मुझे पता है कि चुनाव क्या होता है। मुझे ये भी पता है कि चुनाव में मतदान किसे करना है। मैं ये भी जानता हूँ कि ईवीएम में किसके नाम की बत्ती जलानी है और बाहर आकर दोस्तों से क्या बताना है। आप लोगों को लग रहा होगा कि सिर्फ नेता ही चितकबरा होते हैं। आप काफी हद तक सही सोच रहे हैं क्योंकि नेता तो चितकबरा होते ही हैं, लेकिन मैं भी चितकबरा हूँ।
मेरी जाति के किसी भी उम्मीदवार के साथ मैं भयंकर बारिश में भी खड़ा रह सकता हूँ। उसके लिए मैं फेक न्यूज फैला भी सकता हूँ और उसके नाम पर किसी का सिर भी फोड़ सकता हूँ। आप मेरा वीभत्स रूप तब देखते हैं जब मैं सोशल मीडिया पर होता हूँ। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई मेरे बारे में क्या सोच रहा है, मैं दनादन गालियां लिखने में भी पारंगत हो चुका हूँ। अब मेरा हाल ये है कि मैं खचाखच भरी बस में भी गालियां लिखकर फॉरवार्ड कर सकता हूँ जबकि कमाल की बात ये है कि मुझे इसकी कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।
पहले के जमाने में लोग अगर सिगरेट पीते थे तो सिर्फ अपने मां-बाप से ही नहीं बल्कि उनके जानने वालों से भी छुपकर पीते थे कि कहीं ये बात उन तक पहुंच गई तो बाबूजी पीटेंगे कम और चिल्लाएंगे ज्यादा। और ये बात अगल-बगल में जिसको नहीं भी पता चलनी चाहिए तो चल जाएगी। खैर, इतना भूमिका बांधने का सीधा मतलब ये था कि आज हमारे सिर पर अगर किसी पार्टी या किसी नेता का हाथ है तो बस वही हमारे ‘माई बाप’ हैं। बाकि किसी से डरने की कोई जरुरत नहीं है, लोग आपसे डरेंगे।
हमारा शुरू से ही एक उसूल रहा है और इसमें हम बहुत पक्के हैं कि जो हमको नहीं मिला है वो हम किसी और को भी नहीं मिलने देंगे। और अगर उसको कुछ मिला तो पहले हम नाक-भौं सिकड़ाऊंगा और अगर हो सके तो पहुंच जाएंगे लौंडा लपाडा सब को लेकर पीटने, चाहे वो देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी ही क्यों न हो? मेरे लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। मेरा एक बेटा और एक बेटी है। बेटी तो स्कूल जाने के लिए तैयार रहती है लेकिन बेटा बहुत आना कानी करता है। लोग कहते हैं कि अपने बाप पर गया है।
कभी कभी हम नेताओं के साथ साथ पार्टी भी बदल लेते हैं। लेकिन एक बात है मैं कल एक भ्रष्टाचारी पार्टी के साथ था लेकिन आज एक बड़ी भ्रष्टाचारी पार्टी के साथ हूँ। मैं चितकबरा हूँ।
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