गणतंत्र दिवस पर किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाला लेकिन अचानक हिंसा की घटनाएं होने लगीं। इसके बाद राजधानी की सड़कों खूब हंगामा हुआ। देखते-ही-देखने किसान आंदोलन दो फाड़ में बंट गया। किसानों का एक बड़ा धड़ा जहां इन हिंसक घटनाओं का विरोध किया वहीं दूसरी तरफ सरकार समर्थकों द्वारा किसानों को घेरने का मौका मिल गया।
शाम होते-होते किसान नेताओं ने पंजाबी सिंगर और अभिनेता दीप सिंह सिद्धू पर किसानों को भड़काने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया। दरअसल, दीप सिंह सिद्धू वहीं हैं जिन्हें बीते दिनों उन्हें उनके भाई मनदीप को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पूछताछ के लिए तलब था। एक्टर और सिंगर को बीते रविवार को पेश होने का आदेश दिया गया था।
तब उन्होंने कहा था कि एजेंसी केंद्र सरकार के इशारे पर यह सब कर रही है और किसानों का साथ देने वालों को डराना और धमकाना चाहती है। एनआईए ने इससे पहले भी उनके भाई मनदीप को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस से जुड़े 40 लोगों को भी एनआईए ने न्यायिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत संबंधित मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया था।एकबार फिर से एनआईए ने सिद्धू को पूछताछ के लिए तलब किया है।
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सिंद्धू पर शक के कारण
देखा जाए तो सिद्धू पर आरोप लगने के कुछ कारण भी हैं। पहला ये कि सभी किसान संगठनों के उलट उन्होंने आंदोलन का रुख मोड़ा और किसान नेताओं की बात नहीं मानी। दूसरा उनके कुछ वीडियो जो अलग इशारे कर रहे हैं। उसी में एक है सोमवार 25 जनवरी की शाम का वीडियो। उस दिन दीप सिद्धू ने गैंगस्टर से सोशल एक्टिविस्ट बने लक्खा सिधाना के साथ मिलकर घोषणा की थी कि वे ‘दिल्ली के अंदर’ मार्च आयोजित करेंगे।
दीप सिद्धू ने कल शाम को भी फेसबुक लाइव किया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वो संयुक्त किसान मोर्चा के रूट मैप से सहमत नहीं है। और यहीं से शक की सुई घुमने लगती है; कि किसान संगठनों के नियमों के उलट सिद्धू ने अलग रास्ता अख्तियार क्यों किया? ऊपर से उनका अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पुराना फोटो लोगों के शक को और अधिक बढ़ा देता है।
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वीडियो जारी कर सफाई
हालांकि, लाल किला पर झंड़ा फहराने के विवाद पर दीप सिद्धू ने फेसबुक पर आकर सफाई दी है। उन्होंने जारी वीडियो में कहा है कि हमने प्रदर्शन के अपने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत निशान साहिब का झंडा लाल किले पर फहराया मगर भारतीय झंडे को हमने नहीं हटाया। साथ ही उन्होंने लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा एक धार्मिक झंडा फहराये जाने का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया। उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है।
अपने वीडियो में सिद्धू कहते हैं, “नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक रूप से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने ‘निशान साहिब’ और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया।” ‘निशान साहिब’ की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “झंडा देश की ‘विविधता में एकता’ का प्रतिनिधित्व करता है।” दरअसल, ‘निशान साहिब’ सिख धर्म का एक प्रतीक है जो सभी गुरुद्वारा परिसरों पर लगा देखा जाता है। सिंद्धू ने जारी वीडियो में कहा है कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया।
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अखंडता में एकता का प्रतीक
पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन से जुड़े सिद्धू वीडियो में कहते हैं, “जब कोई ऐसा संघर्ष शुरू होता है, जहां लोगों के जेन्विन कन्सर्न, राइट…का ध्यान नहीं रखा जाता, उसे इग्नोर किया जाता है, तो लोगों के मन और दिल में जो गुस्सा चल रहा होता है, तो ऐसे जब चल रहा होता है तो बाहर आ जाता है।” वो आगे कहते हैं, “आज वो गुस्सा लोगों का बाहर आ गया। अगर आप किसी एक को कहे हैं कि उसने भड़काया है तो समझ लें कि इतना बड़ा संघर्ष किसी एक व्यक्ति या शख्सियत पर डिपेंड नहीं होता है।”
उन्होंने कहा कि लोग वैरिकेट को तोड़कर आगे बढ़े। और हम लोग लालकिले की तरफ चले गए। तो अपने रोष, गुस्सा, प्रोटेस्ट दर्ज करवाने के लिए हमने निशान साहब भी लगाया और किसानों का झंडा भी लगाया। हमने किसान एकता का नारा भी बुलंद किया। उन्होंने आगे कहा कि जिस पोस्ट पर हमने अपने झंडा लगाया उस पोस्ट पर कोई तिरंगा झंडा नहीं था। उन्होंने कहा कि हमने जो झंड़ा लगाया वह हमारे देश के अखंडता में एकता का प्रतीक है। आप डाइवर्सिटी को ऐसे मत देखिए। 12 मिनट के अपने इस वीडियो में उन्होंने अलग-अलग तरह से सफाई दी है।
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कौन हैं सिंद्धू?
पंजाब के मुक्तसर जिले में दीप सिद्धू का जन्म साल 1984 में हुआ। उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। वह किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीतने से पहले कुछ समय के लिए बार एसोसियन के सदस्य भी रहे। फिर साल 2015 में उनकी पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ रिलीज हुई। हालांकि, उन्हें शोहरत मिली साल 2018 में जब उन्होंने फिल्म ‘जोरा दास नुम्बरिया’ में गैंगेस्टर का रोल निभाया है।
उल्लेखनीय है कि साल 2019 में एक्टर सनी देओल ने जब गुरुदासपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, तो अपने चुनाव कैंपेन टीम में दीप सिद्धू को भी रखा था। इतना ही नहीं बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब रैलियों को भी सिंद्धू देखते थे। हालांकि, सनी देओल ने लाल किले पर हुई हिंसक घटना के बाद एक ट्वीट कर इस मामले से खुद को किनारा कर लिया है। उन्होंने लिखा है कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है।
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