किसानों ने सरकार से पूछा, हम बुराड़ी मैदान ही क्यों जाएं, रामलीला मैदान क्यों नहीं?

किसानों ने सरकार से पूछा, हम बुराड़ी मैदान ही क्यों जाएं, रामलीला मैदान क्यों नहीं?

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तरफ से लाए गए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान अभी भी सड़कों पर जमे हुए हैं। दूसरी तरफ सरकार के तरफ से अपील की गई है कि किसान बुराड़ी मैदान में जमा हों जहां उनसे बात होगी। वहीं, किसानों ने सरकार से सवाल पूछा है कि बुराड़ी मैदान ही क्यों जाएं, रामलीला मैदान क्यों नहीं?

किसानों ने पूछा है कि उन्हें प्रशासन बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाने के लिए क्यों कहा जा रहा है। एएनआई समाचार एजेंसी के मुताबिक, दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर के पास विरोध कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा, “विरोध प्रदर्शन रामलीला मैदान में होते हैं तो हम बुराड़ी के निरंकारी भवन क्यों जाएं जो एक निजी जगह है।”

कल शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “पिछले कुछ दिनों से, पंजाब और हरियाणा तथा देश के कुछ अन्य हिस्सों के किसान दिल्ली की सीमा पर आए हुए हैं। किसान कल से ही दिल्ली की सीमा के पास दो प्रमुख राजमार्गों पर इकट्ठा हो गए हैं।”

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किसानों ने सरकार से पूछा, हम बुराड़ी मैदान ही क्यों जाएं, रामलीला मैदान क्यों नहीं?

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, हमारे किसान भाइयों से मेरी विनम्र अपील है कि सरकार ने दिल्ली के बुराड़ी में आपके लिए उचित व्यवस्था की है, जहाँ आप अपना प्रदर्शन कर सकते हैं। कुछ किसान यूनियनों और किसानों ने मांग की है कि वार्ता 3 दिसंबर के बजाय तुरंत आयोजित की जाए। इसलिए, मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं कि जैसे ही आप मैदान में (बुराड़ी) पहुंचेंगे, केंद्र सरकार आपके साथ चर्चा के लिए तैयार है।”

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर हर दिन किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना किसा के प्रदर्शन पर अपने बयान जारी किए हैं। पार्टी का कहना है कि किसानों के साथ सरकार आतंकवादियों जैसा व्यवहार कर रही है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा है कि किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए जो बर्ताव किया गया, वो किसानों का अपमान है।

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उन्होंने पत्रकारों से कहा, “जिस तरह से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया है ऐसा लगता है कि वो देश के किसान नहीं बल्कि बाहर के हैं। उनके साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया गया। क्योंकि वो सिख हैं और पंजाब-हरियाणा से आए हैं, उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है। इस तरह का बर्ताव करना देश के किसानों का अपमान करना है।”

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सरकार से कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि केंद्र के लाए नए कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं इसलिए सरकार को एक बार फिर इन कानूनों पर विचार करना चाहिए।

मायावती ने ट्वीट किया, “केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।”

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दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि रविवार की सुबह उनकी एक अहम बैठक होनी है जिसके बाद ये निर्णय लिया जाएगा कि आगे की रणनीति क्या होगी। जालंधर के भारतीय किसान यूनियन यूनिट के अध्यक्ष बलजीत सिंह महल ने कहा, “आज हमने मीटिंग में यह तय किया कि हम सिंघु बॉर्डर पर डटे रहेंगे। कल सुबह 11 बजे एक और बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे।”

अब उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों का भी इन किसानों को समर्थन मिल गया है जो शनिवार की दोपहर से गाजीपुर बॉर्डर पर अपने वाहनों के साथ इकट्ठा हो गए हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी रेंज) सुरेंद्र सिंह यादव ने इससे पहले शनिवार की दोपहर को सिंघु सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के बाद बताया था कि उत्तरी दिल्ली के मैदान में करीब 600 से 700 किसान पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों के लिए पुलिस और प्रशासन ने तय किए गए प्रदर्शन स्थल पर पर्याप्त इंतजाम किए हैं।

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