चीन के वीगर मुसलमानों के लेकर अब तक कई रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं। अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि वीगरों के उत्पीड़न में शामिल केवल वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही नहीं देश के कई बड़े नेताओं का हाथ है।
लीक दस्तावेजों में ऐसे भाषण शामिल हैं जिनके आधार पर विश्लेषकों का कहना है कि ये इस बात का प्रमाण है कि चीन के शीर्ष नेताओं ने ऐसे कदम उठाने की बात की जिनकी वजह से वीगर मुसलमानों को बड़ी संख्या में कैद रखा गया और जबरन मजदूरी करवाई गई।
जैसा कि मालूम है कि चीनी सरकार पर वीगरों के जनसंहार के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, वे इससे इनकार करते रहे हैं।
सामने आई रिपोर्ट में कुछ दस्तावेज ऐसे भी हैं जो पहले भी रिपोर्टों में सामने आए हैं। लेकिन, जो ताजा दस्तावेज लीक हुई है उनमें कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं। ये जानकारियां इस साल के सितंबर में ब्रिटेन स्थित एक स्वतंत्र ट्राइब्यूनल ‘वीगर ट्राइब्यूनल’ में रखी गई थीं, मगर इससे पहले इन्हें प्रकाशित नहीं किया गया था।
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जो दस्तावेज लीक हुए हैं उनको ‘शिन्जियांग पेपर्स’ कहा जा रहा है। शिन्जियांग चीन का एक प्रांत है जहां सबसे ज्यादा चीन वीगर रहते हैं। सामने आए दस्तावेजों में बताया गया है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने ऐसे बयान दिए जिनकी वजह से वीगरों और दूसरे अल्पसंख्यकों को प्रभावित करनेवाली नीतियां बनीं।

ऐसे नेताओं में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केचियांग का नाम भी शामिल है। जिन नीतियों का जिक्र दस्तावेजों में हुआ है, उनमें वीगरों का जबरन बंदी बनाना, सामूहिक नसबंदी, उन्हें जबरन दूसरे समुदाय के साथ मिलाना, पुनर्शिक्षा और उनसे बंदी बनाकर फैक्टरियों में काम कराने जैसी बातें शामिल हैं।
कुछ दिनों पहले अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ऐसे ही दस्तावेजों के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जो उन्हें 2019 में लीक के बाद मिली थीं। हालांकि, तब वो सभी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं हुए थे।
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नई रिपोर्ट को तैयार करने वाले डॉ. जेंज का कहना है कि उनके विश्लेषण से पता चला है कि सरकार की बड़ी हस्तियों और उनके बाद वीगरों को लेकर अपनाई गई नीतियां जितना समझा गया था उसकी तुलना में काफी विस्तृत, गहरी और महत्वपूर्ण हैं।
शिन्जियांग प्रांत में मानवाधिकार संगठन चीन पर लगाते रहे हैं और इसे लेकर उसपर अंतरराष्ट्रीय दबाव रहा है। शिन्जियांग क्षेत्र को लेकर उसकी नीति में बड़े बदलाव को दो बड़े हमलों से जोड़कर देखा जाता है।
साल 2013 में बीजिंग और 2014 में कुमिंग शहर में पैदल यात्रियों और राहगीरों पर दो बड़े हमले हुए थे। इन दोनों के लिए चीन ने वीगर के इस्लामवादियों और अलगाववादियों पर आरोप लगाया था।

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चीन ने इसके बाद 2016 से वीगरों और अन्य मुसलमानों के लिए पुनर्शिक्षा कैंप लगाने शुरू किए। साथ ही, शिन्जियांग में ऐसे लोगों को निशाना बनाया जाने लगा जिन्होंने ऐसा कोई काम किया हो या रवैया दिखाया हो जो सरकार की नजरों में भरोसेमंद नहीं समझा जाता हो।
साथ ही चीन ने वीगरों से जबरन मजदूरी की भी एक रणनीति अपनाई, जिसमें वीगरों से शिन्जियांग में कपास की खेती करवाई गई। इसके अलावा, नई रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि चीनी सरकार ने वीगरों की आबादी कम करने के लिए बड़े पैमाने पर वीगर महिलाओं की जबरन नसबंदी करवाई।
इसके अलावा चीन सरकार ने बच्चों को उनके परिवार से अलग किया और वीगरों की सांस्कृतिक प्रथाओं को तोड़ने का प्रयास किया। अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड्स समेत कई देशों ने चीन पर जनसंहार करने और मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप लगाया है।
हालांकि, चीन इन आरोपों को पुरजोर तरीके से खंडन करता आया है। वह शिन्जियांग में की गई कार्रवाइयों को ये कह कहकर जायज ठहराता है कि आतंकवाद को रोकने और इस्लामी अतिवादियों को मिटाने के लिए ये ज़रूरी कदम है।
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चीन की सरकार कहती रही है कि पुनर्शिक्षा के ये शिविर आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए एक प्रभावी हथियार हैं। बीजिंग ने शिन्जियांग में भारी मात्रा में निवेश भी किया है, लेकिन इसके साथ ही उसने इस इलाके में सुरक्षा बलों का तांता भी लगा दिया है।

चीन कहता है कि वीगर चरमपंथी अलग होने के लिए बम हमले, अशांति और तोड़-फोड़ की कार्रवाइयों के मार्फत हिंसक अभियान छेड़े हुए हैं। चीन ने अमरीका में 9/11 के हमले के बाद वीगर अलगाववादियों को अधिकाधिक रूप से अल-कायदा का सहयोगी सिद्ध करने की कोशिश की है।
चीन कहता रहा है कि उन्होंने अफगानिस्तान में प्रशिक्षण हासिल किया है। हालांकि, इस दावे के पक्ष में शायद की कभी सबूत पेश किए गए। अफगानिस्तान पर हमले के दौरान अमरीका सेना ने 20 से ज्यादा वीगरों को पकड़ा था। उन्हें बिना आरोप तय किए सालों तक अमेरिकी बंदी शिविर गुआंतानामो बे में कैद रखा गया जिसमें से अधिकांश इधर-उधर बस गए हैं।
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दरअसल, चीन के पश्चिमी प्रांत शिन्जियांग में चीनी प्रशासन और यहां के स्थानीय वीगर जनजातीय समुदाय के बीच संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है। वीगर असल में मुसलमान हैं। सांस्कृतिक और जनजातीय रूप से वे खुद को मध्य एशियाई देशों के नजदीकी मानते हैं।
इस इलाके की अर्थव्यवस्था सदियों से कृषि और व्यापार पर केंद्रित रही है। यहां के काशगर जैसे- कस्बे प्रसिद्ध सिल्क रूट के बहुत सम्पन्न केंद्र रहे हैं। 20वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में वीगरों ने थोड़े समय के लिए खुद को आजाद घोषित कर दिया था।
हालांकि, कम्युनिस्ट चीन ने 1949 में इस इलाके पर पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया। दक्षिण में तिब्बत की तरह ही शिन्जियांग भी आधिकारिक रूप से स्वायत्त क्षेत्र है।
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