नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के हजारों किसानों ने 26 नवम्बर को दिल्ली की ओर मार्च शुरू की। किसानों को रास्ते में रोका गया। पुलिस ने कई तरह से उन्हें रोकने की कोशिश की। उन पर पानी और आंसू गैस छोड़े गए। लाठी चार्ज किए गए। उसके बाद भी किसान आगे बढ़ते रहे। आखिरकार 27 नवम्बर यानी शुक्रवार को उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई। किसानों को उत्तरी दिल्ली के निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की अनुमति मिली। यह दिल्ली के सबसे बड़े मैदानों में एक है।
जहां पुलिस ने किसानों पर लाठी बरसाई। इस ठंड में पानी की बरसात की गई, आंसू गैस छोड़े गए। उनके हौसले को तोड़ने के हर प्रयास की गई। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा के मुरथल में स्थित प्रसिद्ध अमरीक सुखदेव ढाबा ने इंसानियत वो काम कर दिखाया जिसे जान हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। सुखदेव ढाबा हजारों किसानों की मदद के लिए आगे आया। दिल्ली के लिए आगे बढ़ रहे हैं दो हजार किसानों को अमरीक सुखदेव ढाबा ने मुफ्त में भोजन कराया। जिसे जानना वाला हर शख्स उनकी तारीफ कर रहा है। वहीं ढाबे के मालिक का कहना है, ‘”कोई भी किसान से बड़ा नहीं है। मुरथल में उनके भोजन की कोई कमी नहीं होगी।”
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सोशल मीडिया पर लोग अमरीक सुखदेव ढाबे की जमकर प्रशंसा हो रही है। यूथ कांग्रेस ने ढाबे के अंदर खाना खाने वाले किसानों का एक वीडियो भी ट्वीट किया और कहा, “यह मेरा भारत है! सलाम। दिल्ली हरियाणा बॉर्डर मुरथल में ढाबा अमरीक सुखदेव किसानों को मुफ्त भोजन परोसता है।”
वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “भारत सरकार किसानों से चर्चा के लिए तैयार थी, तैयार है और तैयार रहेगी। मैं सभी किसानों से आग्रह करता हूं कि सर्दी के मौसम में और कोविड के संकट में आंदोलन स्थगित करें और चर्चा का रास्ता अपनाएं। भारत सरकार उनसे चर्चा करने के लिए तैयार है। इससे पहले भी 2 चरण अपने स्तर पर, सचिव स्तर पर किसानों से वार्ता हो चुकी है। 3 दिसंबर को बातचीत के लिए किसान यूनियन को हमने आमंत्रण भेजा है।”
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जबकि भाजपा के दुष्यंत गौतम का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें (प्रदर्शन कर रहे किसान) 3 दिसंबर को बुलाया है, पहले भी बुलाया था। परन्तु कांग्रेस राजनीति करना चाहती है, किसानों के कंधे पर आगे बढ़ना चाहती है, कांग्रेस की ये दोहरी नीति है, ये कभी भी चलने वाली नहीं है।
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