यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर कार्डियक अरेस्ट क्या होता है और यह हार्ट अटैक से किस तरह से अलग होता है। आमतौर पर लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के बीच अंतर नहीं समझ पाते हैं। कार्डियक अरेस्ट हृदय रोग का ही एक रूप है।
अगर व्यक्ति का हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है तो उसे कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) कहते हैं। ये समस्या खासकर तब होती है जब हमारा दिल अचानक से संपूर्ण शरीर में रक्त की पम्पिंग करना बंद कर देता है।

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इस बीमारी के होने पर दो तरह की घटनाएं देखने को मिल सकती हैं, पहला या तो हार्ट बीट (ह्रदय की धड़कन) थम जाती है या वो इतनी तेज गति से धड़कता है, जिससे पूरा कार्डियक चेंबर का संकुचन नहीं हो पाता है। इन दोनों अवस्थाओं में बॉडी के महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है।
इस दौरान जब मस्तिष्क में खून जाना बंद हो जाता है तो मरीज बेहोश होने लगता है और सांस लेने में समस्या होने लगती है। दिक्कत की बात है कि कार्डियक अरेस्ट आने से पहले इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। यही कारण है कि इससे मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण-
- थकान
- हृदय का धकधकाना
- हृदय में दर्द महसूस होना
- चक्कर आना
- सांसों का छोटा होना
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किन्हें हो सकता है कार्डियक अरेस्ट का सबसे ज़्यादा खतरा
- शौकिया दवाइयां खाना
- दिल की बीमारी की अन्य दवाएं
- दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना
- दिल की धड़कन में असामान्यताएं
कार्डियक अरेस्ट से बचाव करने के कुछ तरीके
- तम्बाकू और मदिरा का सेवन न करें
- अनहेल्दी और फास्ट फूड का सेवन करने से बचें
- वजन को नियंत्रित रखें
- तनाव को कम करें, खुशहाल जीवन जीएं
- ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें
- रोजाना समय पर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर करें।
- आहार में फल और सब्जियों को शामिल करें।
- रोजाना एक्सरसाइज, योग और प्राणायाम करें
- नियमित जांच कराते रहें।
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इसलिए जरूरी है कि आप रुटीन चेक-अप और दिल की नियमित जांच कराते रहें। और डॉक्टर के संपर्क में हमेशा रहे।
नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।
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