किसान आंदोलन पर एक्टरों की चुप्पी पर बोले नसीर- 7 पीढ़ियों के लिए जमा है फिर भी डरते हो

किसान आंदोलन पर एक्टरों की चुप्पी पर बोले नसीर- 7 पीढ़ियों के लिए जमा है फिर भी डरते हो

मशहूर एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने किसान आंदोलन को लेकर बॉलीवुड के दिग्गजों की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि इन दिग्गजों को अपनी दौलत खोने का डर सता रहा है। आखिर जब उन्होंने सात पीढ़ियों के लिए कमा रखा है तो कितना खो देंगे?

जाने-माने लेखक और कथा-कथन के फाउंडर जमील ग़ुलरेज को दिए इंटरव्यू के दैरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “यदि किसान सर्दी में बैठे हैं तो हम यह कह कर चुप नहीं रह सकते कि हमें फर्क नहीं पड़ता है। जब सब कुछ तबाह हो जाएगा तो आपको दुश्मनों शोर से ज्यादा दोस्तों की खामोशी चुभेगी। खामोश रहना जुल्म करने वाले की तरफदारी करना है। हमारे फिल्म इंडस्ट्री के जो धुरंधर लोग है, वो शांत बैठे हैं। उन्हें लगता है कि वे बहुत कुछ खो सकते हैं। आपने इतना धन कमा लिया है कि आपकी सात पीढ़ियां बैठकर खा सकती हैं। फिर कितना खो दोगे आप?”

उन्होंने ये इंटरव्यू एक सप्ताह पहले दिया था। नसीरुद्दीन शाह ने कोरोना काल में प्रवीसा मजदूरों के पलायन का जिक्र करते हुए कहा, “लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की तस्वीरें देखकर दिल टूटता था। उन्हें मारकर भगाने वाले पुलिसवाले भी तो आखिर इसी तबके के थे। फिल्म इंडस्ट्री की बात है तो किसी ने रूल निकाला कि आप 65 के हों तो आप काम नहीं कर सकते। मुझे ख्याल आता था कि जो 65 साल का लाइट बॉय है, उसका और उसके परिवार का क्या होगा।”

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हालांकि, नसीरुद्दीन शाह ने इंटरव्यू के दौरान किसी अभिनेता या अभिनेत्री का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफतौर पर उन सिलेब्रिटीज की ओर था, जो अब तक शांत हैं। उल्लेखनीय है कि अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान समेत कई दिग्गज सितारों ने किसान आंदोलन को लेकर अब तक चुप्पी साध रखी है। वहीं सलमान खान ने इस पर पिछले दिनों कहा कि जो सबसे किसानों के हक में बेहतर हो किया जाना जाहिए।

नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि 9/11 के बाद लगा था कि दुनिया बेहतर होगी। लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहेंगे और बुराई जैसे खबीस से मिलकर लगेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका। उन्होंने ये भी कहा कि हर बात में आजकल देश को लोगों को देशद्रोही बताया जा रहा है, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग आंदोलन को कोविड के बहाने खत्म किया गया, हो सकता है कि अब बर्ड फ्लू आया है और इसका बहाना बनाकर किसानों के आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश की जाए।

नसीरुद्दीन शाह ने कुछ दिन पहले देश के मौजूदा हालात पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि देश में सेकुलरिज्म कमजोर हो रहा है। उन्होंने ‘लव जिहाद’ पर लाए गए कानून पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने इसे राजनीति करार दिया था।

उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि ‘लव जिहाद’ के नाम सामाज में खाई पैदा की जा रही है जिससे वे काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए यह टर्म उछाली गई है ताकि हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरी बनी रहे।

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इतना ही नहीं उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के बारे में इंटरव्यू के दौरान बात की थी। उन्होंने कहा था, “रत्ना पाठक से शादी से पहले मेरी माँ ने पूछा था कि क्या शादी के बाद वह धर्म परिवर्तन कर लेगी। उन्होंने कहा कि मैंने माँ के इस सवाल का जवाब ‘न’ में दिया था।”

नसीरुद्दीन शाह ने कहा था, “मैंने हमेशा यह समझा कि एक हिंदू महिला से मेरी शादी समाज में उदाहरण होगी। हमने अपने बच्चों को हर धर्म के बारे में पढ़ाया है। लेकिन हमने उनसे कभी यह नहीं कहा कि वह किसी एक धर्म को फॉलो करें। मेरा हमेशा मानना रहा है कि ये मतभेद धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।” उल्लेखनीय है कि नसीरुद्दीन शाह अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखते आए हैं।

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