केंद्र की मोदी सरकार ने एयर इंडिया के बाद सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) को बेचने का फैसला किया है। सोमवार को सरकार ने CEL को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग के हाथों 210 करोड़ रुपये में बेचने को मंजूरी दे दी।
यह चालू वित्त वर्ष में दूसरी रणनीतिक बिक्री है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली CEL का गठन 1974 में किया गया था। यह कंपनी सौर फोटोवोल्टिक के क्षेत्र में अग्रणी है और उसने अपने स्वयं के अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के साथ प्रौद्योगिकी विकसित की है।
कंपनी ने ‘एक्सल काउंटर सिस्टम’ भी विकसित किया है जिसका उपयोग ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए रेलवे सिग्नल प्रणाली में किया जा रहा है। तीन फरवरी, 2020 को मोदी सरकार ने इंटरेस्ट लेटर आमंत्रित किया था। उसके बाद तीन इंटरेस्ट लेटर प्राप्त हुए।
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हालांकि, 12 अक्टूबर, 2021 को केवल दो कंपनियों नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लि. और जेपीएम इंडस्ट्रीज लि. ने वित्तीय बोलियां जमा कीं। गाजियाबाद की नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लि. ने जहां 210 करोड़ रुपये की बोली लगाई। वहीं, जेपीएम इंडस्ट्रीज ने 190 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, “वैकल्पिक व्यवस्था ने….भारत सरकार की सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (CEL) में 100 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए मेसर्स नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लि. की सबसे ऊंची बोली को मंजूरी दे दी। सफल बोली 210 करोड़ रुपये की थी।”

रणनीतिक विनिवेश पर गठित वैकल्पिक व्यवस्था में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हैं। अगला कदम आशय पत्र जारी करना और उसके बाद शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर हैं।
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बयान के मुताबिक, सौदा चालू वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। सरकार ने सौदा सलाहकार और संपत्ति मूल्यांकनकर्ता के आकलन के आधार पर सीईएल के लिए आरक्षित मूल्य 194 करोड़ रुपये रखा था।
यह दूसरा मौका है जब सरकार ने सीईएल की रणनीतिक बिक्री के लिए कदम उठाया था। इससे पहले, 27 अक्टूबर, 2016 को मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कंपनी के विनिवेश के लिये कदम उठाया गया था। लेकिन उस समय कोई वित्तीय बोली प्राप्त नहीं हुई थी। उसके बाद फरवरी, 2020 में प्रक्रिया फिर से शुरू हुई।
चालू वित्त वर्ष में यह दूसरी रणनीतिक बिक्री है। अक्टूबर में सरकार ने एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ‘ग्राउंड हैंडलिंग’ कार्यों से जुड़ी एआईएसएटीएस में अपनी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी 15,300 करोड़ रुपये में टाटा संस को बेचने का फैसला किया। एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद है।
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