डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

हमारे शरीर में हेल्थ से संबंधित कोई भी समस्या होती है तो हमें महसूस हो जाता है कि क्या प्रॉब्लम है। उसी प्रकार से डिप्रेशन भी एक प्रकार की समस्या है। इसके लक्षणों को सही समय पर समझना बहुत जरूरी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आत्महत्या के सबसे बड़े कारणों में से एक डिप्रेशन भी है। 2015 में भारत में करीब 3.8 करोड़ लोग डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित थे। साथ ही इसके बढ़ने की दर 3 फीसदी थी। साल 2021 में भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हैं।

वहीं, इस कोरोना महामारी में ज्यादा लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संकट के इस समय में चिंता, तनाव और अवसाद की समस्या से कमोबेश हर उम्र के लोग जूझ रहे हैं। यहां तक कि बच्चों में भी तनाव और डिप्रेशन के लक्षण देखे जा रहे हैं। और यह डिप्रेशन अगर बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले लेता है।

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

इसमें व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आने लगता है। वह अकेला रहने लगता है। किसी भी व्यक्ति से बात करने पर उसे खुशी महसूस नहीं होती। वह हमेशा उदास और चिंता में डूबा रहता है। ऐसे व्यक्ति की भूख और नींद भी कम हो जाती है। अगर यह बीमारी बढ़ जाए तो व्यक्ति आत्महत्या भी कर सकता है। इसलिए डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। आइए आज जानते हैं डिप्रेशन में रहने वाले व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार रखा जाए जिससे वो डिप्रेशन से निकल सकें।

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गलतियों को नजरअंदाज करें

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

दरअसल, डिप्रेशन के शिकार लोग कुछ ऐसी हरकत कर जाते हैं या कुछ ऐसी बातें कर जाते हैं, जो घर के लोगों को बुरी लग सकती है। कई बार वे अपने सामान्य काम-काज तक नहीं निपटाते। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर वे खीज जाते हैं और गु्स्से में बात करते हैं। ऐसे में, उनके साथ धैर्य से पेश आना चाहिए। उनसे कभी भी गुस्से में बात नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है। और वो कुछ भी कर सकता है। इसलिए उनकी गलतियों को नजरअंदाज करें, जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते।

घरेलू कामकाज में शामिल करें

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति लोगों के साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं करते। वे अकेले रहना चाहते हैं। इससे उनमें नेगेटिविटी बढ़ती है। इसलिए उनसे बातचीत करनी चाहिए और उन्हें घरेलू कामकाज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। क्योंकि अगर वे लोगों के बीच समय बिताते हैं, तो उनकी समस्या जल्द दूर हो जाएगी।

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डिप्रेशन का कारण ढूंढें

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

कई लोगों में डिप्रेशन की समस्या कुछ तात्कालिक वजहों से पैदा होती है। जॉब का छूट जाना, करियर में बाधा आना या पार्टनर से ब्रेकअप हो जाना, घरेलू हिंसा भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है। तात्कालिक वजहों से होने वाला डिप्रेशन समस्या के समाधान के साथ अपने आप ठीक हो जाता है। इसलिए बहुत जरूरी है असली समस्या का पता कर उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

कभी भी अकेला न छोड़ें

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

डिप्रेशन के मरीज को कभी भी अकेले बंद कमरे में सोने न दें। क्योंकि उनकी मनोदशा कब कैसी होगी, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। डिप्रेशन की समस्या जब गंभीर हो जाती है तो व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के ख्याल आने लगते हैं। अकेले रहने पर वह इसे अंजाम दे सकता है। इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है। कोई न कोई उनके साथ ही सोये।

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साइकेट्रिस्ट से संपर्क करें

डिप्रेशन मामूली हो या फिर ज्यादा, साइकेट्रिस्ट से संपर्क करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। क्योंकि साइकेट्रिस्ट ही वह व्यक्ति है जो मरीज से बातचीत कर उसकी हालत को बखूबी समझ जाता है और फिर उसके मुताबिक थेरेपी देता है। जरूरी नहीं कि डिप्रेशन के हर मरीज को दवा ही दी जाए। शुरुआती दौर में काउंसलिंग से भी काम चल जाता है। हां, अगर बीमारी बढ़ जाए तो दवा देनी पड़ती है।

आजकल ऐसी दवाइयां आ गई हैं, जिनसे यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है। अगर इस समस्या को दूर नहीं किया गया तो व्यक्ति का मन खोखला हो जाता है और वह किसी काम का नहीं रह जाता। इसलिए समय पर साइकेट्रिस्ट के पास ले जाएं और उनके कहे अनुसार इलाज करवाएं। आज कल ऑनलाइन भी साइकेट्रिस्ट से सम्पर्क किया जा सकता है।


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