संसद में कृषि कानून और किसानों को लेकर शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। राज्यसभा में आज कृषि कानूनों का बचाव करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इन कानूनों में कोई खराबी है। कृषि मंत्री ने कहा कि अब तक न तो विपक्ष और न ही किसान नेता कानून में कोई कमी गिना सके हैं।
उन्होंने कहा, “मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि सरकार संशोधन करने के तैयार है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कानून खराब हैं। कुछ एक राज्यों के किसानों को गलत जानकारी दी गई। जिसके चलते वे आंदोलन कर रहे हैं।”
लेकिन इन सब के बीच हंगामा तब अधिक शुरू हो गया जब तोमर ने कहा, “सब जानते हैं कि खेती के लिए पानी की जरूत होती है। लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही है जो खून से खेती करना जानती है। बीजेपी ऐसा कभी नहीं कर सकती।”
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इसके बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तोमर के बातों का जवाब देते हुए कहा, “बीजेपी सांप्रदायिक दंगे भड़काती है। गोधरा में जो हुआ वो खून की खेती थी या पानी की खेती थी। बीजेपी नफरत की राजनीति करती आई है।”
दिग्विजय सिंह ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री जी ने किसानों के साथ बात करने के लिए दो मंत्री लगाए। नरेंद्र सिंह तोमर जिनके पास खेती ही नहीं तो वो किसानी क्या जानते होंगे। दूसरे पीयूष गोयल जो कॉर्पोरेट सेक्टर के प्रवक्ता हैं।”
हालांकि, कृषि मंत्री अपने ‘खून की खेती’ वाले बयान पर शाम को सफाई भी दी है। उन्होंने कहा, “इसे लेकर किसी को उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं हैं, मैंने भी उत्तेजना में यह नहीं कहा था। मैं तो कांग्रेस के दस्तावेज का ही जिक्र कर रहा था जिसमें उसने भारतीय जनता पार्टी पर खून की खेती करने का आरोप लगाया था।”
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तोमर ने आगे कहा, “सरकार किसान संगठनों से बातचीत के लिए हरदम तैयार है और पीएम नरेंद्र मोदी इस संबंध में भी अपनी ओर से प्रस्ताव दे चुके हैं। किसानों के साथ हमारी बातचीत काफी दिनों तक चला है। सरकार की ओर से किया गया प्रस्ताव अभी भी किसानों के पास है और वे आपस में इस पर चर्चा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद ऐसी परिस्थिति आएगी जब उनका प्रस्ताव आए तब हम दोनों पक्ष फिर मिलकर चर्चा करेंगे। तोमर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि दोनों पक्ष मिलकर समाधान तलाश लेंगे। बता दें कि सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी राज्यसभा में इस बारे में जवाब देने वाले है।
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