तख्तापलट के बाद म्यांमार में अभी कैसे हैं हालात

तख्तापलट के बाद म्यांमार में अभी कैसे हैं हालात

म्यांमार में सैन्य प्रशासन जुंटा ने सड़कों पर और अधिक सैनिकों को उतार दिया है। सेना के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर रहे हैं। जहां एख तरफ से प्रदर्शन कर रहे लोग मानने को तैयार नहीं और वहां दूसरी तरफ सेना भी धीरे-धीरे और ज्यादा सख्ती पर उतरती जा रही है। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि पहली बार प्रदर्शनों में गोली चलाई गई है।

सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और सैनिकों का दस्ता म्यांमार के यंगून की सड़कों पर गश्त देखा जा सकता है। सेना की तैनाती देश के बाकी हिस्से में भी बढ़ा दी गई है। कई घंटे तक सोमवार को इंटरनेट बंद रहा। हालांकि बाद में बहाल कर दिया गया। लेकिन अधिकतर लोगों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करने दिया जा रहा है। सेन्य प्रशासन की सारी पाबंदियों के बावजूद प्रदर्शन करने वाले लोग डटे हुए हैं।

तख्तापलट के बाद म्यांमार में अभी कैसे हैं हालात

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आंसू गैस के गोले और गोलियां

इस बात की अधिक आशंका है कि आने वाले समय में सेना विरोध करने वाले लोगों पर ज्यादा सख्त कार्रवाई कर सकती है। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, सैनिकों ने उत्तरी शहर मितकिना में रविवार की रात पहले आंसू गैस के गोले दागे और फिर गोलियां चलाई। घटना स्थल पर मौजूद एक पत्रकार ने इसकी जानकारी दी। हालांकि, यह पता नहीं चल सका है कि वो असली गोलियां थीं या फिर रबर बुलेट थे।

उल्लेखनीय है कि म्यांमार की सेना ने दो हफ्ते पहले सरकार का तख्तापलट कर कामकाज को अपने कब्जे में ले लिया था। इसकी बाद एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही देश की सबसे बड़ी नेता आंग सान सूची को उनकी पार्टी के सैकड़ों लोगों के साथ हिरासत में ले लिया गया था। इसमें लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के सदस्य भी शामिल हैं। अदालत में सोमवार को सूची के मामले में सुनवाई होनी थी पर उसे बुधवार तक के लिए टाल दिया गया।

सैन्य बलों से अनुरोध

करीब एक हजार लोगों की भीड़ में शामिल 46 साल की के एक प्रदर्शनकारी नाइन मोइ ने बताया, “बख्तरबंद गाड़ियों में गश्त लगाने का मतलब है कि वो लोगों को धमका रहे हैं।” इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के सैकड़ों छात्र भी यंगून में प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले। सोमवार को शहर के दक्षिणी हिस्से में भी एक रैली हुई जिसे फेसबुक पर लाइव स्ट्रीम के जरिए दिखाया गया। सैकड़ों लोग इस रैली में बैंड के साथ मार्च करते नजर आए।

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म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और राजधानी नेप्यीदॉ में बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन करने निकले हैं। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सेना के खिलाफ बैनर लिए हुए थे जिस पर लिखा था, “वे दिन में मारेंगे, रात में चोरी करेंगे, टीवी पर झूठ बोलेंगे।” उधर, एक संयुक्त बयान जारी कर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के राजदूतों ने सैन्य बलों से अनुरोध किया है कि वे आम लोगों को नुकसान न पहुंचाएं।

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वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने भी यही मांग रखी है। उन्होंने अपने प्रवक्ता के जरिए कहलवाया है कि सेना तुरंत स्विस राजदूत को म्यांमार आने की अनुमति दे। ताकी वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके। अमेरिका ने अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने और रात के कर्फ्यू का उल्लंघन नहीं करने की सलाह दी है।

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प्रदर्शन में पुलिस भी शामिल

आंग सान सूची को 1 फरवरी को हिरासत में लिए जाने के बाद देश के ज्यादातर हिस्सों में अशांति फैली हुई है। सूची को हिरासत में रखने की अवधि सोमवार को खत्म हो रही है पर एक जज का हवाला देकर उनके वकील ने बताया है कि वो 17 फरवरी तक हिरासत में रहेंगी। करीब 400 लोगों को अब तक हिरासत में लिया गया है। लेकिन बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग विरोध-प्रदर्शन करने निकल रहे हैं। दावाइ में सात पुलिस अधिकारियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

लोगों ने देश के कई हिस्सों में पहरेदारी के लिए ब्रिगेड बनाए हैं, ताकी नागरिक अवज्ञा में शामिल हो रहे लोगों को गिरफ्तारी से बचाया जा सके। यंगून की सड़कों पर गश्त कर रहे इसी तरह के दल के एक सदस्य ने बताया, “हमें इस वक्त किसी पर भरोसा नहीं है, खासतौर से उन लोगों पर जो वर्दी में हैं।”

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से सैन्य शासक बेपरवाह हैं। सैन्य प्रशासन जुंटा ने इस बात पर जोर दिया है कि उन्होंने कानूनी तौर पर शासन अपने हाथ में लिया है। उन्होंने पत्रकारों को भी निर्देश दिया है कि वे उन्हें ऐसी सरकार के रूप में पेश न करें जिसने तख्तापलट से सत्ता हथियाई है।

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