जानेमाने संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी का निधन हो गया है। वे 70 साल के थे। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांसे लीं। बप्पी लाहिड़ी की तबीयत मंगलवार रात अचानक काफी बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की पर वे नाकामयाब रहे। बप्पी लाहिड़ी पिछले कुछ समय से बीमार थे। उन्हें पिछले साल से ही अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा था। बप्पी दा के नाम से मशहूर बप्पी लहरी ने म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी धुन और गानों से एक अलग तरह का राग छेड़ा था।
Singer-composer Bappi Lahiri dies in Mumbai hospital, says doctor
— Press Trust of India (@PTI_News) February 16, 2022
अस्पताल के निदेशक डॉ. दीपक नामजोशी ने पीटीआई को बताया, “लाहिड़ी को एक महीने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और सोमवार को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनके परिवार ने एक डॉक्टर को उनके घर बुलाया। उन्हें फिर अस्पताल लाया गया। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। उनकी मृत्यु हो गई। आधी रात से कुछ समय पहले ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया) के कारण।”
जैसा कि मालूम है कि बीते साल अप्रैल के महीने में बप्पी लहरी कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। इसके बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कुछ दिन के इलाज के बाद उनकी रिकवरी हो गई थी।
ये भी पढ़ें: जब बेशुमार दौलत की मालकिन परवीन बॉबी की भूख से हुई मौत
बप्पी लाहिड़ी जिनका असली नाम अलोकेश लाहिड़ी था और जन्म 27 नवंबर 1952 को जलपैगुड़ी पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके पिता का नाम अपरेश लाहिड़ी तथा मां का नाम बन्सारी लाहिड़ी है।
जब वे तीन साल के थे तब उन्होंने तबला बजाना शुरू कर दिया था जिसे बाद उनके पिता ने संगीत के कई गुर सिखाए। बॉलीवुड को रॉक और डिस्को से रू-ब-रू कराकर पूरे देश को अपनी धुनों पर थिरकाने वाले मशहूर संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी ने कई बड़ी छोटी फिल्मों में काम किया।

बप्पी दा ने 80 के दशक में बालीवुड को यादगार गानों की सौगात दे कर अपनी पहचान बनाई। महज 17 साल की उम्र से ही बप्पी संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी प्रेरणा बने एस.डी. बर्मन। बप्पी टीनएज में एसडी बर्मन के गानों को सुना करते और उन्हें रियाज किया करते थे।
ये भी पढ़ें: जब आशा भोसले बोलीं- अगर मैं पुरुष होती तो हेलन के साथ भाग जाती
जिस दौर में लोग रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते थे उस वक्त बप्पी ने बॉलीवुड में ‘डिस्को डांस’ को इंट्रोड्यूस करवाया। उन्हें अपना पहला अवसर एक बंगाली फिल्म ‘दादू’ (1972) और पहली हिंदी फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ (1973) में मिला जिसके लिए उन्होंने संगीत दिया था। जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, वह ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म ‘जिख्मी’ (1975) थी, जिसके लिए उन्होंने संगीत की रचना की और पार्श्व गायक के रूप में दोगुनी कमाई की।
इन फिल्मों ने उन्हें प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर पहुंचाया और हिंदी फिल्म उद्योग में एक नए युग को आगे लाया। इसके बाद तो वे फिल्म-दर-फिल्म बुलंदियों को छूते गए और बॉलीवुड में अपना नाम बड़े कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए। बप्पी लाहिड़ी गायक होने के साथ म्यूजिक डायरेक्टर, अभिनेता एवं रिकॉर्ड प्रोड्यूसर भी थे।
दरअसल, बप्पी दा अमेरिका के जाने-माने पॉप स्टार एल्विस प्रेसली से खासा प्रभावित थे। चूंकि, वह अपने शोज़ के दौरान सोने की चेन और अन्य जूलरी पहनते थे, लिहाजा वह भी सफल बनने पर उनके जैसा बनने की तमन्ना रखते थे। इस बारे में खुद लहरी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था। बताया था- मैं प्रेसली से इंस्पायर होकर गोल्ड पहनता हूं। यह मेरे लिए लकी भी है।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave a Reply