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हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी दलों में विभाजित क्यों? प्रेमचंद का आलेख
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हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी दलों में विभाजित क्यों? प्रेमचंद का आलेख

दिलों में गुबार भरा हुआ है, फिर मेल कैसे हो। मैली चीज पर कोई रंग नहीं चढ़ सकता, यहां तक कि जब तक दीवाल साफ न हो, उस पर सीमेंट का पलस्तर भी नहीं ठहरता।

सबकुछ बिकने और बेचे जाने के दौर में फिल्म ‘मंथन’ देखनी चाहिए
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सबकुछ बिकने और बेचे जाने के दौर में फिल्म ‘मंथन’ देखनी चाहिए

सहकारिता समाजवाद का गोमुख है। एक समतावादी समाज का निर्माण उसके सदस्यों के पारस्परिक सहयोग और भाईचारा से ही सम्भव है। प्राकृतिक संसाधनों और उससे निर्मित उत्पादों का नियंत्रण एवं नियमन समाज के सदस्यों द्वारा किए जाने पर ही प्रत्येक व्यक्ति को उसके योगदान के अनुरूप प्रतिफल प्राप्त हो सकता है। सभ्यता के प्रारंभिक मंज़िल...

फिल्म ‘तीसरी कसम’ : न कोई इस पार हमारा, न कोई उस पार
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फिल्म ‘तीसरी कसम’ : न कोई इस पार हमारा, न कोई उस पार

रेणु की चर्चित कहानी ‘तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफ़ाम’ पर आधारित फिल्म ‘तीसरी कसम'(1966) की काफ़ी चर्चा होती रही है। फिल्म के निर्माता गीतकार शैलेन्द्र थे।उन्होंने बहुत उत्साह और जोख़िम से फिल्म का निर्माण कराया था, मगर अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर काफ़ी आहत भी हुए थे, जिसकी एक अलग कहानी है। कहानी और...

छुआछूत और जातिवाद पर आधारित बिमल रॉय की फिल्म ‘सुजाता’ क्यों देखनी चाहिए
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छुआछूत और जातिवाद पर आधारित बिमल रॉय की फिल्म ‘सुजाता’ क्यों देखनी चाहिए

अश्पृश्यता मानव समाज के लिए कलंक रही है। किसी व्यक्ति को जन्म के आधार पर हीन अथवा कमतर समझना जितना अमानवीय है, ऐसी व्यवस्था के औचित्य के लिए तर्क गढ़ना उतना ही कुत्सित। सामंती समाजों के दौर में इसका चेहरा अत्यंत घिनौना था; औद्योगिक पूंजीवादी दौर में इसमें उल्लेखनीय कमी अवश्य आई, मगर इसमें संविधान...

गुरु दत्त साहब जैसा अद्वितीय शैलीकार, रचनाकार और कलाकार कोई दूसरा न हुआ
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गुरु दत्त साहब जैसा अद्वितीय शैलीकार, रचनाकार और कलाकार कोई दूसरा न हुआ

“अल गैहान का एक शजरपरवाज भरती हयातअहद के उस रजनीऐसा खोया कीउसकी फिर सहर न हो सकीउसे तो ‘प्यासा’ जाना था छोड़कर” जी हाँ! हम बात कर रहे हैं अद्वितीय शैलीकार, रचनाकार, कलाकार, गुरु दत्त साहब की। नर्तक, कोरियोग्राफर से होते हुए लेखक, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक के बहुविध कला यात्रा के मुक्कमल यात्री की। आज...

सोशल मीडिया पर FREE के चक्कर में कहीं प्रोडक्ट तो नहीं बनते जा रहे हैं आप?
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सोशल मीडिया पर FREE के चक्कर में कहीं प्रोडक्ट तो नहीं बनते जा रहे हैं आप?

कोरोना के बढ़ते मामले और ऐप्स और ऑनलाइन चीजों पर बढ़ती हमारी निर्भरता किस हद तक हमें कमजोर कर रही है इसका अंदाजा हममें से शायद ही कुछ लोग लगा पाते हों। हाल ही में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक, हम भारतीय अपने दिन के 4.42 घंटे यानी तकरीबन 265.2 मिनट सोशल मीडिया का इस्तेमाल...

फिल्मों में मुसलमान और अरब को आमतौर पर बदमाश दिखाने की परम्परा क्यों रही है?
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फिल्मों में मुसलमान और अरब को आमतौर पर बदमाश दिखाने की परम्परा क्यों रही है?

बॉलीवुड में मुसलमान करैक्टर को आमतौर पर विलेन या बदमाश दिखाने की परम्परा रही है। हालांकि, हॉलीवुड जो अपने आपको सबसे मैच्योर कहता है इस दकियानूसी से परे नहीं है। कई लोगों को लगता है कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर 9/11 हमले के बाद से ये शुरू होता है। लेकिन यह सोच सही...

ममता बनर्जी क्यों कर रही हैं कांग्रेस पर हमला? ये है असल राजनीति
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ममता बनर्जी क्यों कर रही हैं कांग्रेस पर हमला? ये है असल राजनीति

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीते कुछ दिनों से लगातार कांग्रेस पर हमले कर रही हैं। ममता जहां भाजपा पर कम हमले करती हैं। वहीं, कुछ दिनों से कांग्रेस पर अधिक अटैक कर रही हैं। दूसरी तरफ, मीडिया उनको अधिक कवरेज दे रहा है। मीडिया उन्हें लगातार कांग्रेस के विकल्प के रूप में तैयार...

संस्मरण: विद्याभूषण द्विवेदी जिन्हें बिहार का सफदर हाशमी कहते थे
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संस्मरण: विद्याभूषण द्विवेदी जिन्हें बिहार का सफदर हाशमी कहते थे

लगभग दो महीने रहने के पश्चात 16 जुलाई, 1996 को विद्याभूषण द्विवेदी वापस दिल्ली जा रहे थे। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) का प्रथम वर्ष पूरा करने के पश्चात वे गर्मी की छुट्टियों में पटना आए थे। पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म न. 2 पर उनके चाहने वाले उन्हें विदा करने पहॅंचे थे। खासी संख्या में प्रेरणा...

फिदेल कास्त्रो की पुण्यतिथि: अगर क्यूबा गिरा तो हम सब गिर जाऐंगे
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फिदेल कास्त्रो की पुण्यतिथि: अगर क्यूबा गिरा तो हम सब गिर जाऐंगे

आज 25 नवम्बर है। पांच वर्ष पूर्व आज ही के दिन क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति तथा लैटिन अमेरिका सहित समूची दुनिया में क्रांतिकारी शक्तियों के प्रतीक पुरुष फिदेल कास्त्रो का नब्बे साल की उम्र में निधन हो गया था। फिदेल कास्त्रो के बाद क्यूबा में साम्रजावादी ताक़तें खुले रूप से वहां की कम्युनिस्ट सरकार को...