इस्रायली सेना ने सोमवार तड़के फिलिस्तीनी शहर गाजा पट्टी पर एक के बाद एक कई हवाई हमले किए। इस्रायल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि फिलिस्तीनी एन्क्लेव पर हमले जारी रहेंगे। हमले के बाद गाजा शहर उत्तर से लेकर दक्षिण तक दहल गया। यह दूसरा सप्ताह है जब इस्रायल ने हिंसक हमले किए है। हवाई हमलों में रविवार को कम-से-कम 42 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई जबकि दर्जनों घायल हो गए।
Latest updates: May 17
— Al Jazeera English (@AJEnglish) May 17, 2021
Israel’s heavy bombardment in #Gaza has entered its second week with air raids carried out in the early hours of Monday.
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एक सप्ताह पहले शुरू हुई इस्रायली बमबारी में गाजा पट्टी में 58 बच्चों और 34 महिलाओं सहित कम-से-कम 192 लोग मारे गए हैं। इजरायली सेना का कहना है कि उसके युद्धक विमानों ने रविवार और सोमवार की रात के बीच हमास की भूमिगत सुरंगों पर फिर से बमबारी किया। सेना का कहना है कि हमले से गाजा पट्टी के उत्तर में करीब 15 किलोमीटर लंबी सुरंग क्षतिग्रस्त हो गई है।
अल-अरबिया चैनल के मुताबिक, इजरायली विमानों ने एक सरकारी परिसर के आसपास करीब 70 हमले किए। परिसर में फिलिस्तीन की आंतरिक मंत्रालय और सुरक्षा बलों के कार्यालय भी थे। इस्रायली विमानों ने कल दोपहर के बाद अल-रशीद, अल-शिफा अस्पताल और तिल अलहो और अल-जैतून में हमला किया।
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इससे पहले, गाजा पट्टी पर शासन करने वाले समूह हमास ने इजरायल के अश्कलोन और बेर्शेबा शहरों की ओर रॉकेट दागे थे। इस्राइल ने दो बच्चों समेत 10 लोगों की मौत की सूचना दी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रविवार को हिंसा पर चर्चा करने के लिए बैठक की लेकिन अमेरिका के विरोध के चलते संयुक्त बयान जारी करने में असफल रही। चीन ने आरोप लगाया कहा कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका था जिसने परिषद को ‘एक स्वर में’ हवाई हमले को रोकने के प्रस्ताव का वीटो किया।
उधर, अमेरिक के राष्ट्रपति जो बिडेन एक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिकी प्रशासन स्थायी शांति बहाल करने के लिए फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के साथ बातचीत कर रहा है। जारी एक वीडियो संदेश में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा मानना हैं कि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों को एक साथ शांति और सुरक्षा के साथ रहने का आधिकार है। दोनों को समान स्वतंत्रता, शांति और लोकतंत्रिक जीवन जीने की अधिकार है। बिडेन के अनुसार, उनका प्रशासन स्थायी शांति के लिए फिलिस्तीनियों, इजरायल और क्षेत्र के अन्य दलों के साथ मिलकर काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की कल रविवार को जेद्दा में आपात बैठक बुलाई गई थी जो केवल इस्राइल की निंदा प्रस्ताव के साथ संपन्न हुई। जैसाकि उम्मीद जताई जा रही थी बगैर किसी खास ठोस फैसले के यह बैठक खत्म हुई। मलेशिया को छोड़कर सभी ने केवल खानापूर्ती की और अपने लिखे बयान पढ़े।
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ओआईसी की ओर बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया जिसमें चेतावनी देते हुए कहा गया कि धार्मिक संवेदनाओं को भड़काने की जानबूझकर कोशिश की जा रही है। बयान में कहा गया कि इस्राइल के लिए फिलिस्तीनी लोगों और इस्लामिक दुनिया की भावनाओं को भड़काने के भयानक परिणाम होंगे।
दूसरी तरफ फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने ओआईसी की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे अरब देशों को आड़े हाथों लिया जिन्होंने हाल भी इस्राइल के साथ दोस्ती की है और इस्राइल के साथ ‘अब्राहम एकॉर्ड्स’ संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा, “बिना शांति स्थापित किए और अरब और फिलिस्तीनी जमीन पर इस्राइली कब्जे को समाप्त किए बिना सामान्यीकरण और औपनिवेशिक इस्राइली व्यवस्था की ओर भागना भेदभाव-भरे शासन और उसके अपराधों में भागीदारी का समर्थन करना है।”
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फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने कहा, “इस औपनिवेशिक कब्जे का सामना किया जाना चाहिए और इसे खत्म करना चाहिए। हाल में रिश्ते सामान्य करने की रफ्तार अरब जगत की भावनाओं पर असर नहीं डालेगी या उनका आंकलन नहीं बदलेगा।”
बैठक में यूएई के विदेश मंत्री रीम अल-हाशिमी भी मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने भी हिंसा को रोकने की मांग की। लेकिन इस्राइल के साथ रिश्ते सामान्य किए जाने की आलोचना पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। जबकि ओआईसी की आपात बैठक की मेजबानी कर रहे सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि इस मामले पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
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