World Diabetes Day: आपको भी कहीं डायबिटीज तो नहीं! जानें लक्षण और इलाज के उपाय

World Diabetes Day: आपको भी कहीं डायबिटीज तो नहीं! जानें लक्षण और इलाज के उपाय

दुनियाभर में डायबिटीज यानी मधुमेह के मरीजों की संख्या में बेतहासा बढ़ोतरी हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2030 तक लगभग 90 मिलियन लोग डायबिटीज टाइप-2 के शिकार हो जाएंगे। यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि ये भारत के आधे से अधिक वर्ग की हेल्थ स्थिति को अभिव्यक्त करता है।

वैसे डायबिटीज का मरीज रोज कोई न कोई नये तरीके इससे निजात पाने के लिए अपनाते हैं पर बावजूद इसके उन्हें इसका कोई अधिक फायदा नहीं मिलता। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि डायबिटीज की सही समय पर पहचान नहीं हो पाती और धीरे-धीरे यह गंभीर रूप ले लेती है। आगे चलकर इसका इलाज कराना काफी मुश्किल हो जाता है।

आपके मन में अब यह सवाल उठना लाजिमा है कि डायबिटीज की सही समय पर पहचान कैसे की जाए? तो इसे लेकर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इस लेख के जरिए डायबिटीज से जुड़े आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

कहीं आपको भी डायबिटीज तो नहीं! जानें लक्षण और इलाज के उपाय

डायबिटीज क्या होता है?

किसी व्यक्ति के शरीर में जब ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है, तो उसे डायबिटीज कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिए ब्लड शुगर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जो भोजन के जरिए शरीर में पहुंचता है। इसके अलावा, इसुलिन पैंक्रियाज द्वारा बनने वाला हार्मोन है, जो ग्लूकोज को भोजन से व्यक्ति की कोशिकाओं में जाने में सहायता करता है, जिसका इस्तेमाल ऊर्जा के रूप में किया जाता है।

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डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?

डायबिटीज की पहचान करने का सही तरीका इसके लक्षणों पर ध्यान देना है। किसी भी व्यक्ति को जब ये 5 लक्षण दिए तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं-

प्यास का बढ़ना- काफी प्यास लगना डायबिटीज का प्रमुख लक्षण है। आमतौर पर, प्यास लगने पर हम पानी पी लेते हैं, जिससे हमारी प्यास मिट जाती है लेकिन डायबिटीज की स्थिति में ऐसा नहीं होता है। बल्कि डायबिटीज होने पर व्यक्ति को अधिक प्यास लगती है और उसे बार-बार पानी पीने का मन करता है।

बार-बार पेशाब आना- ऊपर जैसा कि स्पष्ट किया गया है कि डायबिटीज का एक कारण बार-बार प्यास लगना है, जिसकी वजह से डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है। लोग इसे आमतौर पर किडनी के बीमारी का लक्षण मानते हैं पर उन्हें किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंचना चाहिए। क्योंकि यह डायबिटीज के संकेत भी हो सकते हैं।

बहुत भूख लगना- आपने ऐसे लोग अक्सर देखे होंगे, जो थोड़ी-थोड़ी देर में खाना खाते हैं। ऐसे लोगों का ज्यादातर मजाक बनाया जाता है और उन्हें ‘भूखक्ड’ कहकर चिड़ाया जाता है। मगर कई बार, यह डायबिटीज के संकेत भी हो सकते हैं। अगर ऐसा कोई संकेत दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

वजन का अचानक कम होना- अगर किसी व्यक्ति का अचानक तेजी से वजन होने लगता है कि तो उसे इस समस्या को नजरअंदाज करने के बजाए डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। क्योंकि यह डायबिटीज का एक लक्षण हो सकता है।

थकान महसूस होना- हालांकि, हम सभी लोग काफी देर तक मेहनत करने के बाद थक जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक चीज़ है। पर जब कोई व्यक्ति थोड़ी-सी मेहनत करने के बाद ही काफी थक जाता है, तो यह आम चीज नहीं है बल्कि डायबिटीज का लक्षण हो सकता है।

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कहीं आपको भी डायबिटीज तो नहीं! जानें लक्षण और इलाज के उपाय

डायबिटीज होने की वजह क्या होती है?

किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी हो सकती है, जिसके कई सारे कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से डायबिटीज हो सकती है-

अधिक वजन होना- ऐसे लोगों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है, जिनका वजन अधिक होता है।

40 या उससे अधिक उम्र का होना- आमतौर पर, डायबिटीज की बीमारी 40 या उससे अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलती है।

परिवार में किसी दूसरे सदस्य का डायबिटीज से पीड़ित होना- ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जो परिवार के सदस्यों में जेनेटिकली आ जाती हैं। इनमें डायबिटीज भी एक बीमारी है। अगर माता-पिता में से किसी में डायबिटीज है, तो उस व्यक्ति के डायबिटीज के शिकार होने की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है।

बी.पी या दिल संबंधी किसी बीमारी का शिकार होना- अक्सर, डायबिटीज के ऐसे मामले देखने को मिलते हैं, जिनमें इसकी शुरूआत बी.पी या दिल संबंधी किसी बीमारी से होती है।

फिजिकल एक्टिविटी न करना- अगर कोई शख्स किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करता है तो उसे डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

कम नींद लेना- आजकल की जीवन शैली में हम लोग देर तक जागते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं जिससे हमारी नींद पूर नहीं हो पाती जिसके कारण डायबिटीज हो सकता है।

अनहेल्दी डाइट लेना- जंग फूड खाना, तला भुना खाना भी डायबिटीज का कारण बन सकता है। साथ ही देर से खाने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

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कैसे करें डायबिटीज की पहचान?

जैसा कि बताया गया गया है कि डायबिटीज की सही समय पर पहचान करके डायबिटीज का सफल इलाज संभव है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज होने को लेकर दुविधा है, तो वह इन 7 तरीकों से डायबिटीज की पहचान कर इस दुविधा को दूर कर सकता है-

बी.एम.आई टेस्ट करना- डायबिटीज की पहचान करने का सबसे आसान तरीका बी.एम.आई (18.5–24.9) टेस्ट करना है। जिस व्यक्ति में बी.एम.आई (30 से अधिक) की मात्रा अधिक होती है, उसे डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है।

फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोज टेस्ट- डायबिटीज की पहचान करने के लिए कई बार फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोज टेस्ट भी किया जाता है। इस टेस्ट में किसी व्यक्ति के खाली पेट ब्लड शुगर लेवल की जांच की जाती है और इस बात का पता लगाया जाता है कि उसके शरीर में ब्लड शुगर लेवल सामान्य है या नहीं।

पोस्टप्रेंडियल ब्लड शुगर टेस्ट- फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोज टेस्ट के ठीक उल्टा जब किसी टेस्ट को नाश्ता खाने के बाद किया जाता है, उसे पोस्टप्रेंडियल ब्लड शुगर टेस्ट कहा जाता है।
जब इस टेस्ट में किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर (200 से अधिक) आता है, तो यह उसके डायबिटीज होने की पुष्टि होती है।

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट- डायबिटीज टाइप-2 की पहचान करने का सबसे साधारण तरीका ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट है। इस टेस्ट में ह्यूमन बॉड़ी में ग्लूकोज डाला जाता है और फिर खून के नमूने लिए जाते हैं ताकि इस बात का पता लग सके कि ग्लूकोज कितनी तेजी से खून से अलग होता है।

रैन्डम प्लास्मा ग्लूकोज टेस्ट- किसी शख्स के शरीर के खून में ग्लूकोज की मात्रा का पता लगाने के लिए किए टेस्ट को रैन्डम प्लास्मा ग्लूकोज टेस्ट कहते हैं।

HBA1 टेस्ट- डायबिटीज की पहचान के लिए अक्सर हीमोग्लोबिन की भी जांच की जाती है। हीमोग्लोबिन की जांच करने के लिए HBA1टेस्ट सबसे कारगर तरीका है। इस टेस्ट में जब किसी व्यक्ति का हीमोग्लोबिन 8% आता है, तो इससे पुष्टि होता है कि उसे डायबिटीज है।

फ्रुक्टोजामाइन टेस्ट- फ्रुक्टोज़ामाइन टेस्ट डायबिटीज की पहचान करने के लिए भी किया जाता है। इसमें खून में फ्रुक्टोजामाइन की कुल मात्रा की जांच की जाती है।

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कैसे करें डायबिटीज का इलाज?

डायबिटीज की पहचान होने के बाद यह जानना भी जरूरी है कि डायबिटीज का इलाज कैसे किया जाए। अमूमन डायबिटीज वाले व्यक्तियों को इस बीमारी निजात नहीं मिल पाता है क्योंकि उन्हें इसके सही इलाज की जानकारी नहीं होती। इसलिए डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति निम्नलिखित तरीके अपनाकर डायबिटीज से निजात पा सकता है-

हेल्थी डाइट अपनाना- डायबिटीज का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है अपने खान-पान पर काबू रखना। हेल्थी डाइट को इसके लिए अपनाना चाहिए। जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम वगैरह से भपूर डाइट।

दवाई लेना- डायबिटीज का इलाज करने के लिए अक्सर डॉक्टर कुछ दवाईयां देते हैं। ये दवाईयां डायबिटीज को ठीक करने में सहायता करती हैं, जिससे डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है।

एक्सराइज करना- जैसा कि ऊपर बताया गया है कि डायबिटीज का एक कारण एक्सराइज न करना या यूं कहें कि शारीरिक कामों का नहीं करना है। इसलिए इसके इलाज में एक्सराइज एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

वजन को कंट्रोल रखना- डायबिटीज का इलाज करने में वजन को कंट्रोल करना कारगर साबित होता है। इसी कारण, डायबिटीज से पीड़ित इस तरीके का अपना सकता है और अपने शरीर में बी.एम.आई को सामान्य मात्रा में ला सकते हैं।

इंसुलिन के इंजेक्शन लगाना- डायबिटीज के इलाज में कई बार इंसुलिन का इंजेक्शन कारगर साबित होता है।

सर्जरी कराना- डायबिटीज से पीड़ित शख्स को जब किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तब उसके लिए बेरियाट्रिक सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। बेरियाट्रिक सर्जरी में मानव-शरीर में अतिरिक्त वसा को मेडिकल तरीके से निकाला जाता है, जिससे डायबिटीज का इलाज संभव हो पाता है।

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डायबिटीज के साइड-इफेक्ट क्या हो सकते हैं?

ऐसा माना जाता है कि अगर किसी बीमारी का इलाज सही समय पर न किया जाए तो वह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले लेती है। यह बात डायबिटीज पर अधिक लागू होती है। क्योंकि ऐसा देखा गया है कि अगर डायबिटीज का इलाज सही समय पर नहीं किया जाता है तो इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को ये 5 साइड-इफेक्ट्स का सामना करना पड़ता है-

नींद का पूरा न होना- डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति को काफी घबराहट महसूस होती है जिसकी वजह से उन्हें सोने में परेशानी होती है। और उनकी नींद पूरी नहीं होती।

सिरदर्द रहना- अक्सर पीड़ित व्यक्ति में देखा गया है कि डायबिटीज होने पर लोगों को सिरदर्द की परेशानी से गुजरना पड़ता है।

आंखों में परेशानी- डायबिटीज कुछ समय के बाद शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव डालती है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को दिखने में परेशानी होनी लगती है। हालांकि, इस देखने संबंधि समस्या का इलाज संभव है पर अगर इस पर कुछ समय तक ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है।

अंग का खराब होना- जैसा कि ऊपर बताया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति के कई सारे अंगों पर भी ये बीमारी प्रभाव डालती है। जिसकी वजह से पैंक्रियाज कार्य करना बंद कर देता है। आगे चलकर इसका इलाज पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करके ही संभव है।

दिल का दौरा पड़ना- डायबिटीज का असर सबसे अधिक दिल पर पड़ता है। बहुत सारे लोगों की जान हर साल दिल का दौरा पड़ने से हो जाती है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि इस बीमारी का सही समय पर पहचान कर इलाज किया जाता है।

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डायबिटीज मरीज को किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

डायबिटीज की पहचान एवं इलाज कराना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है इसकी रोकथाम करना। अगर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति निम्नलिखित बातों का ध्यान दे तो वह इसकी रोकथाम कर सकता है-

फास्ट फूड से परहेज करना- डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और फास्ट फूड से परहेज रखना चाहिए।

नियमित रूप से एक्सराइज करना- डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपनी सेहत पर पूरा ध्यान देना चाहिए और हर रोज़ (कम-से-कम 30 मिनट) एक्साइज़ करनी चाहिए।

धूम्रपान न करना- हालांकि, किसी भी व्यक्ति की सेहत के लिए धूम्रपान करना काफी नुकसानदायक होता है। मगर, डायबिटीज में यह खतरा काफी बढ़ जाता है। और उसकी सेहत खराब हो जाती है।

सफाई का ध्यान रखना- डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे भोजन से पहले और उसके बाद में हाथ धोना, सुबह-शाम ब्रश करना, संक्रमित जगहों से दूर रहने वगैरह तरीकों को अपनाना चाहिए उसे ताकि उसकी डायबिटीज नहीं बढ़े।

हेल्थ चेकअप समय-समय पर कराना- यह सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है जिसका ख्याल सभी लोगों (विशेष रूप से डायबिटीज से पीड़ित लोगों) को रखना चाहिए। मरीज को समय-समय अपना हेल्थ चेकअप कराना चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह की बीमारी होने का संकेत मिलता रहे और वे आवश्यक कदम उठा सकें। हालांकि, डायबिटीज की वजह से लोगों को काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अघर थोड़ी-सी सजगता बरती जाए तो डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी को समाप्त किया जा सकता है।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।


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