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निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद
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निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद

प्रेमचंद पर लिखित बहुत सारी पुस्तकों-निबंधों को पढ़ते हुए पिछले कुछ वर्षों में निर्मल वर्मा द्वारा प्रेमचंद पर लिखे गए इस निबंध के शीर्षक ने मुझे जितना आकर्षित किया शायद उतना किसी भी शीर्षक ने नहीं। निर्मल वर्मा ने अपने लेख का शीर्षक रखा है ‘प्रेमचंद की उपस्थिति’। एक साहित्यिक अध्येता के रूप में हर...

हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी दलों में विभाजित क्यों? प्रेमचंद का आलेख
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हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी दलों में विभाजित क्यों? प्रेमचंद का आलेख

दिलों में गुबार भरा हुआ है, फिर मेल कैसे हो। मैली चीज पर कोई रंग नहीं चढ़ सकता, यहां तक कि जब तक दीवाल साफ न हो, उस पर सीमेंट का पलस्तर भी नहीं ठहरता।

गोपाल राम गहमरी की कहानी: गुप्तकथा
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गोपाल राम गहमरी की कहानी: गुप्तकथा

पहली झाँकी जासूसी जान पहचान भी एक निराले ही ढंग की होती है। हैदर चिराग अली नाम के एक धनी मुसलमान सौदागर का बेटा था। उससे जासूस की गहरी मिताई थी। उमर में जासूस से हैदर चार पाँच बरस कम ही होगा, लेकिन शरीर से दोनों एक ही उमर के दीखते थे। मुसलमान होने पर...

अली सरदार जारी की कहानी: चेहरु माँझी
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अली सरदार जारी की कहानी: चेहरु माँझी

हवा बहुत धीमे सुरों में गा रही थी, दरिया का पानी आहिस्ता-आहिस्ता गुनगुना रहा था। थोड़ी देर पहले ये नग़्मा बड़ा पुर-शोर था लेकिन अब उसकी तानें मद्धम पड़ चुकी थीं और एक नर्म-ओ-लतीफ़ गुनगुनाहट बाक़ी रह गई थी। वो लहरें जो पहले साहिल से जा कर टकरा रही थीं, अब अपने सय्याल हाथों से...

हिंदी परंपरा के आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा को आप कितना जानते हैं?
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हिंदी परंपरा के आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा को आप कितना जानते हैं?

डॉ. रामविलास शर्मा के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनके आलोचनात्मक लेखन के प्रारंभिक दौर (चालीस के दशक) से लेकर आज उनके निधन के बीस वर्ष बाद तक वे बहस के केंद्र में हैं। इधर, नामवर जी के निधन पर और रेणु के जन्म शताब्दी पर भी उनके...

आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी
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आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी

ओस की बूंदें सुबह के ओस की बूँदों का छुअन, निश्छल प्रेम का अहसास कराती है।यह कोमल, निराकार, मासूम, अत्ममिलन का सुकून देती है। सुबह कि बेला में ज़मीन पर उगे छोटे-छोटे घासों पर,आपका इंतज़ार करती है। वृक्ष के पत्तों से टपकती कहती है,कि आओ हमसे आत्ममिलन करो। अहसास करो प्रेम के चरम स्पर्श का,आओ...

अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी पंजाबी कहानी: यह कहानी नहीं
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अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी पंजाबी कहानी: यह कहानी नहीं

पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था। पर बना नहीं। वह धरती पर फैल गया, सड़कों की तरह और वे दोनों तमाम उम्र उन सड़कों पर चलते रहे….। सड़कें, एक-दूसरे के पहलू से भी फटती हैं, एक-दूसरे के...

साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने
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साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने

मुझे पिछले वर्ष भी हाजीपुर के इस गांधी आश्रम में आने का मौका मिला था। हाजीपुर की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हमेशा प्रेमंचद जयंती दो तीन दिनों के बाद मनाई जाती है। वैसे भी 31 जुलाई को हर जगह प्रेमचंद जयंती कार्यक्रमों की धूम मची रहती है। पूरे बिहार में छोटी-छोटी जगहों,...

भीष्म साहनी के कथाकर्म में साम्प्रदायिकता
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भीष्म साहनी के कथाकर्म में साम्प्रदायिकता

किसी भी समाज को समझने में उस वक्त का साहित्य और उसका इतिहास मदद करते हैं। भीष्म साहनी के साहित्य की पड़ताल करने पर भी हमें समाज का एक चेहरा दिखाई पड़ता है। आज के पर्चे के विषय के बहाने, भीष्म जी के साहित्य के बहाने हम उनके वक्त के समाज की पड़ताल करेंगे, जिन...

पुस्तक समीक्षा: विनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की पुस्तक ‘जी साहेब जोहार’
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पुस्तक समीक्षा: विनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की पुस्तक ‘जी साहेब जोहार’

विनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की पुस्तक ‘जी साहेब जोहार‘ रश्मि प्रकाशन लखनऊ से प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक आते ही खूब सुर्खियां बटोर रही है। ऐसे तो कइयों ने इस पुस्तक की समीक्षा की है। किंतु हम यहां झारखंड के जाने-माने कवि, लेखक विजय कुमार संदेश, शंभु बादल और भारत यायावर की समीक्षा प्रकाशित कर...