जब अचानक लता मंगेशकर पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा और सबकुछ बदल गया

जब अचानक लता मंगेशकर पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा और सबकुछ बदल गया

बॉलीवुड इंडस्ट्री में लता मंगेशकर नायाब कोहिनूर हैं। लता मंगेशकर का सफर भी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। पिता का हाथ छोटी-सी उम्र में ही उठ गया था। परिवार काफी बड़ा था, घर की बड़ी बेटी लता थीं उनपर ही घर की पूरी जिम्मेदारियां आ गई थीं। उनके स्ट्रगल को लेकर उनकी छोटी बहन मीना मंगेशकर ने बताया था कि लता मंगेशकर ने कितने दुख झेले, 12 साल की उम्र में उन्होंने इतना कुछ देख लिया था। ऐसे में वह उस वक्त काफी बदल गई थीं।

एक इंटरव्यू में मीना मंगेशकर ने कहा था, “लता दीदी के साथ कुछ अजीब-सा रिश्ता है मेरा। सिर्फ बहन का नहीं, मैं उसकी बेटी भी हूं, सब कुछ हूं, मैं बचपन से उसके साथ सांए की तरह घूमती थी। मैं दीदी से सिर्फ दो साल छोटी हूं। जब मेरे बाबा गए तब वो 12 साल की थीं। मैं 10 साल की थी। बाकी सब छोटे थे। बाबा की बीमारी हमने देखी है, हमें पूना आए एक साल हुआ था, 1941 में हम आए थे और बाबा 1942 में चले गए।”

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उन्होंने आगे बताया, “हमें बहुत बड़ा शॉक लगा था। हम सोच में थे कि अब हम क्या करेंगे? तब मैंने देखा कि दीदी 12 साल की नहीं है, दीदी 22 साल की हो गई। दीदी अचानक बड़ी हो गई। उसका हंसना-खेलना, वो मजाक सब गया। अब हमारे ऊपर जिम्मेदारी आ गई।”

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मीना मंगेशकर ने आगे कहा था, “दीदी ने हम लोगों का भार अपने कंधे पर ले लिया, अब वो काम करने लगी। बाबा अप्रैल में गए और दीदी जून से काम करने लगीं। बाबा के लिए रोने का टाइम भी नहीं मिला किसी को।”

परिवार की हालत बयां करते हुए उन्होंने कहा था, “माँ तो एक दम ऐसी हो गई थी कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो हमारे सामने रो भी नहीं सकती थी। उस वक्त हम सब लोग हंसना ही भूल गए थे। हम देख रहे थे कि दीदी का क्या हाल है, वो बस काम करती रही।”

जब अचानक लता मंगेशकर पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा और सबकुछ बदल गया

उन्होंने आगे बताया, “दीदी ने पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर में काम किया, जबकि उन्हें फिल्मों में काम करना पसंद नहीं था। मास्टर विनायक को दीदी की आवाज बहुत पसंद थी। तो जब उन्होंने कोल्हापुर में एक पिक्चर शुरू की तो उन्होंने सोचा कि दीदी को साथ ले जाएं। तो हमारे पूरे परिवार को वो 1943 में कोल्हापुर लेकर गए। तब दीदी ने बहुत काम किया। सवेरे आठ बजे निकल जाती थीं और 10 बजे वापस आती थीं। दीदी धीरे-धीरे ठीक होने लगीं, लेकिन कभी दीदी ने अपने मन का दु:ख हमें नहीं बताया।”

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उल्लेखनीय है कि लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। उन्हें गाने का शौक था और म्यूजिक में उनकी दिलचस्पी भी शुरू से रही थी। लता ने 13 साल की उम्र में पहली बार साल 1942 में आई मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में गाना गाया। हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री साल 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के जरिए हुई। उन्होंने 80 साल के सिंगिंग करियर में अब तक 36 भाषाओं में करीब 50 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। साल 2015 में लता जी ने आखिरी बार निखिल कामत की फिल्म ‘डुन्नो वाय 2’ में गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं।

जब अचानक लता मंगेशकर पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा और सबकुछ बदल गया

पहली बार स्टेज पर लता मंगेशकर को गाने के लिए 25 रुपए मिले थे। इसे वह अपनी पहली कमाई मानती हैं। लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपने करियर के रूप में चुना। हृदयनाथ मंगेशकर के साथ लता ने कुछ मराठी गाने भी गाए हैं, जिनमें से फिल्म कामापुर्तामामा में गाया हुआ गाना आशा निशा पुर्ता कढ़ी सबसे फेमस था।

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संगीतकार गुलाम हैदर ने 18 साल की लता को सुना तो उस जमाने के सफल फिल्म निर्माता सशधर मुखर्जी से मिलवाया। शशधर ने साफ कह दिया ये आवाज बहुत पतली है, नहीं चलेगी। फिर मास्टर गुलाम हैदर ने ही लता को फिल्म ‘मजबूर’ के गीत ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में गायक मुकेश के साथ गाने का मौका दिया। यह लता का पहला बड़ा ब्रेक था, इसके बाद उन्हें काम की कभी कमी नहीं हुई। बाद में शशधर ने अपनी गलती मानी और ‘अनारकली’, ‘जिद्दी’ जैसी फिल्मों में लता से कई गाने गवाए।

सुर कोकिला लता मंगेशकर ने शादी नहीं की। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसके बारे में एक दफा बताया था, “घर के सभी मेंबर्स की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। इस वजह से कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी। बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी। बहुत ज़्यादा काम मेरे पास रहता था। साल 1942 में 13 साल की छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया था इसलिए परिवार की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर ऊपर आ गई थीं तो शादी का ख्याल मन से निकाल दिया।”


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