जब माइकल जैक्सन को बप्पी दा की गोल्ड चेन पसंद आ गई

जब माइकल जैक्सन को बप्पी दा की गोल्ड चेन पसंद आ गई

जानेमाने संगीतकार और गायक बप्‍पी लाह‍िड़ी का बुधवार रात निधन हो गया। वे 70 साल के थे। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अपनी अंत‍िम सांसे लीं। बॉलीवुड के ‘गोल्ड मैन’ कहे जाने वाले बप्पी लहरी ने हिंदी सिनेमा का परिचय एक अलग किस्म से संगीत से कराया। खासकर रॉक और डिस्को म्यूजिक से। उनके संगीत में वेस्टर्न टच था जिसने युवाओं की खूब आकर्षित किया।

‘डिस्को डांसर’ और ‘जिम्मी जिम्मी’ जैसे उनके गाने आज भी आइकॉनिक माने जाते हैं। मशहूर सिंगर और डांसर माइकल जैक्सन भी बप्पी दा के गानों के बड़े प्रशंसक थे। दोनों की पहली मुलाकात ‘गोल्ड’ की वजह से हुई थी, जिसकी कहानी बप्पी लहरी ने ‘द कपिवल शर्मा शो’ में बताई थी। उन्होंने बताया था कि जब माइकल जैक्सन मुंबई आए थे तब वो पहली बार उनसे मिले थे।

दरअसल, गणपति की तस्वीर वाली बप्पी दा की एक चेन माइकल जैक्सन को पसंद आ गई थी और वहीं से दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई थी। बप्पी दा ने बताया, “जब वो बॉम्बे में आए थे। मैं एक जगह बैठा था। माइकल जैक्सन आए। मेरी गणपति वाले चेन पर उनकी नजर टिक गई। बोले- ओ माई गॉड, फैंटास्टिक। तुम्हारा नाम क्या है? मैंने बताया कि मैं बप्पी लहरी हूं। फिर पूछते हैं कि आप कंपोजर हो?”

जब माइकल जैक्सन को बप्पी दा की गोल्ड चेन पसंद आ गई

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बप्पी लहरी ने आगे बताया था, “मैंने कहा हां, मैं कंपोजर हूं। मैंने डिस्को डांसर बनाया है। मैंने जैसे ही डिस्को डांसर बोला तो उन्होंने कहा कि मुझे तुम्हारा गाना पसंद है ‘जिम्मी जिम्मी’ वाला।” इसी दौरान बप्पी लहरी ने बताया था कि उनके गहनों में गुरुद्वारे का एक कड़ा भी शामिल है, जिसे वो हर वक्त पहनते हैं। इसके पीछे का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा था कि जब उनकी पहली फिल्म, ‘जख्मी’ सुपरहिट हुई तब उनकी माँ ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से कड़ा लिया था। बप्पी को माँ ने कड़ा पहनाया था और वो उस कड़े को लकी मानते आए हैं इसलिए हमेशा उसे अपने हाथ में पहने रखते हैं।

दरअसल, बप्पी दा अमेरिका के जाने-माने पॉप स्टार एल्विस प्रेसली से खासा प्रभावित थे। चूंकि, वह अपने शोज़ के दौरान सोने की चेन और अन्य जूलरी पहनते थे, लिहाजा वह भी सफल बनने पर उनके जैसा बनने की तमन्ना रखते थे। इस बारे में खुद लहरी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था। बताया था- मैं प्रेसली से इंस्पायर होकर गोल्ड पहनता हूं। यह मेरे लिए लकी भी है।

बप्‍पी लाहिड़ी जिनका असली नाम अलोकेश लाहिड़ी था और जन्‍म 27 नवंबर 1952 को जलपैगुड़ी पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके पिता का नाम अपरेश लाहिड़ी तथा मां का नाम बन्‍सारी लाहिड़ी है। जब वे तीन साल के थे तब उन्होंने तबला बजाना शुरू कर दिया था जिसे बाद उनके पिता ने संगीत के कई गुर सिखाए। बॉलीवुड को रॉक और डिस्को से रू-ब-रू कराकर पूरे देश को अपनी धुनों पर थिरकाने वाले मशहूर संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी ने कई बड़ी छोटी फिल्‍मों में काम किया।

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बप्पी दा ने 80 के दशक में बालीवुड को यादगार गानों की सौगात दे कर अपनी पहचान बनाई। महज 17 साल की उम्र से ही बप्पी संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी प्रेरणा बने एस.डी. बर्मन। बप्पी टीनएज में एसडी बर्मन के गानों को सुना करते और उन्हें रियाज किया करते थे।

जिस दौर में लोग रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते थे उस वक्त बप्पी ने बॉलीवुड में ‘डिस्को डांस’ को इंट्रोड्यूस करवाया। उन्हें अपना पहला अवसर एक बंगाली फिल्म ‘दादू’ (1972) और पहली हिंदी फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ (1973) में मिला जिसके लिए उन्होंने संगीत दिया था। जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, वह ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म ‘जिख्मी’ (1975) थी, जिसके लिए उन्होंने संगीत की रचना की और पार्श्व गायक के रूप में दोगुनी कमाई की।

इन फिल्मों ने उन्हें प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर पहुंचाया और हिंदी फिल्म उद्योग में एक नए युग को आगे लाया। इसके बाद तो वे फिल्‍म-दर-फिल्‍म बुलंदियों को छूते गए और बॉलीवुड में अपना नाम बड़े कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए। बप्‍पी लाहिड़ी गायक होने के साथ म्‍यूजिक डायरेक्‍टर, अभिनेता एवं रिकॉर्ड प्रोड्यूसर भी थे।


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