आटा खरीदना कोई मामूली बात नहीं है। आज कल गेहूं तैयार कर पिसवाने का चलन खत्म हो गया है। खासकर शहरों में। अब लोग सीधे बाजार जाते हैं और बना-बनाया आटा लेकर आ जाते हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को मालूम ही नहीं है कि आटे की क्वालिटी किस बात पर निर्भर करती है।
आज कल बाजार में किस्म-किस्म के आटें उपलब्ध हैं। लोग अपनी डाइट को लेकर पहले से अधिक सतर्क गए हैं। ज्यादातर लोग विज्ञापन देखकर सामान खरीदते हैं। उसमें जो बताया जाता है उसी आधार पर निर्णय लेते हैं। लेकिन उसमें जो नहीं बताया जाता है उस बात पर ध्यान नहीं देते हैं। क्या आपको पता है कि आटे से आपके शरीर पर किस तरह के फर्क पड़ता है या जो आटा आप मार्केट से खरीद रहे हैं वो सही है भी या नहीं।

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गेंहू के प्रकार से लेकर, आटे की न्यूट्रीटिव वैल्यू तक बहुत सारी चीजें है जो काफी मायने रखती हैं। हमें इन सभी महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना चाहिए ताकि हमारे घर में सही आटा आए। अगर आप भी बाजार से आटा खरीदते हैं तो हम आपको कुछ खास टिप्स बताने जा रहे हैं जिसको खरीदारी करते समय जरूर चेक करें-
न्यूट्रीटिव वैल्यू और इंग्रेडिएंट्स
आटा एकदम सफेद दिखे इसके लिए अपने इंग्रेडिएंट्स में कई बड़े ब्रांड्स ब्लीच का इस्तेमाल करते हैं। देखा जाए तो रिफाइंड आटे की जगह पर होल व्हीट या होल ग्रेन आटा अधिक फायदेमंद होता है। क्योंकि उसमें ग्लूटेन भी कम होता है। डाइटरी फाइबर और न्यूट्रिएंट्स से यह भरपूर होता है।
आपको हमेशा आटे की न्यूट्रीटिव वैल्यू को ध्यान रखकर आटा खरीदना चाहिए। भले इसमें थोड़ा समय लगेगा लेकिन ये आपके सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा। जो लोग मोटापे के शिकार हैं या जिन्हें दिल की बीमारी है उन्हें कम ग्लूटन वाला आटा लेना चाहिए। साथ ही एकदम सफेद आटे के पीछे न भागें। क्योंकि जो जितना सफेद होगा वह उतना ही रिफाइंड होगा। जाहिर है अधिक ब्लीच सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
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यहां एक बात का ध्यान रखें, किसी भी ब्रांड्स में ब्लीच इंग्रीडियंट लिस्ट में लिखा नहीं मिलेगा। कंपनियां बहुत चलाकी से ब्लीच की जगह केमिकल नेम लिखती हैं। जैसे- बेंज़ोयल पेरोक्साइड (Benzoyl Peroxide), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (Nitrogen Dioxide) एस्कॉर्बिक एसिड (Axcorbic Acid) नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड (Nitrogen Tetroxide) वगैरह।
आटा पिसाई की तारीख
अपने पैकेट पर कई ब्रांड्स आटे के पिसे जाने की तारीख भी लिखते हैं। जो आटा जितना फ्रेश होगा वह सेहत के लिए उतना अच्छा होगा। इसीलिए गेहूं पिसवा कर आटा बनाना ज्यादा सही होता है। अगर पिसवा पाना संभव नहीं हो तो खरीदारी के समय पिसाई डेट जरूर देखें।
कई बार दो-तीन महीने पहले पिसा आटा भी दुकानदार बेचते हैं और लोग खरीद भी लाते हैं। ये सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। गेहूं का आटा जितना पुराना होता जाता है वो अपनी न्यूट्रीटिव वैल्यू उतना ही खो चुका होता है। इसलिए आटा खरीदते समय पैकेट में लिखी तारीख को बहुत ध्यान से देखें, फिर खरीदें।
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सेहत के हिसाब सेलेक्शन
अगर आपको किसी तरह की बीमारी है और किसी तरह का दवा चल रहा है तो फिर आपको मार्केट से आटा लेते समय सतर्क करना चाहिए। किसी तरह की अन्य शारीरिक दिक्कत या एलर्जी है तो उस हिसाब से ही आटा खरीदना चाहिए। मार्केट में आज कल कई वैराइटी के आटे आते हैं और लोगों को ये समझ नहीं आता है कि उन्हें किस तरह का आटा लेना चाहिए।
लोगों को लगता है कि उनके लिए बाजरे या रागी का आटा अच्छा होगा। क्योंकि यह आज कल ट्रेंड में है। पर ऐसा कोई भी स्टेपल डाइट परिवर्तन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें। कई बार आपको पता नहीं होता कि आपकी बीमारी के हिसाब से अपके शरीर पर किस तरह की चीजों का कैसा रिएक्शन होगा।
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इसलिए ऐसे फैसले लेने से पहले प्रोफेशनल की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आटा खरीदने या बदलने का फैसला लेना बहुत ही आम और आसान बात है, पर शायद आपको ये नहीं पता है कि यह आपकी सेहत पर कितना असर डालेगा। आपको इन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
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