किडनी स्टोन होने के लक्षण क्या हैं? जानें इससे बचने का उपाय

किडनी स्टोन होने के लक्षण क्या हैं? जानें इससे बचने का उपाय

किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी मिनरल्स और नमक से बनी एक ठोस क्रिस्टल होती है। ये रेत के दाने की तरह होता है। यह रेत के छोटे दाने से लेकर गोल्फ की गेंद जितना बड़ा हो सकता है। सबसे महवपूर्ण बात ये कि एक ही समय में गुर्दे या मूत्रवाहिनी में एक या एक से अधिक पथरी हो सकती है। यह आमतौर पर पेशाब के रास्ते में रुकावट डालती है जिसके चलते चेज दर्द होता है। यह आपके गुर्दे में रह सकती हैं या मूत्र पथ के माध्यम से आपके शरीर से बाहर निकल सकती हैं।

मूत्र पथ में गुर्दे (Kidneys), मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (Bladder) और मूत्रमार्ग (Urethra) शामिल हैं। ऐसा भी कई बार होता है कि एक छोटा क्रिस्टल लक्षणों के बिना भी पेशाब से गुजर सकता है। जब स्टोन का आकार में बड़ा हो जाता है जब वह पेशाब के रास्ते में रुकावट डालता है। इसके बाद दर्द शुरू हो जाता है। आमतौर पर ये दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होता है या कमर के निचले हिस्से में महसूस होता है।

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किडनी स्टोन के लक्षण (Symptoms Of Kidney Stone)

किडनी स्टोन होने के बाद लक्षण दिखाई दे जरूरी नहीं। छोटे क्रिस्टल्स बिना दर्द के अपने आप मूत्र में निकल जाते हैं। लेकिन बड़े स्टोन मूत्र के प्रवाह में रुकावट बनते हैं जिसके बाद कई दर्दनाक लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

किडनी स्टोन के लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • पेशाब में रक्त
  • पेट में दर्द
  • बुखार
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • पेशाब के रंग में बदलाव
  • पेशाब करते हुए जलन महसूस होना

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किडनी स्टोन के अन्य लक्षण

दर्द के अलावा, किडनी स्टोन के कई दूसरे लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे-

  • पेशाब करते समय दर्द।
  • मूत्र में खून आना।
  • मूत्र में धुंधलापन होना।
  • मूत्र से असामान्य गंध आना।
  • एक बार में थोड़ा-सा ही पेशाब आना।
  • ​सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की इच्छा।
  • किडनी स्टोन के कारण पेशाब में उपस्थित रक्त से मूत्र का रंग भूरा, गुलाबी या लाल हो सकता है।

अगर आपको दर्द के साथ निम्नलिखित में से कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने चिकित्सक के पास जाएं।

  1. ठंड लगना।
  2. बुखार होना।
  3. मतली या उल्टी होना।
  4. पेशाब में ब्लड आना।
  5. पेशाब करने में कठिनाई होना।
  6. इतना गंभीर दर्द होना कि आप आराम से बैठ, खड़े या लेट न पाएं।

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किडनी स्टोन होने का कारण (Causes of Kidney stone)

किडनी स्टोन होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

आनुवंशिक: आनुवंशिकता के कारण भी कुछ लोगों के गुर्दे में पथरी होने की संभावनाएं होती हैं। गुर्दे में पथरी कैल्शियम का अधिक मात्रा के कारण बनता है। पेशाब में कैल्शियम की मात्रा पीढ़ी-दर-पीढ़ी हो सकता है। गुर्दे की पथरी का कारण कुछ दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियां भी बन सकती हैं। जैसे- ट्यूबलर एसिडोसिस या शरीर के कुछ रसायनों को पचाने में समस्याएं। उदाहरण के लिए सिस्टीन (एक एमिनो एसिड), ऑक्सलेट (एक कार्बनिक एसिड का नमक) और यूरिक एसिड और अन्य दूसरे रसायन।

भौगोलिक स्थान: किडनी स्टोन आपके रहने की जगह के कारण भी हो सकती है। भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के कुछ हिस्सों में गुर्दे की पथरी की समस्या काफी प्रचलित है। गर्म जलवायु प्रदेश में रहना और अपर्याप्त मात्रा में द्रव का सेवन करना पथरी होने का कारण हो सकता है।

डाइट: आपका खान-पान किडनी की पथरी के गठन के प्रति अतिसंवेदनशील होता है। एनिमल प्रोटीन और नमक की उच्च मात्रा से किडनी स्टोन होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, अगर व्यक्ति किडनी स्टोन के प्रति जागरूक हाता है तो संभवतः आहार से उन्हें कोई जोखिम नहीं होता है।

दवाओं का सेवन: ड्यूरेटिक्स और अधिक कैल्शियम वाले एंटासिड लेने वाले मरीजों में स्टोन होने की संभावना होती है। ऐसी दवाओं से पेशाब में कैल्शियम का स्तर अधिक हो सकता है जिससे चलते किडनी में स्टोन बन सकता है। अगर आप विटामिन ए और विटामिन डी भी अधिक मात्रा में लेते हैं तो उससे भी कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है। एचआईवी के उपचार के लिए इंडिनवीर दवा से इंडिनवीर पथरी का निर्माण हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाएं पथरी बनने का कारन बन सकती हैं।

जन्मजात बीमारियां: पैदाइशी तो पर होने वाली कुछ पुरानी बीमारियां किडनी स्टोन के कारण हो सकते हैं। जैसे- सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis), रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस (Renal tubular acidosis) और इंफ्लेमेट्री बाउल रोग (inflammatory bowel disease)।

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किडनी स्टोन के प्रकार (Types of kidney)

कैल्शियम ऑक्सालेट (Calcium oxalate: किडनी स्टोन का सबसे आम प्रकार जो है वह कैल्शियम पेशाब में ऑक्सालेट के साथ मिलकर बनता है। अपर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का सेवन और तरल पदार्थ का कम सेवन, साथ ही अन्य दूसरी स्थितियां, कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन होने का कारण हो सकता है।

यूरिक एसिड (Uric acid): यूरिक एसिड किडनी स्टोन का एक सामान्य प्रकार है। शेलफिश और ऑर्गन मीट जैसे खाद्य पदार्थों में प्यूरीन नामक एक प्राकृतिक रासायनिक तत्व होता है। उच्च प्यूरीन (purines) के सेवन से मोनोसोडियम यूरेट का अधिक उत्पादन होता है। यह किडनी में स्टोन होने का कारण बनते हैं। आपके परिवारिक इतिहास पर भी इसका होना निर्भर करता है।

स्ट्रुवाइट (Struvite): किडनी स्टोन का स्ट्रुवाइट एक बहुत आम प्रकार है। यह पेशाब के ऊपरी रास्ते में संक्रमण के कारण होता है।

सिस्टीन (Cystine): सिस्टीन किडनी स्टोन का काफी दुर्लभ प्रकार है। इसके मुख्य कारणों में पारिवारिक इतिहास होता है और उसकी पर कुछ हद तक इसका होना निर्भर करता है।

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किडनी स्टोन से बचाव कैसे करें (How to prevent kidney stone)

गुर्दे की पथरी से बचाव के लिए आप निम्नलिखित उपाय और सावधानी बरत सकते हैं-

अधिक मात्रा में पानी पिएं: पानी पेशाब में मौजूद उन पदार्थों को गलाता है जो किडनी स्टोन पैदा करने के कारण बनते हैं। इससे बचने के लिए खूब पानी पीएं। इतना पानी पिएं जिससे आपको कम-से-कम दो लीटर मूत्र आए। आपको नींबू पानी और संतरे का जूस जैसे कुछ खट्टे पेय पीने से भी मदद मिल सकती है। इस प्रकार के पेय पदार्थों में मौजूद साइट्रेट किडनी स्टोन के निर्माण को रोकने में सहायता करता है।

कैल्शियम की मात्रा: ऑक्सलेट के स्तर में कम कैल्शियम लेने से वृद्धि हो सकती है जिससे गुर्दे की पथरी हो सकती है। इसे रोकने के लिए उम्र के हिसाब से कैल्शियम की मात्रा लें। खाद्य पदार्थों से कैल्शियम प्राप्त करने की कोशिश करें। कुछ अध्ययनों से ये सामने आया है कि कैल्शियम के सप्लीमेंट्स लेने से भी पथरी हो सकती है। कई लोग अधिक मात्रा में कैल्शियम कैप्सूल लेते हैं जो किडनी के लिए ठीक नहीं है।

सोडियम की मात्रा: उच्च सोडियम वाले आहार किडनी स्टोन को बना सकता है। क्योंकि यह आपके यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाता है। इसीलिए गुर्दे में पथरी से बचने के लिए अपने आहार में सोडियम की मात्रा कम रखें। वर्तमान दिशा-निर्देशों के मुताबिक, दैनिक सोडियम सेवन 2,300 मिलीग्राम तक सीमित होना चाहिए। आपको अगर पहले भी सोडियम से गुर्दे की पथरी हुई है तो सोडियम का दैनिक सेवन 1500 मिलीग्राम तक कम करने की कोशिश करें। सोडियम का अधिक मात्रा में लेना आपके रक्तचाप और दिल के लिए भी सही नहीं है।

एनीमल प्रोटीन की मात्रा: यूरिक एसिड का स्तर रेड मीट, मुर्गी, अंडे और सी फूड जैसे खाद्य पदार्थ खाने से बढ़ जाता है। अधिक मात्रा में इसके सेवन से गुर्दे की पथरी हो सकती है। उच्च प्रोटीन आहार से साइट्रेट (मूत्र में मौजूद एक रसायन जो स्टोन के निर्माण को रोकता है) का स्तर भी कम होता है।

स्टोन बनाने वाले खाद्य पदार्थ: पालक, चुकंदर, चॉकलेट, रेवतचीनी (एक प्रकार का फल), चाय और अधिकांश मेवों में ऑक्सलेट की मात्रा होती है। वहीं कोला में फॉस्फेट होता है। इसलिए इन सभी का सेवन सीमित मात्रा में करें। अगर आप किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित हैं तो आपका डॉक्टर आपको इन खाद्य पदार्थों से बचने या इन्हें छोटी मात्रा में लेने की सलाह दे सकते हैं।

कुछ अध्ययनों के मुताबिक, जो व्यक्ति सप्लीमेंट्स के रूप में विटामिन सी की उच्च खुराक लेता है, उसे गुर्दे की बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि शरीर विटामिन सी को ऑक्सलेट में बदल देता है।

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