जानते हैं? ये सेहत के लिए खतरनाक क्यों!

हॉस्पिटल ट्रॉपिकल डिजीज में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. वैन टोल्केन रिसर्च का हवाला देते हुए कहते हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के अत्यधिक सेवन से मोटापा, कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, डिप्रेशन, डिमेंशिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मेडिकल जर्नल ‘सीजीएच जर्नल’ में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, विशेषज्ञों ने इंसानी सेहत पर ‘अल्ट्रा-प्रोसेस्ड’ खाद्य पदार्थों के प्रभावों का पता लगाने के लिए 2002 से 2022 तक किए गए पांच अलग-अलग अध्ययनों की समीक्षा की।

रिसर्च की समीक्षा में पाया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स ‘क्रोन डिजीज’ का कारण बनते हैं, जो वास्तव में आंतों, पेट, लिवर, गाल ब्लैडर और पेट की बीमारी है। यह सीधे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘अल्ट्रा-प्रोसेस्ड’ खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक ताज़ा रखने के लिए रसायनों का उपयोग किया जाता है, यही कारण है कि वे सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में चीनी, नमक, घी, तेल और रसायन अधिक मात्रा में होते हैं, जो हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बहुत खतरनाक बनाते हैं।

ये भी पढ़ें: धूप के अलावा विटामिन D के दूसरे सोर्स कौन हैं? त्वचा और बालों के लिए ये जरूरी क्यों!

आपको कैसे पता चलेगा कि आप अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स पदार्थ खा रहे हैं?

खाने-पीने से जुड़ी 15 हेल्थ मिथ्स जिनका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं, आप भी जानें

साल 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन के औसत आहार में 57% अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स होता है। हालांकि, ब्रिटेन में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक चेतावनी जारी नहीं की गई है। वहीं, वैन टॉलकेन के अनुसार, अगर ऐसी चीजें जिन्हें आप नहीं पहचानते हैं या जब आप कुछ खरीदते हैं तो उनके बारे में नहीं जानते हैं, तो यह अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स हो सकता है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स अक्सर अपने पैकेट पैकेजिंग पर ‘इसमें फाइबर की मात्रा अधिक है’ या ‘यह प्रोटीन का स्रोत है’ का दावा करते हैं।

ये भी पढ़ें: पीने का सबसे अच्छा पानी कौन-सा है? जानिए RO वाटर पीना चाहिए या नहीं

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के लिए हमें फूड पैकेजिंग पर क्या देखना चाहिए है?

आप अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के बारे में क्या जानते हैं? ये सेहत के लिए खतरनाक क्यों!

साओ पाउलो विश्वविद्यालय में न्यूट्रिशन एंड पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर कार्लोस ए. मोंटेरो का मानना है कि हमारे किचेन में आमतौर पर उपयोग में नहीं आने वाले सामान, जिसकी पैकेजिंग पर सामग्री सूची आरंभ या मध्य में सूचीबद्ध किया जाता है। इन सामग्रियों में प्रोटीन, चीनी और फाइबर के विवरण को ध्यान से पढ़ें। खासकर जब वे लेबल पर प्रमुखता से दिखाई देते हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि प्रोडक्ट अल्ट्रा-प्रोसेस्ड है। दूसरे तरीके से कहे तो किसी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड उत्पाद की पहचान करने का व्यावहारिक तरीका यह देखना है कि क्या इसकी सामग्री की सूची में नोवा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स समूह की कम-से-कम एक वस्तु शामिल है।

नोवा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स समूह का अर्थ है कि या तो ऐसे फूड्स -सामग्री जो कभी भी रसोई में उपयोग नहीं किए जाते हैं या शायद ही कभी उपयोग किए जाते हैं। जैसे- हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, हाइड्रोजनाइज या स्वादिष्ट तेल, और हाइड्रोलाइज्ड प्रोटीन, या उत्पाद को स्वादिष्ट या अधिक आकर्षक बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए एडिटिव्स के वर्ग, जैसे कि टेस्ट, टेस्ट बढ़ाने वाले, रंग, इमल्सीफायर, इमल्सीफाइंग नमक, मिठास, गाढ़ा करने वाले पदार्थ। इसके अलावा एंटी-फोमिंग, बल्किंग, कार्बोनेटिंग, फोमिंग, गेलिंग और ग्लेज़िंग एजेंट भी इसी सूची में आते हैं।

ये भी पढ़ें: निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव का तरीका

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का हमारी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है?

यह 8 तरह का खान-पान समय से पहले बना देता है इंसान को बूढ़ा

एक महीने तक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स खाने से नींद न आना, सीने में जलन, कब्ज, सुस्ती और वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। साथ ही, कम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स इस्तेमाल करने वाले लोगों की तुलना में, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स खाने वाले लोगों ने प्रति दिन 500 अधिक कैलोरी प्राप्त की। इतना ही नहीं, इससे भूख के लिए जिम्मेदार हार्मोन बढ़ जाते हैं और पेट भरा हुआ महसूस कराने वाले हार्मोन कम हो जाते हैं।

कौन से प्रोडक्ट्स अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में आते हैं और कौन नहीं?

ultra-processed foods

दरअसल, फूड्स प्रोडक्ट प्रोसेसिंग के आधार पर इसकी चार श्रेणियां है:

  1. असंसाधित या न्यूनतम प्रोसेस्ड फूड्स: इसमें फल, सब्जियां, दूध, मछली, दालें, अंडे, मेवे और बीज जैसे सामाना शामिल हैं। सीधे शब्दों में कहे तो जिनमें कोई अतिरिक्त सामग्री नहीं है और अपने नेचूरल स्थित में में होता है। यह सेहत के लिए ठीक होता है।
  2. प्रोसेस्ड सामग्री: इसमें ऐसे फूड्स प्रोडक्ट शामिल हैं जिन्हें स्वयं खाने के बजाय अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है, जैसे नमक, चीनी और तेल वगैरह।
  3. प्रोसेस्ड फूड्ट प्रोडक्ट: ये ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो ग्रुप 1 और ग्रुप 2 के फूड्स प्रोडक्ट को मिलाकर बनाए जाते हैं, जिन्हें इस तरह से बदला जाता है कि घर में खाना बनाते समय इस्तेमाल किया जा सकें। इनमें जैम, अचार, डिब्बाबंद फल और सब्जियां, घर में बनी ब्रेड और पनीर जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
  4. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स प्रोडक्ट: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में आमतौर पर पांच या अधिक सामग्रियां होती हैं। उनमें कई एडिटिव्स और इंग्रेडिएंट्स शामिल होती हैं जिनका आमतौर पर घरेलू खाना पकाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जैसे- प्रिजर्वेटिवस, इमल्सीफायर, मिठास बढ़ाने वाले सामान और आर्टिफिसियल रंग और स्वाद। इन खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ आमतौर पर लंबी होती है यानी अधिक दिनों तक खराब नहीं होते।

ये भी पढ़ें: लम्बी हाइट चाहिए तो अपने बच्चों की डाइट में जरूर शामिल करें ये 7 फूड्स

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाने के नुकसान क्या-क्या हैं?

खाने-पीने से जुड़ी 15 हेल्थ मिथ्स जिनका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं, आप भी जानें

अगस्त 2023 में, यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस में प्रस्तुत एक अध्ययन से पता चलता है, जिसमें 15 वर्षों तक 10,000 ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं पर नज़र रखी गई थी; कि जिन लोगों के आहार में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की मात्रा सबसे अधिक थी, उनमें लो ब्लड प्रेसर वाले लोगों की तुलना में हाई ब्लड प्रेसर विकसित होने की संभावना 39 प्रतिशत अधिक थी।

अध्ययन में एक और बड़ा विश्लेषण सामने आया, जिसमें 325,000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं से जुड़े 10 अध्ययनों को देखा गया। इससे पता चला कि जो लोग सबसे अधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स खाते हैं, उनमें दिल के दौरे, स्ट्रोक और एनजाइना सहित गंभीर हृदय और संचार संबंधी घटनाओं का अनुभव होने की संभावना 24 प्रतिशत अधिक थी। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के दैनिक सेवन में प्रत्येक 10 प्रतिशत की वृद्धि हृदय रोग के जोखिम में 6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी।

2019 के एक अध्ययन, जिसमें स्पेन में 19,899 विश्वविद्यालय के ग्रेडिएंट्स को फॉलो किया गया था, ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स प्रोडक्ट्स और शीघ्र मृत्यु के जोखिम के बीच एक संबंध दिखाया। प्रतिभागियों को उनके अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स सेवन के स्तर के आधार पर ग्रुप्स में विभाजित किया गया था। सबसे कम अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स प्रोडक्ट्स खाने वाला समूह हर दिन में कम-से-कम दो बार ऐसा खाना खाता था, और सबसे अधिक खाने वाला समूह हर दिन चार से अधिक बार खाता था। अधिक खाने वालों के लोगों में कम अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाने वालों की तुलना में औसतन 10.4 वर्षों के बाद मरने की संभावना 62 प्रतिशत अधिक थी।

ये भी पढ़ें: थाइराइड है ‘साइलेंट किलर’, ये 5 फूड्स का सेवन है रोगी के लिए खतरनाक

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का सेहत पर आम असर

  • अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में मौजूद अधिक कैलोरी मोटापा बढ़ाता है।
  • अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाने से दिल की सेहत को खतरा हो सकता है।
  • वैस्कुलर डिजीज और डायबिटिज का खतरा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाने से बढ़ जाता है।
  • अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन से कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
  • अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स से मेटाबोलिज्म सिंड्रोम के साथ सूजन जैसी समस्या हो सकती है।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।


(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुकट्विटरटेलीग्रामइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published.