232 फिलिस्तीनियों और 12 इस्रायलियों की मौत के बाद इस्राइल-हमास के बीच युद्धविराम

232 फिलिस्तीनियों और 12 इस्रायलियों की मौत के बाद इस्राइल-हमास के बीच युद्धविराम

मिस्र की ओर से मध्यस्थता समझौते के बाद इस्रायल और हमास के बीच आज शुक्रवार की सुबह से गाजा पट्टी में संघर्ष विराम लागू हो गया। इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान में कहा गया है कि सुरक्षा कैबिनेट ने बिना शर्त संघर्षविराम के लिए मिस्र की सिफारिशों को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है।”

फिलिस्तीनी समूहों हमास और इस्लामिक जिहाद ने भी एक बयान में संघर्ष विराम की पुष्टि करते हुए कहा कि यह शुक्रवार को 2:00 बजे (गुरुवार को 23:00 GMT) लागू होगा। यानी भारतीय समयानुसार आज सुबह साढ़े 4 बजे से ये लागू हो गया।

संघर्ष की खबर के बाद गाजा और दूसरे फिलीस्तीनी क्षेत्रों में हजारों लोग जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए, झंडे लहराए और जीत के लिए विक्ट्री के निशान दिखाए। 11 दिनों तक चले इस संघर्ष में इस्रायल की बमबारी में 65 बच्चों सहित कम से कम 232 फिलिस्तीनी मारे गए। जबकि इस्रायल में दो बच्चों समेत 12 लोगों की मौत हुई।

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इस्राइल की राजनीतिक सुरक्षा कैबिनेट ने बताया कि उसने संघर्षविराम के प्रस्ताव को एकमत से स्वीकार कर लिया है। उसने कहा, “राजनीतिक समूह ने इस बात पर जोर दिया कि जमीनी हकीकत से तय होगा कि अभियान को जारी रखना है या नहीं।” हालांकि, टाइम्स ऑफ इस्राइल अखबार के मुताबिक, हमास से युद्धविराम के कारण देश के दक्षिणपंथी सांसद और प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के कुछ राजनीतिक सहयोगी उनसे खफा हैं।

इस्राइल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज ने ट्विटर पर कहा कि गाजा अभियान से ‘अभूतपूर्व सैन्य लाभ’ हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ हमास के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि इस्राइल की युद्धविराम की घोषणा फिलस्तीनी लोगों की एक ‘जीत’ है और इस्राइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की हार। वहीं, हमास नेता अली बराकेह ने कहा कि हमास के लोग तब तक चौकस रहेंगे जब तक कि मध्यस्थ इस संघर्षविराम के ब्यौरे को अंतिम रूप नहीं दे देते।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी। पाकिस्तान और तुर्की ने इस्लामिक देशों से इसमें इस्राइल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी। बैठक के दौरान सऊदी अरब भी इस्राइल को लेकर मुखर दिखा। सऊदी अरब इस्राइल को लेकर खाड़ी के छह देशों में से सबसे अधिक मुखर हो सामने आया।

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पाकिस्तान के अलावा तुर्की को भी काफी स्पष्ट देखा गया है। हालांकि, जब फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने आम सभा में बोलना शुरू किया तो इस्राइल के विदेश मंत्री उठकर सभा से बाहर चले गए। सभी इस्लामिक देशों ने एकमत से इस्राइल की ओर के फिलिस्तीनियों के खिलाफ किए हिंलक हमलों की निंदा की। इस्लामिक देशों ने कहा कि फिलिस्तीनियों के हको के खिलाफ इस्राइली आक्रामकता अंतरराष्ट्रीय नियमों का खतरनाक उल्लंघन है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फैरहान ने कहा कि इस्राइल और फिलिस्तीनियों के बीच तनाव संयुक्त राष्ट्र के उस चार्टर का उल्लंघन है जिसमें जबरन कब्जा किए गए इलाके को अमान्य कहा गया है। इस्राइली आक्रामकता अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए खतरा है।

फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने रियाद अल-माल्की ने कहा कि फिलिस्तीनियों का इस्राइल जनसंहार कर रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीनियों की रक्षा की अपील की। फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के सभी देशों की जिम्मेदारी है कि वे शांति, न्याय और आजादी सुनिश्चित कराने के लिए काम करें।

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उन्होंने कहा, ”इस्राइली आक्रामकता से ‘दो राष्ट्र समाधान’ (इसराइल के साथ फिलिस्तीन भी एक मुल्क बने, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो) को भी धक्का लगेगा। हिंसा और अतिवाद के बढ़ावा से इस क्षेत्र में शांति लाने के लिए सारी अंतरराष्ट्रीय कोशिश नाकाम साबित होगी।”

फैसल ने आगे कहा, ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के सदस्यों ने फिलिस्तीनी जमीन, जिसमें पूर्वी यरुशलम भी शामिल है, पर इसराइली कब्जे को नकार दिया है। फिलस्तीनियों की संपत्ति को नष्ट करना, विस्तारवाद की तरफ बढ़ना, फिलिस्तीनियों की जमीन को हड़पना और फिलिस्तीनी परिवारों को हटाने का अभियान हमें स्वीकार्य नहीं है।”

यूएन की आपातकालीन आमसभा में तुर्की ने भी इस्राइल पर जमकर हमला बोला। तुर्की के विदेश मंत्री मेवुट चउसलवा ने कहा, ”तुर्की फिलिस्तीनियों को समर्थन देना जारी रखेगा। फिलिस्तीनियों के साथ अन्याय सालों से हो रहा है। तुर्की क्रूरता के सामने खामोश नहीं रह सकता है। जो चुप हैं वो अन्याय का साथ दे रहे हैं। गाजा में न केवल ऊंची इमारतों को इस्राइल ने निशाने पर लिया है। बल्कि स्कूलों और अस्पतालों को भी नहीं छोड़ा है। इस तरह की आक्रामकता युद्ध अपराध के अंतर्गत आती है। यरुशलम, गाजा और वेस्ट बैंक में जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए केवल और केवल इसराइल जिम्मेदार है।”

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उन्होंने ये भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस्राइल के खिलाफ एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, ”यह दुर्भाग्य है कि एक बार फिर से सुरक्षा परिषद की नाकामी इस्राइल के मामले में सामने आई है। इसलिए हमारे राष्ट्रपति अर्दोआन कहते हैं कि दुनिया पाँच देशों (अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस) के दायरे से बड़ा है।” तुर्की की ओर से स्पष्ट किया गया कि जो मुल्क इस्राइली आक्रामता की आलोचना कर रहा है उन्हें यहूदी विरोधी होने का इल्जाम लगाकर चुप कराने की कोशिश की जा रही है। तुर्की ने कहा, ”हम इस्लामोफोबिया की तरह यहूदी विरोधी को भी मानवता के खिलाफ मानते हैं। फिलिस्तीनियों को भी आजादी और मर्यादा के साथ रहने का हक है।”

232 फिलिस्तीनियों और 12 इस्रायलियों की मौत के बाद इस्राइल-हमास के बीच युद्धविराम

पाकिस्तान का भी रुख कड़ा देखने को मिला। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि फिलस्तीनियों के खिलाफ गाजा में इस्राइल की ‘भयावह हिंसा’ तत्काल बंद करने को कहा जाए। उन्होंने कहा, ”अब वो वक्त आ गया है, जब कहा जाना चाहिए कि बहुत हो गया।” पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि इस्राइल ने बहुत ही निर्दयता से फिलिस्तीनियों पर हमला किया है और इसका नतीजा यह हुआ कि कई लोगों की मौत हुई और मानवीय संकट पैदा हो गया।

पाकिस्तान का पक्ष रखते हुए कुरैशी ने कहा, ”जब हम यहां बात कर रहे हैं तो बेगुनाह फिलिस्तीनियों को मारा जा रहा है। मौत की गूंज गाजा के हर घरों से आ रही है। हर घर में अंधेरा है बस इस्राइली बमों का उजाला है। इस्राइली ने मीडिया तक को खामोश करने लिए उनकी इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया।” उन्होंने आगे कहा, ”ये कहने का वक्त आ गया है कि- अब बहुत हो गया। फिलिस्तीनियों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। हम इस्लामिक वर्ल्ड के प्रतिनिधि हैं और हम यहां उनकी ओर बोल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मामले पूरी तरह से नाकाम रहा। उसकी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर संजीदगी दिखाए।”

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इससे पहले इस्राइल ने गुरुवार को कहा था कि यह लड़ाई इस्राइल और फिलिस्तीनियों के बीच की नहीं है बल्कि आतंकवादी संगठन हमास और इस्राइल के दरम्यान है। इस्राइल के विदेश मंत्रालय ने का कि इस्राइल बीमारी का इलाज चाहता है न कि मरहम पट्टी। साथ में गिलैड अर्दान ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में फिलिस्तीनी विदेश मंत्री के भाषण के वक्त का वीडियो ट्वीट किया था। जिसमें फिलस्तीनी विदेश मंत्री के भाषण के दौरान वे बाहर निकलते देखे गए।

उन्होंने लिखा, ”मैं इस्राइल को लेकर शर्मनाक झूठ फैलाने वाला भाषण बैठकर नहीं सुन सकता। फिलिस्तीन के विदेश मंत्री जो आज यूएनजीए में बोल रहे हैं, उन्हें भी हमास की हकीकत पता है। हमास हत्यारा आतंकवादी समूह है जो निर्दोष नागरिकों की हत्या करता है।” वीडियो में दिखा जा सकता है गिलैड फिलिस्तीनी विदेश मंत्री के भाषण के वक्त हॉल से बाहर निकल रहे हैं।


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