जब रुंधे गले महमूद बोले- अमिताभ ने मुझे हॉस्पिटल में विश तक नहीं किया

जब रुंधे गले महमूद बोले- अमिताभ ने मुझे हॉस्पिटल में विश तक नहीं किया

‘हम जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से खड़ी हो जाती है’ अमिताभ बच्चन की ये डायलॉग तो हर किसी के जुबां पर है। लेकिन अमिताभ बच्चन ने इस मुकाम को पाने के लिए बहुत स्ट्रगल किए तब जाकर उन्हें ये मुकाम हासिल हुई। जब वे अपने करियर के शुरुआती सालों में फिल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे तब उन्हें सहारा देने वाले कई थे। और उन तमाम लोगों में से एक एक्टर-डायरेक्टर महमूद भी थे।

अमिताभ बच्चन की एक के बाद एक फिल्में फ्लॉप हो रही थी। लगातार असफलताओं से निराश अमिताभ अपना बोरिया-बिस्तर समेट मायानगरी छोड़ वापस अपने घर लौट रहे थे। तब महमूद ही वह शख्स थे, जिसने अमिताभ को रोका था। और न सिर्फ अमिताभ के रहने की व्यवस्था की, बल्कि फिल्में भी दिलाईं। महमूद ने अपनी फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ में अमिताभ बच्चन को लीड रोल दिया।

कहा जाता है कि ‘बॉम्बे टू गोवा’ फिल्म की सफलता की बदौलत ही अमिताभ के खाते में ‘जंजीर’ जैसी फिल्में आईं, जिसने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमिताभ के तमाम बुरे दिनों में महमूद उनके साथ खड़े रहे। महमूद खुद को अमिताभ का दूसरा बाप भी कहा करते थे। महमूद का कहना था कि हरिवंश राय बच्चन ने तो सिर्फ अमिताभ को जन्म दिया है, लेकिन उन्होंने अमित को पैसे कमाना सिखाया है।

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लेकिन जब अमिताभ अपने करियर की बुलंदियों पर चढ़ने लगे तब महमूद से उनकी दूरियां बढ़ गई। यह दूरी इस कदर बढ़ी कि महमूद को आखिरी दिनों तक एक वाकया परेशान करता रहा। महमूद ने अपने एक इंटरव्यू में अमिताभ से अपने संबंधों और इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था, “मैंने अमित को अपने साथ घर में रखकर पिक्चरें दिलाईं, काम करना सिखाया…काम दिया और पैसे कमाना सिखाया, लेकिन आखिर में मुझे बहुत दुख हुआ।”

जब रुंधे गले महमूद बोले- अमिताभ ने मुझे हॉस्पिटल में विश तक नहीं किया

उन्होंने कहा था, “जब मेरी ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी तो उसके एक-दो हफ्ते पहले ही इनके (अमिताभ के) फादर गिर गए थे। मैं उन्हें देखने के लिए अमित के घर गया था। इस घटना के एक हफ्ते बाद ही मेरी बाईपास सर्जरी हुई तो अमित अपने वालिद को लेकर उसी ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में आए, जहां मेरी सर्जरी हुई थी, लेकिन अमित ने यह दिखा दिया कि असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है।”

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इस घटना का जिक्र करते हुए रुंधे गले से महमूद ने आगे कहा था, “उसने आकर मुझे हॉस्पिटल में विश तक नहीं किया। मुझसे मिलने भी नहीं आया…गेट वेल सून का एक कार्ड तक नहीं भेजा…एक छोटा-सा फूल भी नहीं भेजा, यह जानते हुए भी कि भाईजान भी इसी हॉस्पिटल में हैं। मैंने उसे माफ कर दिया है… कोई बद्दुआ नहीं दी। लेकिन दूसरों के साथ ऐसा सलूक न करे…।”

कुछ इसी तरह अमिताभ बच्चन को लेकर और उनके संघर्ष के दिनों के बारे में दिवंगत राजनेता अमर सिंह ने भी कही थी। अमर सिंह ने भी अमिताभ बच्चन की उनके संघर्ष के दिनों में तमाम मदद की थी। खुद अमिताभ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर अमर सिंह नहीं होते तो वे मुंबई में टैक्सी चला रहे होते। हालांकि, बाद के दिनों में दोनों के संबंधों में भी खटास आ गई थी। तब अमर सिंह खुलेआम बच्चन परिवार पर हमलावर थे। अमर सिंह अपने निधन से ठीक पहले बच्चन परिवार पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी।


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