ममता बनर्जी क्यों कर रही हैं कांग्रेस पर हमला? ये है असल राजनीति

ममता बनर्जी क्यों कर रही हैं कांग्रेस पर हमला? ये है असल राजनीति

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीते कुछ दिनों से लगातार कांग्रेस पर हमले कर रही हैं। ममता जहां भाजपा पर कम हमले करती हैं। वहीं, कुछ दिनों से कांग्रेस पर अधिक अटैक कर रही हैं। दूसरी तरफ, मीडिया उनको अधिक कवरेज दे रहा है।

मीडिया उन्हें लगातार कांग्रेस के विकल्प के रूप में तैयार करने में लगा है। ममता गोवा में चुनाव लड़ने जा रही हैं जहां उनकी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति वहां काफी मजबूत है। कुछ लोगों का मानना है कि उनके वहां जाने से कांग्रेस को सीधे नुकसान होगा।

ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा कि कोई यूपीए जैसा विपक्ष नहीं है। उनसे जब पिछले दिनों पूछा गया था कि वह दिल्ली आईं लेकिन सोनिया गांधी से क्यों नहीं मिली जबकि प्रधानमंत्री मोदी से जाकर मुलाकात किया। इस पर उन्होंने दो टूक कहा कि हरबार मिलना जरूरी है क्या!

पिछले दिनों वह हिंदुत्वादी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से मिली जो उनकी अपनी गढ़ी सेक्यूलर छवि से एकदम उलट था। हालांकि, भले ममता बनर्जी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं से मिल रही हैं और यूपीए से उलट एक गठबंधन बनाने का संकेत दे रही हैं; लेकिन वो महंगाई और संसद की लड़ाई जैसे मुद्दों पर कांग्रेस के सामने कहीं नहीं टिकती हैं।

वह दो-तीन महीने में कुछ दिनों के लिए दिल्ली आती हैं और मीडिया में छा जाती हैं। फिर अचानक गायब हो जाती है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की जितनी भी आलोचना की जाए लेकिन वह बीते कुछ महीनों से सड़कों और सामाजिक सरोकार वाले मुद्दों पर दिख रही है। जबकि ममता विपक्ष पर हमले के अलावा धरातल के मुद्दों पर कहीं नजर नहीं आतीं।

ममता के रवैये पर कई लोगों को शक हो रहा है। अब राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कह दिया है कि कांग्रेस का लक्ष्य बीजेपी को हराना पर ममता जैसे लोग बीजेपी को दिल्ली केंद्र में सत्ता में बने रहने में मदद कर रहे हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ममता बनर्जी पूरी तरह से गलत हैं कि यूपीए का अस्तित्व नहीं है। राहुल गांधी पर निजी हमले करना भी गलत है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कही नजर नहीं आते हैं वो गलत है। कांग्रेस सभी मुद्दों को उठा रहा है और सभी जगहों पर लड़ रहा है। हमारा लक्ष्य है बीजेपी को हराना लेकिन कुछ इस पार्टी की मदद कर रहे हैं।

खड़गे ने कहा कि हमने कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर हमने टीएमसी को साथ लाने की कोशिश की। विपक्ष को बंटना नहीं चाहिए और न ही आपस में लड़ना चाहिए। हमें बीजेपी के खिलाफ एक साथ लड़ना है।

ममता बनर्जी जिस तरह से विपक्षी दलों की मीटिग में शामिल नहीं होतीं उससे शक पैदा होता है। बीते संसद सत्रों में मायावती ने कुछ इसी तरह का रूख अपनाया था और केंद्र सरकार के बजाए कांग्रेस पर टार्गेट करना शुरू किया। नतीजा सबके सामने हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि ममता और मायावती के अभी एक जैसे हालात हैं। दोनों को ईडी और सीबीआई का भय है। मायावती के खिलाफ जहां आय से अधिक संपत्ति रखने की जांच चल रही है। वहीं, ममता के भतीजे पर केंद्रीय जांच एजेंसियां शिकंजा कसे हुई हैं।

मायावती पर भाजपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखने के आरोप ऐसे ही नहीं लगते रहे हैं। कहा जाता है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के दबाव के चलते मायावती बीजेपी के खिलाफ खुलकर नहीं बोलती हैं।

इसके अलावा कुछ राजनीतिकार मायावती को अपने बेस वोटबैंक पर भरोसा अब नहीं रहने की बात भी कहते हैं। क्योंकि मायावती के वोटबैंक का बड़ा हिस्सा भाजपा की तरफ शिफ्ट हुआ है। मायावती के जमीन पर उतरकर राजनीति नहीं करती हैं। यहां तक कि उनकी पार्टी के बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ताओं को भी बिना अनुमति के धरना-प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं है।

मायावती पहले ही अपने भाई आनंद कुमार और उनके बेटे आकाश आनंद के कंधों पर बहुजन समाज पार्टी की भार रख चुकी हैं। वह जानती है कि अगर वह भाजपा पर हमले करती हैं या उसके विरोध में जाती हैं तो लालू यादव की तरह उन्हें भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना होगा। इसके बाद देखते ही देखते उनकी छवि अपराधी जैसी हो जाएगी।

मायावती की तरह ही ममता की भी यही परेशानी है। प्रवर्तन निदेशालय तीन महीने पहले उनके भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा को पूछताछ के लिए बुलाया था। तब ईडी ने दोनों से बैंक डिटेल भी मांगे थे।

ईडी ने अभिषेक को कोयला घोटाले मामले में पूछताछ के लिए 6 सितंबर को तलब किया था। जबकि उनकी पत्नी को 1 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया गया था। उन दोनों के अलावा तीन अन्य लोगों को भी समन जारी किया गया था।

अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनी में ऐसी कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों से फंड ट्रांसफर करवाए हैं जो कोयला घोटाले में शामिल रहे हैं। आरोप यह भी हैं कि फंड के एवज में उन कंपनियों से बोगस अग्रीमेंट करवाए गए थे। अभिषेक के पिता अमित बनर्जी भी उनमें से एक कंपनी में डायरेक्टर हैं। कोयला घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है।

बताया जाता है कि रुजिरा बनर्जी की कंपनी लीप्स एंड बाउंड्स मैनेजमेंट सर्विसेज एल.एल.पी. संदेह के घेरे में है, इसके कुछ बैंकिंग ट्रांजैक्शन्स पर सीबीआई और ईडी को शक है। अभिषेक बनर्जी ने ये कंपनी अपनी माँ लता के नाम पर बनाई थी।

दूसरी कंपनी उन्होंने मार्च 2017 में बनाई थी। इन कंपनियों में उनकी पत्नी, साली और पिता अमित बनर्जी पार्टनर और निदेशक हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो ममता बनर्जी के रवैये में जो बदलाव आया है उसके पीछे भ्रष्टाचार है।

ममता भी जानती हैं कि भले उन्होंने प्रदेश चुनाव में भाजपा को धुल चटा दी हो लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसियों से पार पाना उनके लिए मुश्किल है। ममता के पास एक ही विकल्प है कि या तो वह मजबूत हो रही कांग्रेस पर हमले कर उसे कमजोर करें ताकि भाजपा पूरानी स्थिति में बनी रहे। या फिर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करें।


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