एक 5वीं पास महिला जिसने IAS अधिकारियों को पढ़ाया, जानें कौन हैं मोबिना?

एक 5वीं पास महिला जिसने IAS अधिकारियों को पढ़ाया, जानें कौन हैं मोबिना?

भोपाल: कोई व्यक्ति आकर आपसे कहे कि एक पांचवीं महिला ने देश की सबसे बड़ी सरकारी सेवा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को पढ़ाया। तो क्या आप विश्वास कर सकते हैं। नहीं कर सकते तो कर लीजिए क्योंकि ये सच है। आईएएस को पढ़ाने वाली का नाम है मोबिना। उन्होंने पढ़ाई की है सिर्फ पांचवी तक। यही नहीं गांव की गरीब और कमजोर महिलाओं की जिंदगी को रोशन करने का काम करती हैं। तो आइए जानते हैं मोबिना के बारे में।

मोबिना मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के पंडोला गांव की रहने वाली है। उनके पति का नाम है मोहम्मद सलीम। उनका परिवार मजदूरी करके घर चलाया करते थे। फिर मोबिना ने अपने परिवार के साथ मिलकर अन्य लोगों के परिवार की जिंदगी में बदलाव लाने की मुहिम शुरू की। उसके बाद उन्होंने वर्ष 2005 में बिस्मिल्ला स्वयं सहायता समूह बनाया। इस स्वयं सहायता समूह के जरिए 10 महिलाओं को जोड़ा। और धीरे-धीरे सबकी जिंदगी बदलती चली गई।

मोबिना ने खुद बताया कि कैसे बदली उनकी जिंदगी। मोबिना कहती हैं, “आपस में मिलकर पहले न्यूनतम राशि इकट्ठा की और एक दूसरे की सहायता शुरू की। बात आगे बढ़ी तो उन्हें सरकारी स्तर पर और बैंक से भी सहायता मिलने लगी, उसी का नतीजा है कि आज उनकी समूह की महिलाओं की जिंदगी बदल गई है, सभी अलग-अलग तरह के कारोबार कर रही हैं।”

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मोबिना बताती हैं कि उनके पति मोहम्मद सलीम मजदूरी करते थे। आमदनी नहीं होने पर पहले बमुश्किल से एक फसल ले पाती थी। फिर जब उनकी आमदनी बढ़ी तो उन्होंने तुरंत सिंचाई के लिए पंप खरीद लिया। जिसके बाद और दो फसलें लेने लगी है। इसके साथ ही आय भी लगातार बढ़ती गई। अब वे अन्य लोगों को भी काम देने लगी है।

वहीं राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जुगल सोनी बताते हैं, “मोबिना और उनके साथियों ने कई इनोवेशन किए हैं और उसकी चर्चा हर तरफ है। आर्थिक मामले में भी सक्षम हो रही है। यही कारण है कि मोबिना और उनकी साथी महिलाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षणरत अधिकारियों को अपने प्रयास और अनुभव को साझा करने के लिए मसूरी बुलाया गया था।”

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तो वहीं इसपर मोबिना कहती हैं, “मसूरी जाने से पहले दिमाग में कई तरह के सवाल उठ रहे थे और सोच रही थी कि इन बड़े शहरों के लोगों को वह कैसे अपने अनुभव बताएंगी।” उन्होंने आगे बताया कि इस प्रवास से उन्हें भी लाभ मिला। वहां जाकर देखा की बड़ी-बड़ी उम्र की लड़कियां भी पढ़ाई कर रही हैं और जब अपने गांव लौटे तो अपनी बेटियों को पढ़ाया। उनके स्व सहायता समूह की महिलाएं अपनी बेटियों को भी पढ़ा रही हैं।

मोबिना कहती हैं, “मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अधिकारियों को स्व सहायता समूह के गठन, उनके काम करने के तरीके और होने वाली आमदनी के बारे में विस्तार से बताया था। उनके इन अनुभवों को प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों ने बड़े उत्साह के साथ सुन रहे थे।”

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