भारतीय संस्कृति और हिन्दू परम्परा में साड़ी महिलाओं का प्रमुख परिधान है। वेस्टर्न कपड़े चाहे जितना पहन लो लेकिन लड़कियां सबसे ज्यादा खूबसूरत साड़ी में ही लगती है। शादी-ब्याह हो या पूजा-पाठ हर जगह आज भी साड़ी पहनना का ही ट्रेंड है। लेकिन क्या आपको पता है कि साड़ियां कितने तरह के होते हैं और उनकी क्या खासियत है। अगर नहीं तो आज हम आपको ऐसी ही आठ साड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्हें हर महिला अपनी अलमारी में रखना चाहेंगी। और इन तरह की साड़ियां घर में होनी ही चाहिए। तो चलिए जानते हैं वो कौन-सी आठ साड़ियां हैं।
बनारसी साड़ी (Banarasi Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/Banarsi-Saree-1.jpg)
यह बनारस और उसके आस-पास के शहरों में बनाई जाती है। प्राचीन काल में इन साड़ियों में सोने और चाँदी के तार का काम हुआ करता था। पर अब इसके अत्यधिक महँगे होने के कारण कृत्रिम तारों का प्रयोग होता है। विवाह और शुभ अवसरों पर बनारसी साड़ी पहनना आज भी गर्व का प्रतीक है।
शादियों में दुल्हन को आज भी ससुराल पक्ष से बनारसी साड़ी देने का चलन है। बनारसी साड़ी बहुत ही खूबसूरत लुक देता है। ज्यादातर महिलाएं बनारसी साड़ी पहनने पर जुड़ा बना गजरा लगतीं हैं। जिससे खूबसूरती में चार-चांद लगा देती हैं। इसलिए अगर आपको भी लोगों का ध्यान अपनी ओर केंद्रित करना हो तो एक बार बनारसी साड़ी पहनकर देखिए।
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कांजीवरम साड़ी (Kanjeevaram Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/कांचीवरम-साड़ी-770x1024.jpg)
तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनने वाली रेशमी साड़ी को कांजीवरम साड़ी के नाम से जाना जाता है। इन साड़ियों को बनाने में शहतूत के रेशम का प्रयोग किया जाता है। इन साड़ियों का बार्डर और आँचल एक रंग का होता है और बाकी साड़ी दूसरे रंग की।
इसके तीनों हिस्सों को अलग-अलग बुनकर इस प्रकार जोड़ा जाता है कि कोई जोड़ दिखता नहीं। इसे खासकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की महिलाएँ विवाह और शुभ अवसरों पर पहनती हैं। इस साड़ी के साथ गोल्ड इयरिंग डालें फिर देखिए कितनी खूबसूरत लगेंगी। एक कांजीवरम साड़ी हर महिला के पास होनी ही चाहिए। अगर नहीं है तो जरूर लें।
तांतकी साड़ी (Tantki Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/तांतकी-साड़ी.jpg)
बंगाली महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक साड़ी तांत की साड़ी के नाम से जानी जाती है। यह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बुनकरों के द्वारा बुनी जाती है। इसे बनाने के लिए सूती धागों का प्रयोग किया जाता है। इसमें जरी अथवा सूती किनारा होता है।
यह महीन और पारदर्शी होता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि बंगाल में गर्मी बहुत होती है इसलिए यह साड़ी वहाँ की महिलाओं के लिए एक आरामदायक परिधान है। यह बहुत ही हल्का होता है। जो महिलाएं भारी साड़ियां पहनना पसंद नहीं करती उनके लिए तांत की साड़ी स्मार्ट चॉयस होगी।
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सांभलपुरी साड़ी (Sambalpuri Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/संभलपुरी-साड़ी.jpg)
भारतीय संस्कृति और हिन्दू परम्परा में साड़ी महिलाओं का प्रमुख परिधान है। वेस्टर्न कपड़े चाहे जितना पहन लो लेकिन लड़कियां सबसे ज्यादा खूबसूरत साड़ी में ही लगती है। शादी-ब्याह हो या पूजा-पाठ हर जगह आज भी साड़ी पहनना का ही ट्रेंड है। लेकिन क्या आपको पता है कि साड़ियां कितने तरह के होते हैं और उनकी क्या खासियत है। अगर नहीं तो आज हम आपको ऐसी ही आठ साड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्हें हर महिला अपनी अलमारी में रखना चाहेंगी। और इन तरह की साड़ियां घर में होनी ही चाहिए। तो चलिए जानते हैं वो कौन-सी आठ साड़ियां हैं।
बनारसी साड़ी (Banarasi Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/Banarsi-Saree-1.jpg)
यह बनारस और उसके आस-पास के शहरों में बनाई जाती है। प्राचीन काल में इन साड़ियों में सोने और चाँदी के तार का काम हुआ करता था। पर अब इसके अत्यधिक महँगे होने के कारण कृत्रिम तारों का प्रयोग होता है। विवाह और शुभ अवसरों पर बनारसी साड़ी पहनना आज भी गर्व का प्रतीक है।
शादियों में दुल्हन को आज भी ससुराल पक्ष से बनारसी साड़ी देने का चलन है। बनारसी साड़ी बहुत ही खूबसूरत लुक देता है। ज्यादातर महिलाएं बनारसी साड़ी पहनने पर जुड़ा बना गजरा लगतीं हैं। जिससे खूबसूरती में चार-चांद लगा देती हैं। इसलिए अगर आपको भी लोगों का ध्यान अपनी ओर केंद्रित करना हो तो एक बार बनारसी साड़ी पहनकर देखिए।
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कांजीवरम साड़ी (Kanjeevaram Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/कांचीवरम-साड़ी-770x1024.jpg)
तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनने वाली रेशमी साड़ी को कांजीवरम साड़ी के नाम से जाना जाता है। इन साड़ियों को बनाने में शहतूत के रेशम का प्रयोग किया जाता है। इन साड़ियों का बार्डर और आँचल एक रंग का होता है और बाकी साड़ी दूसरे रंग की।
इसके तीनों हिस्सों को अलग-अलग बुनकर इस प्रकार जोड़ा जाता है कि कोई जोड़ दिखता नहीं। इसे खासकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की महिलाएँ विवाह और शुभ अवसरों पर पहनती हैं। इस साड़ी के साथ गोल्ड इयरिंग डालें फिर देखिए कितनी खूबसूरत लगेंगी। एक कांजीवरम साड़ी हर महिला के पास होनी ही चाहिए। अगर नहीं है तो जरूर लें।
तांतकी साड़ी (Tantki Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/तांतकी-साड़ी.jpg)
बंगाली महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक साड़ी तांत की साड़ी के नाम से जानी जाती है। यह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बुनकरों के द्वारा बुनी जाती है। इसे बनाने के लिए सूती धागों का प्रयोग किया जाता है। इसमें जरी अथवा सूती किनारा होता है।
यह महीन और पारदर्शी होता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि बंगाल में गर्मी बहुत होती है इसलिए यह साड़ी वहाँ की महिलाओं के लिए एक आरामदायक परिधान है। यह बहुत ही हल्का होता है। जो महिलाएं भारी साड़ियां पहनना पसंद नहीं करती उनके लिए तांत की साड़ी स्मार्ट चॉयस होगी।
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सांभलपुरी साड़ी (Sambalpuri Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/संभलपुरी-साड़ी.jpg)
यह एक पांरपरिक परिधान है हथकरघे पर बुना जाता है। यह संबलपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बनती है। इसमें ताना और बाना के धागे बुनाई से पहले रंग लिए जाते हैं। इसमें आमतौर पर शंख, चक्र, फूल आदि बनते हैं। यह अधिकतर सफेद, लाल, काले, नीले रंगों की होती है। यह बाँधाकला (टाई-डाई) की पारंपरिक शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।
पैठणी साड़ी (Paithani Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/पैंठणी-साड़ी.jpg)
महाराष्ट्र के पैठण शहर में बनने के कारण इस साड़ी को पैठणी के नाम से जाना जाता है। यह भारत की सबसे महंगी साड़ियों में से एक है। यह उच्चकोटि के महीन रेशम से बनती है। इसकी विशेषता इसके मोर की अनुकृति वाले पल्लू होते हैं। यह एक रंगी तथा बहुरंगी होती है। इसमें सुनहरे तारों का भी प्रयोग किया जाता है।
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बाँधाकला साड़ी (Bandhikala Saree)
![](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2022/02/बाँधाकला-683x1024.jpg)
यह एक पांरपरिक परिधान है हथकरघे पर बुना जाता है। यह संबलपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बनती है। इसमें ताना और बाना के धागे बुनाई से पहले रंग लिए जाते हैं। इसमें आमतौर पर शंख, चक्र, फूल आदि बनते हैं। यह अधिकतर सफेद, लाल, काले, नीले रंगों की होती है। यह बाँधाकला (टाई-डाई) की पारंपरिक शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।
पैठणी साड़ी (Paithani Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/पैंठणी-साड़ी.jpg)
महाराष्ट्र के पैठण शहर में बनने के कारण इस साड़ी को पैठणी के नाम से जाना जाता है। यह भारत की सबसे महंगी साड़ियों में से एक है। यह उच्चकोटि के महीन रेशम से बनती है। इसकी विशेषता इसके मोर की अनुकृति वाले पल्लू होते हैं। यह एक रंगी तथा बहुरंगी होती है। इसमें सुनहरे तारों का भी प्रयोग किया जाता है।
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बाँधनी साड़ी (Bandhani Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/बाँधनी-साड़ी.jpg)
इसे बंधेज साड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह साड़ी गुजरात और राजस्थान में बनती है। बंधनी का अर्थ है ‘बाँधना’। साड़ी को छोटे-छोटे बंधनों में बाँध कर रंग-बिरंगे रंगों से रंगा जाता है। यह साड़ियाँ लोकप्रिय है। यह किसी भी अवसर पर पहनी जा सकती हैं। यह देखने में खूबसूरत के साथ-साथ बहुत ही आरामदायक भी होता है।
चिकनकारी साड़ी (Chikankari Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/चिकनकारी-साड़ी.jpg)
मुगलों द्वारा आरंभ की गई लखनऊ की प्राचीन पारंपरिक कढाई की कला को ’चिकेन’ कहा जाता है। प्रारंभ में यह कढाई मलमल के सफेद कपड़े पर होती थी। इस कढाई की प्रमुख विशेषता इसके टाँके हैं। जिसे बहुत ही नफासत और कलात्मक तरीके से बनाया जाता है। अब रेशम, शिफाॅन, नेट आदि कपड़ों पर भी चिकेन का काम होने के साथ ही रंगीन कपड़ों पर यह कढाई होने लगी है। आरामदायक साड़ी होने के कारण महिलाएं काफी पसंद करती है।
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बालूचरी साड़ी (Baluchari Saree)
![हर भारतीय नारी के अलमारी में ये 8 प्रकार की साड़ी जरूर होनी चाहिए](https://www.newsbatao.com/wp-content/uploads/2020/11/बालूचरी-साड़ी-602x1024.jpg)
प्रसिद्ध बालूचरी साड़ी मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में बनती हैं। इसे बनने में 7 से 10 दिन लगते हैं और एक साड़ी बनाने के लिए दो लोग लगते हैं। इन साड़ियों पर रेशम के महीन धागों के द्वारा पौराणिक कथाओं के दृश्य बनाए जाते हैं। यह साड़ी भी बहुत महंगी होती है। शादी-विवाह के अवसरों पर इस साड़ी को महिलाएं पहनती हैं। तो ये थे राज्य की कुछ खास तरह की साड़ियां। इसे आप भी किसी भी आयोजन में पहने और भीड़ से बिल्कुल अलग दिखे।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
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