आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी

आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी

ओस की बूंदें

सुबह के ओस की बूँदों का छुअन, निश्छल प्रेम का अहसास कराती है।
यह कोमल, निराकार, मासूम, अत्ममिलन का सुकून देती है।

सुबह कि बेला में ज़मीन पर उगे छोटे-छोटे घासों पर,
आपका इंतज़ार करती है।

वृक्ष के पत्तों से टपकती कहती है,
कि आओ हमसे आत्ममिलन करो।

अहसास करो प्रेम के चरम स्पर्श का,
आओ मैं तुममें समाहित होने को आतुर हूँ।

ले जाओ हमसे निश्छल, नि:स्वार्थ प्रेम,
कुंठा और नफरत, ये कैसे आकार दे पाएंगे हमें।

मैं ठहरी निराकार, आकार नहीं दे सकती,
पर हाँ! तुम्हें स्पर्श दे सकती हूँ।

छूअन का अहसास दे सकती हूँ,
पैरों के स्पर्श से पूरा शरीर पुलकित कर सकती हूँ।

वृक्ष के पत्तों से टपककर,
तुम्हारी आँखों को नमी दे सकती हूँ।

आओ मुझे, स्पर्श करके देखो पूरा सम्मोहन दे सकती हूँ;
प्रेम का सम्पूर्ण अहसास दे सकती हूँ।

जिधर नज़र डालो नफरत-ही-नफरत, किस ओर जा रहे हम, ले जाओ हमसे प्रेम की बानगी,
थोड़ा ही सही उड़ाओ तो प्रेम की बानगी।

वीआईपी

आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और पीआईपी

वह गाँव के आबो-हवा के अनेकानेक रंगों में जीती है
वह बहुत पढ़ी-लिखी नहीं
वह बहुत खूबसूरत नहीं
वह बहुत जवान भी नहीं
हम उसे बुढ़ियां भी नहीं कह सकते।

इतनी सारी कमियों के बावजूद वह लोगों के बीच लोकप्रिय है,
कोई उसे वीआईपी आंटी कहता तो कोई वीआईपी भाभी, छोटे-छोटे बच्चे वीआईपी दादी कहते।

उसमें एक अल्हड़पन है, बच्चों वाली मीठास है इतना ही नहीं उसके गाँव घर और आस-पास के समाजिक राजनीतिक उथल-पुथल के ख़बरों की महारानी भी है,
और हँसना-हँसाना तो जैसे उसकी प्रकृति में हो अर्थात् वह जहाँ पर भी होती जीवन का संपूर्ण संचार होता।

क्या आपको वीआईपी से ईर्ष्या हो रही है, हो भी क्यों न वह तो अकेली जहाँ होती समूह बन जाता,
वर्तमान दौर में टूटता-बिखरता, कराहता, नीरिह होता समूह, व्यक्तिवादिता में जीवन को ढूढ़ता वीआईपी से ईर्ष्या होना स्वाभाविक है।

लेकिन, वीआईपी कि प्रकृति कहाँ मानने वाली वह न शोर मचाती है,
न अह्वान करती है न दिखावा करती है।

वह तो बस जीती है लोगों के बीच, वह बिना अलग से संवाद किए, प्रेम कि वह मिठास घोलती,
हमें एक कोमल-सा अहसास दिला जाती है; देखो, जीवन तो यहाँ है, सामूहिकता में एक वृत्तचित्र उकेर जाती है मन मस्तिष्क में।

-आर. के. कश्यप


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