इक्कीसवीं सेंचुरी को बीमारियों के लिहाज से स्वर्ण युग कह सकते है। आजकल बीमारियों में जॉइंट्स पेन की समस्या अपने चरम पर हैं। जॉइंट्स से हमारा मतबल है शरीर का वो हिस्सा जहां दो या दो से अधिक हड्डियों का मिलन होता है। मसलन घुटना, कमर या कलाई वगैरह।
हम आज जानेंगे कि वे कौन-सी गलत आदते हैं जिसके चलते हमारे जॉइंट्स पेन से परेशान होते हैं और फिर दर्द की समस्या होने लगती है। आज हम आपको आपकी सात ऐसी आदतों के बारे में बताएंगे जो जॉइंट्स पेन के लिए जिम्मेदार बनते हैं।
अगर आप अपनी आदतों में थोड़ा-सा सुधार कर लें तो किसी भी प्रकार की जॉइंट्स समस्या नहीं आएगी। अगर आप इन बातों का पालन करते हैं तो फिर एक लंबा स्वस्थ और पीड़ा रहित जीवन जी सकते हैं।
गलत जूते और चप्पल पहनना
घुटने और कमर के जोड़ों के लिए ऊंची हील के जूते-चप्पल या सैंडल पहनना घातक है। हम जब लंबे समय तक ऊंची हील के जूते-सैंडल पहनते हैं तो वे हमारे जॉइंट्स को हानि पहुँचाते हैं और जॉइंट्स में दर्द पैदा करते हैं।
इतना ही नहीं घिसे हुए सोल वाले चप्पल या जूते पहनने से भी इन जॉइंट्स को नुकसान पहुंचता है। ऐसे जूते-चप्पल पहनने से शारीरिक बैलेंस बिगड़ता है। इसलिए हमें समतल या पैरों के आकार को सपोर्ट करने वाले जूते या सैंडल ही पहनना चाहिए ताकि घुटने, टखने या कमर के दर्द से बचा जा सके।
अगर आपको कुछ ही दिनों पहले टखने, घुटने और कमर में दर्द शुरू हुआ है और आपने हाल ही में नया जूता या सैंडल खरीदा है तो बहुत अधिक संभावना है कि यह उसी कारण हो रहा हो। अगर ऐसा है तो आपको तुरंत अपने जूतों या चप्पलों को बदल कर देखना चाहिए। बहुत संभावना है कि ऐसा करने से जॉइंट्स पेन से आराम मिल जाए।
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मोबाइल फोन एक समस्या
जॉइंट्स पेन के कारणों में एक मोबाइल भी है। मोबाइल आने के बाद कई तरह के जॉइंट्स पेन में बढ़ोतरी हुई है। इसमें प्रमुख हैं- कलाई के जॉइंट्स का दर्द, अंगूठे का दर्द, उंगलियों के जॉइंट्स का दर्द और गर्दन दर्द। हमेशा मोबाइल यूज करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि हम अंगूठे से कम-से-कम टाइपिंग करें।
अगर आपको इन जॉइंट्स में दर्द का एहसास हो रहा हो तो आपको टाइपिंग के बजाए वॉइस टेक्स्ट का उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी कलाई, अंगूठे और उंगलियों के जॉइंट्स को राहत मिलेगी। मोबाइल को इस्तेमाल करते समय गर्दन को अधिक न झुकाएं।
गर्दन को झुकाने से हमारी स्पाइन का कर्व गड़बड़ाता है जिससे गर्दन के दर्द बढ़ावा मिलता है। इसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलॉसिस कहते हैं। रोगी को इसमें गर्दन और हाथों में दर्द, हाथों में सुन्नपन, हाथों में गर्मी और हाथों में झनझनाहट महसूस होता है। यह इसके प्रमूख लक्षणों में हैं। मोबाइल उपयोगकर्ताओं को इसलिए चाहिए कि वे अपने मोबाइल का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें।
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गलत तरीके से वजन उठाना
जब हम कोई भारी जीच गलत तरीके से उठाते हैं तो उसका सबसे बड़ा असर कमर और कंधों पर पड़ता है। भारी चीज गलत तरीके उठाने से शरीर के इन दोनों हिस्सों में दर्द हो सकता है। क्योंकि ऐसा करने से हमारे स्पाइन का कर्व गड़बड़ हो जाता है। यह स्लिप डिस्क या सर्वाइकल स्पोन्डिलॉसिस या साइटिका जैसे दर्द जन्म दे सकता है।
आगे झुक कर भारी वजन उठाने से कमर में पेन हो सकता है। यह चीजें कमर दर्द के लिए एक आम वजह में से एक है। ऐसे में हमें चाहिए कि हम आगे झुक कर वजनी सामान न उठाएं। खासकर सोफा, पानी की बाल्टी, अनाज की बोरी, गैस सिलेंडर, शटर गेट वगैरह। क्योंकि अधिकांश स्लिप डिस्क केस इन्हीं कारणों से होते हैं।
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धूप से दूरी बनाकर रखना
सूरज के धूप से दूरी भी जॉइंट्स पेन को उतन्न करने वाले कारणों में से एक बड़ी वजह है। क्योंकि हड्डियों स्वस्थ रखने के लिए विटामिन-डी की जरूरत होती है। और ये हमें धूप से मिलता है। अगर हम धूप में न बैठे या बाहर धूप में बाहर न निकले तो शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाएगी जिसके चलते हमारी हड्डियां और जॉइंट्स कमजोर हो जाएंगे।
अगर हम बहुत लंबे समय तक धूप से दूर रहते हैं तो हमें ओस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए हमें हर दिन कम-से-कम आधा घंटा धूप में रोजाना बैठना चाहिए।
सोने का गलत तरीका
सोने के गलत तरीकों से भी जॉइंट्स पेन होता है। यह जॉइंट्स पेन की बड़ी वजहों में से एक है। अगर हम ऊंचा तकिया लगाकर सोने के आदी हैं तो यह आदत हमारी गर्दन के कर्व को बिगाड़ सकता है और दर्द को उतन्न कर सकता है।
ऐसा करने से सर्वाइकल स्पोन्डिलॉसिस जैसी समस्याएं आती हैं। बहुत नर्म गद्दे का बिस्तर भी लगाना हमारी रीढ़ के लिए बेहद नुकसानदेह जीच है। पेट के बल सोना कंधों के दर्द, पसलियों और गर्दन के दर्द को जन्म दे सकता है।
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योग और एक्सरसाइज से दूरी
हमें सोकर उठने के बाद स्ट्रेचिंग करना चाहिए। स्ट्रेचिंग करने से हमारी मसल्स और जॉइंट्स अपनी सही स्थिति में आ जाते हैं। और फिर हमारे मसल्स अपने दैनिक कार्यों में लग जाते हैं। अगर ऐसा नहीं किया जाए तो जॉइंट्स गलत स्थिति में रहकर काम करते हैं। लेकिन आगे चलकर रीढ़ के कार्य और अन्य जोड़ों में विकृति उत्पन्न करते हैं। इतना ही नहीं आगे चलकर ये दूसरे तरह के जोड़ों के दर्द में परिवर्तित हो जाते हैं।
जॉइंट्स के दर्द के लिए आराम तलब जिंदगी भी जिम्मेदार है। एक व्यक्ति जो रोजाना 5,000 कदम से कम चलता है उस चलने वाले व्यक्ति के मुकाबले जॉइंट्स पेन होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए हमें चाहिए कि रोजाना चहलकदमी करें। शरीर को सिथिल होने से बचाएं। हम जितना योग, एक्सरसाइज या चलना फिरना करेंगे उतनी ही स्वस्थ रहेंगे।
हमें अपने शरीर के जोड़ों और मांस पेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाने के लिए रोजाना योग और कसरत करना चाहिए। जो लोग शारीरिक थकान वाले काम नहीं करते हैं उन्हें जोड़ों की समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम रोजाना कम-से-कम 30 मिनट योग और कसरत करें। अगर नहीं कर सकते तो बाहर टहलने निकल जाएं। आरामतलबी से दूर रहें।
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गलत पॉश्चर में बैठकर काम करना
बहुत लंबे समय तक कुर्सी पर कम्प्यूटर के आगे या कोई दूसरे ऑफिस वर्क करना सेहत के लिए नुकसानदेह है। लम्बे समय तक बैठे रहने या गलत पॉश्चर में बैठने से भी हमारी रीढ़ की हड्डियों पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमारी गर्दन, कंधों, हाथों, कमर और उंगलियों में पेन होने लगता है। अगर आपका जॉब ऐसा है जिसमें कि लंबे समय तक बैठना पड़ता है तो फिर आपको चाहिए कि आप कुछ घंटों के अंतराल से गर्दन की एक्सरसाइज करें, थोड़ी-सी चहलकदमी करें।
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