म्यांमार में ‘ऑर्म्ड फोर्सेज डे’ के मौके पर खूनी संघर्ष, बच्चों समेत 114 लोगों की मौत

म्यांमार में ‘ऑर्म्ड फोर्सेज डे’ के मौके पर खूनी संघर्ष, बच्चों समेत 114 लोगों की मौत

तख्तापलट के बाद म्यांमार में हालात दिन-ब-दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हर दिन यहां कोई-न-कोई सेना की गोलियों का शिकार हो रहा है। रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, देश में शनिवार को ‘ऑर्म्ड फोर्सेज डे’ के मौके पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच जबर्दस्त झड़पें हुई। इस दौरान लगभग 114 प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों के गोलियों के शिकार हुए जिनमें बच्चे भी शामिल हैं।

म्यांमार में हुए इस हिंसा कि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों ने की भर्त्सना की है। अमेरिकी दूतावास का कहना है कि सुरक्षाबल ‘निहत्थे आम नागरिकों की हत्या’ कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट कर लिखा, “बर्मा के सुरक्षाबलों के जरिए किए गए खून-खराबे से हमलोग स्तब्ध हैं। ऐसा लगता है कि मिलिट्री जुनटा कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की जिंदगी कुर्बान कर देगी। मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूं। बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आंतक के युग को नकार दिया है।”

म्यांमार में 'ऑर्म्ड फोर्सेज डे' के मौके पर खूनी संघर्ष, बच्चों समेत 114 लोगों की मौत

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दूसरी तरफ एक बयान में ब्रिटेन के राजदूत डेन चग ने कहा कि सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने इससे पहले शनिवार को नेशनल टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि वो ‘लोकतंत्र की रक्षा’ करेंगे। लाइंग ने वादा किया था कि देश में चुनाव कराए जाएंगे पर चुनाव कब कराए जाएंगे, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया।

सैन्य प्रमुख ने कहा कि सेना को सत्ता में आना पड़ा क्योंकि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गईं नेता आंग सांग सू ची और उनकी पार्टी ने ‘गैर-कानूनी कार्य’ किए थे। हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि सेना को उनकी तरफ से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के आदेश दिए गए हैं या नहीं। हालांकि, उन्होंने इससे पहले दावा किया था कि गोलियां प्रदर्शनकारियों की ओर से चलाई जा रही हैं।

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म्यांमार की सेना ने फरवरी में देश में तख्तापलट कर दिया था। साथ ही देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। नेताओं की गिरफ्तारी और सत्ता को अपने हाथ में लेने के बाद सेना ने टीवी चैनल पर कहा था कि देश में एक साल तक आपातकाल रहेगा। अब तक सेना विरोधी प्रदर्शनों में 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। शुक्रवार को सरकारी टेलीविजन पर चेतावनी दिया है कि लोगों को बीते दिनों हुई मौतों से सबक लेना चाहिए कि उन्हें भी सिर या पीछे से गोली लग सकती है।


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