पायरिया मसूड़ों में होने वाली बीमारी है। बताया जाता है कि दुनिया में इस संक्रमण से 90 प्रतिशत आबादी जूझ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, हमारे दांतों में बैक्टीरिया की कई प्रजातियां होती हैं। सही साफ-सफाई नहीं होने की वजह से यह बैक्टीरिया दांतों के आस-पास जमना शुरू हो जाते हैं। और जब व्यक्ति कुछ भी खाता है उससे उसे पोषण मिलता है।
ये बैक्टीरिया मसूड़े और जबड़े की हड्डी को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। यही नहीं धीरे-धीरे हड्डी गलना शुरू हो जाती है। इसी बीमारी को पायरिया कहते हैं। मुंह से दुर्गंध आने लगते हैं। दांतों में सड़न होने लगती है। यही नहीं अगर समय रहते इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया तो धीरे-धीरे दांत गिरने लगते हैं।

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पायरिया के लक्षण
- सांसों में भयानक बदबू आना
- ब्रश करते वक्त मसूड़ों से खून आना
- लाल, कोमल या सूजे हुए मसूड़े
- खाना चबाने में दर्द होना
- दांतों की स्थिति में बदलाव
- मुंह में खराब स्वाद आना
पायरिया के कारण
- पायरिया होने का सबसे बड़ा कारण है ठीक से ब्रश न करना। क्योंकि ठीक से ब्रश न करने पर मुंह में बैक्टीरिया मल्टीप्लाई होते हैं और डेंटल प्लाक बनाते हैं। और बैक्टीरिया समय के साथ प्लाक के भीतर मिनरल्स जम कर देते हैं। जमे हुए मिनरल को टैटार के रूप में जाना जाता है। दांत की जड़ से मसूड़ों का जुड़ाव टूट जाता है और मसूड़ों और जड़ के बीच एक गैप बन सकता है। इसलिए दांतों की सफाई अच्छे से करनी चाहिए।
- लिवर की खराबी के कारण रक्त में अम्लता बढ़ जाती है। और दूषित अम्लीय रक्त के कारण पायरिया की शिकायत होती होने लगती है।
- मांस- मछली तथा दूसरे हेवी फूड के सेवन करने से।
- पान, गुटखा, तम्बाकू आदि पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से।
- भोजन को ठीक से चबाकर न खाने से।
- एसिडिटी और कब्ज के कारण।

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बचाव के उपाय
- दांतों की प्रतिदिन नियमित रूप से अच्छी तरह सफाई करें। नीम या बबूल की दातौन खूब चबाकर उससे ब्रश बनाकर दांतों की सफाई करें।
- सरसों के तेल में नमक मिलाकर दांतों और मसूढ़ों की सफाई करें।
- रात को सोने से पहले 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
- जामुन की छाल का काढ़ा से दिन में कुल्ले करें।
- नीम का तेल मसूढ़ों पर लगाकर कुछ मिनट छोड़ दें, फिर पानी से दांत साफ कर लें।
- फिटकरी के पानी का कुल्ला करें।
- सुबह-शाम पानी में नींबू का रस निचोड़कर पिएं या फिर कुल्ला करें।
- पालक, गाजर और गेहूं के जवारे का रस रोजाना पिएं। यह अपने आप में स्वत: औषधि का कार्य करता है।
- जटामांसी 10 ग्राम, नीला थोथा 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम, लौंग 2 ग्राम, अजवाइन 2 ग्राम, अदरक सूखी 5 ग्राम, कपूर 1 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम तथा गेरू 10 ग्राम लें और इन वस्तुओं का समान मात्रा में महीन चूर्ण बनाकर रख लें। इससे दिन में रोजाना 3 बार अच्छी तरह से मंजन करें। यह मंजन पायरिया की अनुभूत औषधि है।
- रात को सोते समय गर्म दूध पीयें। सुबह 2 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ लें।
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