कोरोना के बढ़ते मामले और ऐप्स और ऑनलाइन चीजों पर बढ़ती हमारी निर्भरता किस हद तक हमें कमजोर कर रही है इसका अंदाजा हममें से शायद ही कुछ लोग लगा पाते हों। हाल ही में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक, हम भारतीय अपने दिन के 4.42 घंटे यानी तकरीबन 265.2 मिनट सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए बिता देते हैं। जिन्दगी के लगभग पांच घंटे यूं जाया करना कितना वाजिब है इसका फैसला आप खुद कर सकते हैं।
हाल ही में इसी इंटरनेट पर समय बिताते हुए मैंने कुछ ऐसा पढ़ा जो बेहद झकझोरने वाला था। इसमें लिखा था कि नेटफ्लिक्स आप से 499 रुपये नहीं लेता बल्कि वो आपका समय लेता है। कोक की कीमत 30 रुपये नहीं है बल्कि वो आपके हेल्थ की कीमत लगाता है। और सोशल मीडिया फ्री नहीं है बल्कि यह आपके फोकस यानी ध्यान खींच लेता है। इन चीजों में हमेशा कुछ-न-कुछ कीमत छिपी होती है। इसलिए हमेशा एक गोल्डेन मैनेजमेंट कोट्स याद रखें- “जब कुछ फ्री मिल रहा हो तो प्रोडक्ट आप हैं।”
ऐप्स डाउनलोड करने में भारत दूसरे नंबर पर

आप और हम इंटरनेट पर ऐसे सैकड़ों चीजें पढ़ते हैं और स्वाइप अप कर आगे निकल जाते हैं, लेकिन क्या सच में इंटरनेट की हमारे जिन्दगी में इतनी दखलअंदाजी हो गई है कि हम अपने कीमती समय का एक चौथाई हिस्सा हर रोज मोबाइल और लैपटॉप पर स्वाइप और स्क्रॉल करने में जाया कर दे रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो हम पूरी दुनियाभर में (2021 में) दूसरे सबसे ज्यादा ऐप्स डाउनलोड करने वाले देश हैं। इसके अनुसार पूरी दुनिया में हुए ऐप डाउनलोड्स में से 11.6% ऐप सिर्फ भारतीयों ने डाउनलोड किया है।
मार्केट रिसर्च फर्म ऐप ऐनी स्टेट ऑफ मोबाइल 2022 के रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सिर्फ ऐप डाउनलोड करने में ही आगे नहीं रहे बल्कि स्मार्टफोन यूज करने के मामले में भी पांचवें पोजिशन पर रहे। रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति ने स्मार्टफोन पर प्रतिदिन 4 घंटे 42 मिनट खर्च किए। भारत इस मामले में ब्राजिल और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से पीछे रहा। लेकिन मोबाइल फोन के इस्तेमाल के मामले में सिंगापुर, अमेरिका और चीन जैसे देशों से आगे रहा। इसके साथ ही और भी कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जो आपको अपने फोन के इस्तेमाल करने को लेकर सोचने पर मजबूर कर देंगे।
भारतीयों ने 69990 करोड़ घंटे किए खर्च

अगर हम बात करें एंड्रॉयड डिवाइस पर मोबाइल ऐप्स और गेम्स पर बिताए गए पूरे समय की तो भारतीयों के फोन करने के इस्तेमाल में कुल 6 प्रतिशत की साल-दर-साल बढ़ोतरी हुई है और हमने 2021 में कुल 699.9 बिलियन ( 69990 करोड़) घंटे फोन इस्तेमाल किया है। इस मामले में हम सिर्फ चीन से पीछे हैं जिसके आंकड़ों में 3.4 प्रतिशत की कमी आई है और चीन ने पूरे साल में कुल 1.12 ट्रिलियन घंटे मोबाइल ऐप्स और गेम्स पर खर्च किए हैं।
सबसे ज्यादा समय फोटो और वीडियो ऐप्स पर खर्च
रिसर्च फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में लोगों ने हर 10 मिनट में से 7 मिनट सोशल मीडिया और वीडियो ऐप्स पर खर्च किया। भारत में लोगों ने ज्यादा समय हॉटस्टार पर बिताया और इसके साथ ही लोगों ने डेटिंग ऐप टिंडर और प्रोफेशनल सोशल मीडिया लिंक्डइन पर समय बिताया। अगर टॉप वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स की बात करें तो बाइटडांस का शॉर्ट-वीडियो ऐप टिकटॉक टॉप थ्री मोस्ट डाउनलोडेड ऐप्स में से रहा। हालांकि, भारत में यह ऐप बैन है लेकिन इसकी जगह कई अन्य शॉर्ट वीडियो ऐप्स ने ले ली है जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं और इनपर काफी समय बिताते हैं।
कहीं एल्गोरिद्म के मायाजाल में न फंस जाएं आप
सोशल मीडिया तम्बाकू के बिजनेस की तरह है जिसकी लोगों को आसानी से लत लग जाती है और यह फायदे का बिजनेस है लेकिन यूजर्स के सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होती है। ऐसा ही हाल सोशल मीडिया का भी है जिसकी लत न तो लोगों के सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है बल्कि और भी कई तरह का नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को में भी रजिस्टर किया गया है जहां एक महिला ने मेटा प्लेटफॉर्म इंक (पुराना नाम फेसबुक इंक) और स्नैप इंक पर अपने बेटी के आत्महत्या का इल्जाम लगाया है। महिला का दावा है कि उसकी बेटी सेलेना दो साल से मेटा के फोटो शेयरिंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम और स्नैप मैसेजिंग ऐप की एडिक्ट हो गई थी और जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली और उसके उसके मौत का कारण ये दोनों ऐप हैं जिसको लेकर महिला ने सैन फ्रांसिस्को फेडरल कोर्ट में मुकदमा भी दर्ज करवाया है।

अगर सोशल मीडिया के इस एडिक्शन की बात करें तो इसके लत का कारण इन प्लेटफॉर्म्स का एडिक्टिव एल्गोरिद्म है जो लोगों को ज्यादा-से-ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताने के लिए मजबूर करता है। फेसबुक जैसे ऐप इंगेजमेंट-बेस्ड रैंकिंग एल्गोरिद्म सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं जो उन पोस्ट्स को लोगों को दिखाता है जो सबसे ज्यादा लाइक्स, कमेंट्स और शेयर्स जेनरेट करते हैं।
इस तरह के मैकेनिज्म बच्चों और नौजवानों को नुकसानदायक कंटेंट दिखा सकता है जो बॉडी इमेज इश्यू, मेंटल हेल्थ क्राइसिस और बुलिंग जैसे चीजों को जन्म दे सकता है। इंस्टाग्राम को सफल बनाने में इस ऐप के कुछ फीचर बहुत जबरदस्त तरीके से काम करते हैं और लोगों को इसकी लत लगाने में मदद करते हैं। इसमें से एक फीचर है एक्सप्लोर पेज जो यूजर्स को उनके इंट्रेस्ट के अनुसार क्यूरेटेड पोस्ट दिखाता है। इसमें से ज्यादातर बच्चों और नौजवानों के लिए खतरनाक होते है। टिकटॉक और यूट्यूब भी इसी तरह के एल्गोरिद्म का इस्तेमाल करते हैं जो व्यूवर्स के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
सोशल मीडिया के भ्रम जाल से कैसे बचें?
अगर आप भी उनमें से हैं जो दिन के 4-5 घंटे नेटफ्लिक्स एंड चिल कर और इंस्टाग्राम पर रील देखकर बिता रहे हैं तो आपको इनसे जल्द-से-जल्द दूर होने की जरूरत है। इसके लिए आप डिजिटल डिटॉक्स पर जा सकते हैं। ऐसे में आपको अपने सोशल मीडिया का कम-से-कम इस्तेमाल करना होगा। ऐसा करने के लिए आप अपने फोन के नोटिफिकेशन को बंद कर सकते हैं। सोते समय आपने फोन से दूरी बना कर रख सकते हैं। अपने मॉर्निंग रूटीन से फोन को हटा लें और साथ ही सोशल मीडिया पर अपने एपियरेंस को लेकर ज्यादा चिंता करना छोड़ दें; और ज्यादा-से-ज्यादा समय नई चीजों के खोज में बिताएं।
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