निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव का तरीका

निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव का तरीका

मौसम बदलने पर जुकाम और खांसी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। खासकर बच्चों के लिए मुश्किल हो जाता है क्योंकि संक्रमण का प्रभाव सबसे ज्यादा और जल्दी बच्चों पर पड़ता है। ऐसे तो हम जुकाम और खांसी से तो ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जोकि अपना प्रकोप ज्यादा दिखाती हैं खासकर सर्दी के मौसम में। उन्हीं बीमारियों में से एक है निमोनिया संक्रमण।

निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो अधिकतर बच्चों में होती है। दुनियाभर में इससे हर साल हजारों बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चों को ही यह बीमारी होती है। व्यस्क और वृद्धजनों को भी निमोनिया हो सकता है।

निमोनिया होने का अधिक खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रहता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी समय पर पहचान और उपचार नहीं हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए बहुत जरूरी है इस बीमारी के बारे में जानना और इसके लक्षण, उपचार के बारे में ताकि समय पर इसका इलाज किया जा सकें।

ये भी पढ़ें: लम्बी हाइट चाहिए तो अपने बच्चों की डाइट में जरूर शामिल करें ये 7 फूड्स

क्या है निमोनिया?

निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव के उपाय

फेफड़ों में संक्रमण का हो जाना निमोनिया कहलाता है। फेफड़े में सूजन की स्थिति बन जाती है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु और जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह वायरस, बैक्टीरिया और पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। यही नहीं कुछ दवाओं और दूसरे रोगों के संक्रमण से भी होने की संभावना रहती है।

साथ ही धूम्रपान, रोगी प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अत्यधिक शराब पीना, फेफड़ों से जुड़ा गंभीर रोग, गंभीर गुर्दा रोग और यकृत रोग के कारण भी यह बीमारी होने की सम्भावना है या फिर बढ़ने की सम्भावना है।

इसके अलावा कुछ दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या H2 ब्लॉकर्स के उपयोग से भी निमोनिया का खतरा बढ़ने की संभावना रहती है। वृद्धावस्था में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं अस्थमा (दमा), हृदय रोग, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से पीड़ित मरीजों में भी निमोनिया का जोखिम रहता है।

ये भी पढ़ें: बढ़ेगा हाइट और वजन, खिलाएं गाजर-बादाम का बेबी फूड, जानें बनाने का तरीका

निमोनिया के प्रकार

  1. बैक्टीरियल निमोनिया
  2. वायरल निमोनिया
  3. माइकोप्लाज्मा निमोनिया
  4. एस्पिरेशन निमोनिया
  5. फंगल निमोनिया

निमोनिया के लक्षण

निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव के उपाय

निमोनिया संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई होती है। साथ ही अगर आपका तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया है तो यह निमोनिया होने की सम्भावना है। इसके अलावा फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो बाद में धीरे धीरे या फिर एक दम से बढ़ने लगते हैं।

आइए जानते हैं कुछ लक्षण-

  • कमजोरी आ जाना और थकान महसूस होना
  • बलगम वाली खांसी
  • बुखार के साथ पसीना आना
  • कंपकंपी महसूस होना
  • सांस लेने में कठिनाई होना
  • बेचैनी होना
  • भूख कम लगना या बंद हो जाना
  • बीपी कम रहना
  • खॉंसी में खून आना
  • धड़कन का तेज हो जाना
  • मतली और उल्टी आना

ये लक्षण बच्चों और वृद्धों दोनों में समान रहते हैं।

ये भी पढ़ें: नेबुलाइजर क्या है? इसका इस्तेमाल कब और किन हालात में किया जाता है

निमोनिया संक्रमण से बचाव के तरीके?

निमोनिया के बारे में आप कितना जानते हैं? जानें लक्षण और बचाव के उपाय

निमोनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। अगर हम निमोनिया की जांच और उपचार पर बात करें तो डॉक्टर के द्वारा रोगी को छाती का एक्सरे करवाने का कहा जाता है। साथ ही स्टेथोस्कोप से फेफड़ों की गति सुनने पर डॉक्टर को फेफड़ों से कुछ आवाज आती हुई भी सुनाई देती है। इसके अलावा खून की जांच, सीटी स्कैन, बलगम की जांच, ब्रोंकोस्कोपी आदि की जांच भी डॉक्टर करवाते हैं।

निमोनिया संक्रमण का उपचार डॉक्टर के सलाह के मुताबिक ही करना चाहिए। ऐसे तो बच्चे के जन्म के बाद टीका दिया जाता है। शिशुओं के लिए PVC13 और बच्चों व वयस्कों के लिए PPSV23 नामक टीके लगाए जाते हैं। निमोनिया से बचाव के लिए धूम्रपान और शराब से दूरी बनाये, साफ सफाई रखें, पौष्टिक आहार लें।


(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published.