पंचतत्व में विलीन हुईं सुर कोकिला, अंतिम विदाई में दिखा बॉलीवुड का हुजूम

पंचतत्व में विलीन हुईं सुर कोकिला, अंतिम विदाई में दिखा बॉलीवुड का हुजूम

आज सुर कोकिला लता मंगेशकर पंचतत्व में विलीन हो गईं। उन्हें सवा 7 बजे के करीब राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। लता मंगेशकर को 8 जनवरी को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पातल में भर्ती करवाया गया। वह लगभग एक महीने तक भर्ती रहीं। लेकिन रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर उनका निधन हो गया।

लता मंगेशकर का पार्थिव शरीर उनके घर प्रभुकुंज से शिवाजी पार्क लेकर जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहन उषा मंगेशकर शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र भी उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। पंडितों के मंत्र उच्चारण के बीच लता मंगेशकर को उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने मुखग्नि दी।

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फिल्म अभिनेता शाहरुख खान और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी अंतिम विदाई दी। साथ ही गाय‍िका अनुराधा पौडवाल, जावेद अख्तर समेत तमाम हस्त‍ियां भी यहां मौजूद थी। शाहरुख खान ब्लैक मास्क में और उनके बगल में सच‍िन तेंदुलकर सफेद मास्क पहने नजर आ रहे हैं। सभी ने पुष्प अर्पित की।

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अपनी बेटी श्वेता बच्चन के साथ, डायरेक्टर संजय लीला भंसाली, उर्मिला मातोंडकर, सिंगर कविता कृष्णामूर्ति और एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर सुर कोकिला के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए भंसाली पहुंचे। इस दौरान कविता कृष्णामूर्ति ने लता दीदी से जुड़ा किस्सा साझा सुनाया। उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर उनके लिया लकी मैस्कॉट रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 16 साल की उम्र में वह लता मंगेशकर के लिए डब किया करती थीं।

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भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजल‍ि देते हुए गीतकार गुलजार ने नम आंखों से कहा कि लता बहुत दिलदार थीं। वे हमेशा तोहफे देती रहती थीं। लता के निधन पर गुलजार साहब अपनी आंसुओं को रोक नहीं पाए। गुलजार ने कहा है कि वह एक करिश्मा थीं, जिन्हें कुछ शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, “लता जी अपने आप में एक करिश्मा थीं और ऐसे करिश्मे हमेशा नहीं होते और आज ये करिश्मा मुक्कमल हो गया। वह चली गईं। वह करिश्माई आवाज के साथ करिश्माई गायिका थीं। उनके लिए शब्द ढूंढना कठिन है। हम उनके बारे में कितना भी कह लें, कम ही होगा. आप उन्हें शब्दों में नहीं समेट सकते।”

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उल्लेखनीय है कि लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। उन्हें गाने का शौक था और म्यूजिक में उनकी दिलचस्पी भी शुरू से रही थी। लता ने 13 साल की उम्र में पहली बार साल 1942 में आई मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में गाना गाया। हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री साल 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के जरिए हुई। उन्होंने 80 साल के सिंगिंग करियर में अब तक 36 भाषाओं में करीब 50 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। साल 2015 में लता जी ने आखिरी बार निखिल कामत की फिल्म ‘डुन्नो वाय 2’ में गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं।

पहली बार स्टेज पर लता मंगेशकर को गाने के लिए 25 रुपए मिले थे। इसे वह अपनी पहली कमाई मानती हैं। लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपने करियर के रूप में चुना। हृदयनाथ मंगेशकर के साथ लता ने कुछ मराठी गाने भी गाए हैं, जिनमें से फिल्म कामापुर्तामामा में गाया हुआ गाना आशा निशा पुर्ता कढ़ी सबसे फेमस था।

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संगीतकार गुलाम हैदर ने 18 साल की लता को सुना तो उस जमाने के सफल फिल्म निर्माता सशधर मुखर्जी से मिलवाया। शशधर ने साफ कह दिया ये आवाज बहुत पतली है, नहीं चलेगी। फिर मास्टर गुलाम हैदर ने ही लता को फिल्म ‘मजबूर’ के गीत ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में गायक मुकेश के साथ गाने का मौका दिया। यह लता का पहला बड़ा ब्रेक था, इसके बाद उन्हें काम की कभी कमी नहीं हुई। बाद में शशधर ने अपनी गलती मानी और ‘अनारकली’, ‘जिद्दी’ जैसी फिल्मों में लता से कई गाने गवाए।

सुर कोकिला लता मंगेशकर ने शादी नहीं की। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसके बारे में एक दफा बताया था, “घर के सभी मेंबर्स की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। इस वजह से कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी। बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी। बहुत ज़्यादा काम मेरे पास रहता था। साल 1942 में 13 साल की छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया था इसलिए परिवार की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर ऊपर आ गई थीं तो शादी का ख्याल मन से निकाल दिया।”


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