फिलिस्तीन को लेकर सऊदी अरब का रवैया संदिग्ध, ईरान-तुर्की बयानबाजी में मशगूल

फिलिस्तीन को लेकर सऊदी अरब का रवैया संदिग्ध, ईरान-तुर्की बयानबाजी में मशगूल

सऊदी अरब की ओर से इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (IOC) की आज रविवार को आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में ओआईसी सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल होंगे। हालांकि, इस बात की कम उम्मीद है कि अरब देश खुलकर इसके बाद भी फिलिस्तीन के साथ खड़े होंगे, सिवाय बयानबाजी के। एक तरफ तुर्की कुछ करने के बदले जहां सिर्फ प्रचार में लगा हुआ है। वहीं, सऊदी अरब का रवैया संदिग्ध दिखाई दे रहा है।

दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देशों ने पहले ही इस्राइल के साथ ‘अब्राहम एकॉर्ड्स’ संधि कर चुके हैं। संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने हाल ही में इस्राइल के साथ समझौता पर दस्तखत किए हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद नहीं के बराबर है कि अरब देश इस्राइल के खिलाफ कोई मजबूत फैसला लेंगे। हालांकि, सऊदी इस एकॉर्ड्स का अभी तक हिस्सा नहीं है पर जिस तरह से उसके यहां रिपोर्टिंग हो रही उससे साफ लगता है कि अरब देश विरोध-प्रदर्शन और इंकलाबी नारों के अलावा कुछ अधिक नहीं करने वाले हैं।

ऐसा कहने का कारण भी है। जाहिर-सी बात है कि सऊदी अरब जो निर्णय लेगा वही ओआईसी संगठन के देश मानेंगे। हालांकि, सऊदी अरब का ‘अल-अरबिया टीवी’ के गाजा पर इस्राइली बमबारी को तवज्जो जरूर दे रहा है। लेकिन बहुत चलाकी से इस्राइली शहरों में हमास के रॉकेट से बचने के लिए भागते लोगों का वीडियो फुटेज दिखा रहा है।

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दूसरी संयुक्त अरब अमीरात का ‘स्काई न्यूज अरबिया चैनल’ का गाजा पर फोकस तो है मगर वह भी इस्राइल के उन बयानों को भी अधिक जगह दे रहा है जिसमें तेल अवीव की ओर से हमास के खिलाफ दिया जा रहा है। जैसे हमास के सीनियर कमांडरों को टारगेट कर रहा है। हमास के रॉकेट का जवाब दे रहे हैं, वगैरह-वगैरह।

फिलिस्तीन को लेकर सऊदी अरब का रवैया संदिग्ध, ईरान-तुर्की बयानबाजी में मशगूल

हालांकि, कल इस्राइल ने मीडिया चैनलों पर हमले को लेकर भी कहा कि अल-जाला टावर में हमास के आतंकवादी छिपे हुए थे। यह बयान काफी हैरान करने वाला है। इसके अलावा यूनाइटेड स्टेट्स एयर फ़ोर्स सेंट्रल कमांड के मुताबिक, सऊदी अरब ने अमेरिकी F-18 फाइटर जेट्स को अपने यहां एयरबेस मुहैया कर दिया है।

सऊदी के रवैये के समझने के लिए उदाहरण के लिए अल-अरबिया उर्दू को ही ले लीजिए। सभी वहां एक स्टोरी लगी है जिसका शीर्षक है- ‘गाजा पट्टी में 150 इजरायली हवाई हमले, तेल अवीव पर और रॉकेट दागे’। लेकिन आप अंदर जाएं तो खबर इस्राइली के हवाले से लिखी गई है।

फिलिस्तीन को लेकर सऊदी अरब का रवैया संदिग्ध, ईरान-तुर्की बयानबाजी में मशगूल

अल-अरबिया ने लिखा है, “इस्रायली मीडिया ने रविवार को बताया कि इस्रायली वायु सेना ने गाजा पट्टी में 150 नए हमले किए हैं। अल-अरबिया के संवाददाता के अनुसार, इस्रायली हमले में अवासीय खान यूनिस और तेल अल-हवी और गाजा पट्टी के पश्चिम में अल-अंडालस टॉवर को निशाना बनाया।”

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आगे लिखा है कि ऐसी भी खबरें मिल रही हैं कि गाजा में हमास नेता याह्या अल-सिनवार के घर को निशाना बनाया गया है। उनका घर खान यूनिस में स्थित है, लेकिन ऑपरेशन में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

इसके बाद चैनल तेल-अवीव को तवज्जो देता दिख रहा है। वह आगे लिखता है, “अल-अरबिया के संवाददाता का कहना है कि रविवार सुबह तेल अवीव में धमाके सुनी गई। यह धमाके इस्राइल की पश्चिम इलाकों पर रॉकेटों के हमले के बाद सुने गए।”

आगे लिखा है, “अल-अरबिया के संवाददाता के मुताबिक, शनिवार रात इस्राइली हमलों में 7 फिलिस्तीनी शहीद हो गए। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि इस्राइली आक्रमण की शुरुआत के बाद से गाजा पट्टी में 144 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 1,100 से अधिक घायल हुए हैं।”

अगर तुर्की मीडिया की बात करें तो वह फिलिस्तीनी पक्ष को अधिक तवज्जो दे रहा है और साथ में अपनी सरकार की बातों को अधिक प्रचारित कर रहा है। जहां तक ईरानी मीडिया की बात है तो वह केवल हमास की खबरों को अधिक तर्जीह दे रहा है। पार्स न्यूज की बा करें तो अगर आप वहां पर जाए तो हमास, कुद्स और फिलिस्तीनी लड़ाकों की बमबारी को बढ़ा-चढ़ा पेश किया हुआ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि इस्रायली हमलों में अब तक 149 फिलिस्तीनियों की मौत हुआ है। वहीं 10 इस्राइल के लोग मारे गए हैं। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि 10 मई के बाद से गाजा पर इस्रायल के हमलों के परिणामस्वरूप 41 बच्चों और 23 महिलाओं सहित 149 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और जबकि 1,115 घायल हुए हैं।

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जैसा कि मालूम है कि कल शनिवार को इस्राइल ने बमबारी कर गाजा में स्थित उस टावर ब्लॉक को तबाह कर दिया था जिसमें समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) और अल-जज़ीरा जैसे कई चैनलों के दफ्तर थे। हमले के बाद एपी और अल-जज़ीरा ने साफ कहा है कि इस्राइल के तरफ से उन पर हमले डराने-धमकाने और खबरों को बाहर जाने के बचाने के लिए किया गया है। जबकि इस्राइली का कहना है कि अल-जाला बिल्डिंग में हमास के आतंकवादी छिपे हुए थे।


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