सुर कोकिला से मशहूर जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर का रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें जनवरी महीने की शुरुआत में कोविड संक्रमित होने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करायागया था। कुछ दिन पहले उनकी स्थिति में सुधार हुआ था पर कल खबर आई कि उनकी हालत फिर से बिगड़ गई है। इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्त किया गया था, जहाँ रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर उन्होंने अंतिम साँस ली।
मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टर प्रतीत समदानी ने लता मंगेशकर के निधन की सूचना देते हुए बताया, “आज सुबह 8:12 मिनट पर लता दीदी(लता मंगेशकर) का निधन हो गया है। उनके शरीर के कई अंग खराब हो गए थे। उनका इलाज काफी दिनों से अस्पताल में चल रहा था।”
इससे पहले सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए ट्वीट कर लिखा, ”देश की शान और संगीत जगत की शिरमोर (सिरमौर) स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी का निधन बहुत ही दुखद है। पुण्यात्मा को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणा थीं।”
सब देशवासियों की तरह मेरे लिए भी उनका संगीत बहुत ही प्रिय रहा है, मुझे जब भी समय मिलता है मैं उनके द्वारा गाए गए नगमें जरूर सुनता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को संबल दे। ॐ शांति।
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) February 6, 2022
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”मैं अपने दुख का बयान शब्दों में नहीं कर सकता हूँ। दयालु और सबका ख़्याल रखने वाली लता दीदी हमें छोड़कर चली गईं। लता दीदी की कमी की भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें भारतीय संस्कृति की पुरोधा के तौर पर याद रखेंगी। उनकी आवाज़ में लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली अतुलनीय क्षमता थी।”
I am anguished beyond words. The kind and caring Lata Didi has left us. She leaves a void in our nation that cannot be filled. The coming generations will remember her as a stalwart of Indian culture, whose melodious voice had an unparalleled ability to mesmerise people. pic.twitter.com/MTQ6TK1mSO
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
दूसरे ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लिखा, ”लता दीदी के गाने हर तरह के भावों से लबरेज होते थे। उन्होंने कई दशकों तक भारतीय फिल्म में हुए बदलावों को क़रीब से देखा। फिल्मों से अलग, वह भारत की प्रगति को लेकर हमेशा उत्साहित रहती थीं। वह हमेशा एक मज़बूत और विकसित भारत चाहती थीं।”
Lata Didi’s songs brought out a variety of emotions. She closely witnessed the transitions of the Indian film world for decades. Beyond films, she was always passionate about India’s growth. She always wanted to see a strong and developed India. pic.twitter.com/N0chZbBcX6
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
पीएम मोदी ने तीसरे ट्वीट में लिखा है, ”मेरे लिए ये सम्मान की बात है कि मुझे लता दीदी से अपार स्नेह मिला। उनके साथ हुई बातें मेरे लिए यादगार रहेंगी। मैं लता दीदी के जाने पर भारतीयों के दुख में शामिल हूँ। मैंने उनके परिवार वालों से बात की और श्रद्धांजलि दी। ओम शांति।”
I consider it my honour that I have always received immense affection from Lata Didi. My interactions with her will remain unforgettable. I grieve with my fellow Indians on the passing away of Lata Didi. Spoke to her family and expressed condolences. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
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महान पार्श्वगायिका लता मंगेशकर ने भारत में फिल्म संगीत को एक नई परिभाषा दी थी। उन्हें ‘स्वर साम्राज्ञी’ और भारत की ‘सुर कोकिला’ कहा जाता था। उनका फिल्मी संगीत करियर आधी सदी से भी ज़्यादा लंबा रहा जिसमें उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में 30 हज़ार से ज़्यादा गाने गाए।
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य भारत के शहर इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर भी एक गायक थे। दीनानाथ मंगेशकर थिएटर कलाकार भी थे जिन्होंने मराठी भाषा में कई संगीतमय नाटकों का निर्माण किया।
लता मंगेशकर, अपने पिता की पांच संतानों में सबसे बड़ी थीं। बाद में लता के छोटे-भाई बहनों ने भी उनका अनुसरण करते हुए संगीत की दुनिया में क़दम रखा और आगे चल कर भारत के मशहूर गायक बने।
लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में अपने बचपन को याद करते हुए बताया था कि उनका परिवार शास्त्रीय संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ था। उनके घर में फिल्मी संगीत को पसंद नहीं किया जाता था।
लता मंगेशकर को कभी भी औपचारिक शिक्षा-दीक्षा नहीं मिली। एक नौकरानी ने लता को मराठी अक्षरों का बोध कराया। वहीं, एक स्थानीय पुरोहित ने उन्हें संस्कृत की शिक्षा दी। घर आने वाले रिश्तेदारों और अध्यापकों ने उन्हें दूसरे विषयों को पढ़ाया था।
लता मंगेशकर के परिवार का उस समय बहुत बुरा वक़्त आया, जब उनके पिता के काफ़ी पैसे डूब गए और उन्हें अपनी फिल्म और थिएटर कंपनी को बंद करना पड़ा।
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इसके बाद उनका परिवार इंदौर से पूना (अब पुणे) आ गया। क्योंकि, महाराष्ट्र के सांगली में स्थित उनके पुश्तैनी घर को क़र्ज़ वसूली के लिए नीलाम कर दिया गया था। अपने पिता की मौत के बाद लता मंगेशकर अपने परिवार के साथ बम्बई (अब मुंबई) आ गईं। ये 1940 के दशक की बात है। तब फिल्मों में गाने के लिए गुंजाइश बहुत ज़्यादा नहीं थी। तो, लता मंगेशकर ने परिवार चलाने के लिए अभिनय करना शुरू कर दिया।
लता मंगेशकर ने आठ मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिन भी किया। 1943 में आई मराठी फिल्म गजभाऊ में उन्होंने कुछ लाइनें और कुछ शब्द गाए भी थे। ये फिल्मों में उनका पहला गीत था। 1947 के आते-आते लता मंगेशकर एक्टिंग कर के हर महीने क़रीब 200 रुपए कमाने लगी थीं।
उन्होंने नसरीन मुन्नी कबीर को एक इंटरव्यू में अपने फिल्मी अभिनय के दौर के बारे में कुछ इस तरह बताया था, ”मुझे अभिनय करना कभी पसंद नहीं आया। वो मेक-अप करना, लाइटें, लोगों का आप को निर्देश देना कि ये डायलॉग बोलो और वो बात कहो। इन सब से मैं बहुत असहज महसूस करती थी।”
जब एक बार एक फिल्म निर्देशक ने उन्हें अपनी भौंहे कटवाने को कहा, तो लता मंगेशकर को ज़बरदस्त सदमा लगा। निर्देशक ने कहा था कि उनकी भौंहें बहुत मोटी हैं। लेकिन, लता को निर्देशक की बात माननी पड़ी थी।
लता मंगेशकर ने अपना पहला हिंदी फिल्मी गाना 1949 में आई फिल्म ‘महल’ के लिए गाया था। इस फिल्म में उनकी गायकी की काफ़ी तारीफ़ हुई थी।
फिल्म महल में उनके गाने को मशहूर संगीतकारों ने नोटिस किया और उन्हें मौक़े मिलने लगे। इसके बाद अगले चार दशकों तक लता मंगेशकर ने हिंदी फिल्मों में हज़ारों गाने गाए।
पाकीज़ा, मजबूर, आवारा, मुग़ल-ए-आज़म, श्री 420, अराधना और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी रोमैंटिक फिल्म में भी उन्होंने गाने गाए।
जब लता मंगेशकर ने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में ऐ मेरे वतन के लोगों नाम का गीत गाया था, तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आँखें भी भर आई थीं।
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लता मंगेशकर ने अपने दौर के सभी प्रमुख बॉलीवुड गायकों के साथ गाने गाए थे। फिर चाहे वो मोहम्मद रफ़ी हों या किशोर कुमार। उन्होंने राज कपूर से लेकर गुरुदत्त और मणि रत्नम से लेकर करण जौहर तक कमोबेश हर मशहूर फिल्म निर्देशक के साथ काम किया था।
लता मंगेशकर ऐसी गायिका थीं, जिन्होंने प्लेबैक सिंगिंग में मर्दों को चुनौती दी। उन्होंने मोहम्मद रफ़ी जैसे ख़ुद से ज़्यादा गीत गाने वाले गायकों से ज़्यादा रॉयल्टी और मेहनताना मांगा, जो उन्हें मिला भी।
एक बार लता मंगेशकर ने कहा था, ”मैं आज जो कुछ भी हूं अपनी मेहनत की वजह से हूं। मैंने अपने हक़ के लिए लड़ना सीख लिया है। मुझे किसी से डर नहीं लगता। मैं काफ़ी साहसी हूं। लेकिन मुझे ये उम्मीद कतई नहीं थी कि मुझे आज जितना मिल गया है, उतना कभी मिलेगा।”
बॉलीवुड के मशहूर लेखक और शायर जावेद अख़्तर ने लता मंगेशकर की सुरीली आवाज़ और रूहानी गायकी की तारीफ़ करते हुए कहा, ”उनकी आवाज़ तो मोती जैसी पाक और क्रिस्टल जैसी साफ़ थी।”
एक बार जब लता मंगेशकर से पूछा गया कि बॉलीवुड में उनके कौन से गाने लोकप्रिय थे, तो उन्होंने कहा था, ”मोहब्बत के नग़्मे ज़्यादा लोकप्रिय रहे। हीरोइने भाग रही हैं और हीरो उनके पीछे भाग रहे हैं।” लता मंगेशकर के गाए हुए फिल्मी गानों से इतर भी उनकी गायकी का संकलन बेहद शानदार था।
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