कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो समेत ब्रिटेन और अमेरिका के कई नेताओं ने किया किसानों का समर्थन

कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो समेत ब्रिटेन और अमेरिका के कई नेताओं ने किया किसानों का समर्थन

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ किसान सड़कों पर हैं। किसान आंदोलन को देशभर से समर्थन मिल रहा है। देश ही नहीं विदेश से भी अब किसानों आंदोलन को समर्थन मिलने लगा है। भारत के बाहर कई विदेशी नेताओं का किसानों को समर्थन मिला है। ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के कई नेताओं ने किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने प्रदर्शन से निपटने के मोदी सरकार के तरीकों की आलोचना की है।

विदेश से किसानों को मिलने वाले समर्थन में प्रमुख नाम है कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का। ट्रूडो ने कहा है, “अगर मैं किसानों द्वारा प्रदर्शन के बारे में भारत से आ रही खबरों पर ध्यान देना शुरू नहीं करता तो बेपरवाह होता। स्थिति चिंताजनक है…। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हमने अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए कई जरियों से भारतीय अथॉरिटीज से संपर्क किया है।”

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लंदन से किसानों का समर्थन

किसानों को पीटे जाने का जिक्र करते हुए ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने ट्वीट किया है, “मैं हमारे परिवार और दोस्तों सहित पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों के किसानों के साथ खड़ा हूं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं।”

लेबर पार्टी के ही एक और सांसद जॉन मैकडॉनेल ने तनमनजीत सिंह धेसी के ट्वीट को रिट्वीट कर लिखा लिखा है, “मैं तनमनजीत सिंह धेसी से सहमत हूं। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस तरह का दमनकारी व्यवहार अस्वीकार्य है और भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।”

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वहीं, लेबर पार्टी की सांसद प्रीत कौर गिल ने लिखा है, ”दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य। किसान शांतिपूर्वक विवादास्पद बिलों (अब कानून) का विरोध कर रहे हैं जो उनकी आजीविका को प्रभावित करेंगे। उन्हें चुप कराने के लिए वॉटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।”

कनाडा से किसानों को समर्थन

ब्रिटेन ही नहीं कनाडा से भी किसानों पर की गई कार्रवाई की आलोचना की जा रही है। जगमीत सिंह ने लिखा है, ”भारत सरकार द्वारा शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसा करना भयावह है। मैं पंजाब और भारत भर के किसानों के साथ खड़ा हूं- और, मैं भारतीय सरकार से हिंसा के बजाय शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत से जुड़ने का आह्वान करता हूं।”

ओंटैरियो असेंबली में विपक्ष की नेता एंड्रिया होरवाथ ने लिखा है, ”मैं भारत में किसानों के साथ खड़ी हूं, जो शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही साथ यहां ओंटैरियो में उनके प्रियजनों के, जो डरावनी हिंसा को देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि स्टेट की हिंसा के डर के बिना हर किसी को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के इस्तेमाल का मौका मिलना चाहिए।

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वहीं, सैंट जॉन्स ईस्ट से सांसद जैक हैरिस ने ट्वीट किया, ”नए कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर भारत सरकार के दमन को देखकर हम हैरान हैं, इनसे (नए कानूनों से) उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। भारत सरकार को वॉटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल करने के बजाय किसानों के साथ खुले तौर पर बातचीत करनी चाहिए।”

इसके अलावा किसानों के प्रदर्शन पर ओंटैरियो प्रोविंशियल पार्लियामेंट में ब्रैम्पटन ईस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले गुररतन सिंह ने सदन में ही बात की। उन्होंने कहा, ”भारत में किसानों पर हमला हो रहा है…। इसलिए मैं इस सदन को भारत सरकार द्वारा लाए गए इन अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ खड़ा होने के लिए कह रहा हूं।”

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ब्रैम्पटन सेंटर से सारा सिंह ने ट्वीट किया है, ”पंजाब के एक किसान की ग्रैंडडॉटर के तौर पर, मैं किसानों के साथ खड़ी हूं जो अपनी आजीविका को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और नुकसान पहुंचाने वाले कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज छठा दिन है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज किसानों से बातचीत निमंत्रण दिया। किसान संगठनों को कृषि मंत्री ने 1 दिसंबर को अपराह्न 3 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। किसानों के साथ मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति बातचीत में शामिल होगी। हालांकि, अभी ये सामने नहीं आया है कि किसान कृषि मंत्री से जाकर मिलेंगे या नहीं।

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