वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों की ओर से किए गए कैपिटल हिल हिंसा की अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने निंदा की है। सेना की तरफ से इस बात की पुष्टि की गई है कि 20 जनवरी को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन का शपथग्रहण सामारोह होगा। अमेरिकी सेना के शीर्ष जनरल मार्क मिली ने ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के साथ मिलकर एक बयान जारी किया है। जारी बयान में उन्होंने कैपिटॉल हिंसा की निंदा की गई है और इस बयान पर सेना के सभी विभागों के प्रमुखों का दस्तखत दर्ज है।
सेना की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है, “6 जनवरी को हुई घटनाएं, कानून के शासन के लिहाज से उचित नहीं थीं। अभिव्यक्ति की आजादी का आधिकार और सम्मेलन का अधिकार किसी को हिंसा, देशद्रोह और विद्रोह करने का अधिकार नहीं देता।”
सेना की तरफ से जारी इस बयान में हरेक सैनिक को उनके मिशन की याद दिलाई गई है। कहा गया है, “यह अमेरिका के इतिहास में अप्रत्याशित घटना है। सेना के अधिकारियों ने इस समय पर यह संदेश देना जरूरी समझा है। संवैधानिक प्रक्रिया में बाधा डालने की कोई भी कोशिश न सिर्फ हमारी परंपराओं, मूल्यों और शपथ के बल्कि कानून के भी खिलाफ होगी।”
Top military officers condemned "sedition and insurrection" of Capitol attack https://t.co/ShkvRzicGS pic.twitter.com/KMQsxJZvLV
— The Hill (@thehill) January 12, 2021
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ट्रंप की खुले तौर पर आलोचना
इतना ही नहीं सेना ने अपने इस बयान के जरिए मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप की खुले तौर पर आलोचना की है। संसद के बाद अब सेना ने अपने इस पत्र के जरिए डेमोक्रैट की जीत पर अपनी मुहर लगा दी है। सेना ने साफ कहा है, “20 जनवरी 2021 को संविधान के मुताबिक…नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन शपथ लेंगे और हमारे 46वें कमांडर इन चीफ बनेंगे।”
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि वॉशिंगटन डीसी में शपथग्रहण समारोह की तैयारियां नेशनल गार्ड कर रहे है। इसी बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (एफबीआई) ने चेतावनी दी है कि 50 अमेरिकी राज्यों में सशस्त्र हमले हो सकते हैं। एफबीआई ने खुफिया जानकारी के आधार पर सुचना दी है कि सभी 50 अमेरिकी राज्यों की राजधानियों में और वाशिंगटन डीसी में सशस्त्र विरोध की योजना बनाई जा रही है।
सुचना के मुताबिक, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप समर्थक चरमपंथियों द्वारा घातक हिंसा करवा सकते हैं। खबरों के मुताबिक, सेना सुरक्षा इंतजामों में हिस्सा नहीं लेगी। लेकिन सेना खुफिया अधिकारियों के साथ इस बात पर जरूर चर्चा कर रही है कि शपथ ग्रहण में जो सैनिक नेशनल गार्ड की तरफ से शामिल होंगे क्या उनकी पृष्ठभूमिक की जांच करना जरूरी है या नहीं।
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निचले सदन में महाभियोग
इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ संसद के निचले सदन में महाभियोग का प्रस्ताव लाने के लिए औपचारिक अनुरोध कर दिया गया है। यह प्रस्ताव अगर आता है तो ट्रंप अमेरिका के पहले राष्ट्रपति होंगे जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग प्रस्ताव आएगा। अब ट्रंप के कार्यकाल में महज सात दिन बचे हैं। ऐसे में इतनी जल्दी इस प्रक्रिया पूरे होने के आसार कम ही है। पर डेमोक्रैटिक पार्टी प्रस्ताव को लाने पर अमादा है।
माना जा रहा है कि ट्रंप को दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए इस प्रस्ताव को लाया जा रहा है। कई रिपब्लिकन सांसद भी डेमोक्रैट की ओर से लाए गए प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। इस प्रस्ताव को डेमोक्रेटिक पार्टी के नियंत्रण वाली प्रतिनिधि सभा में 197 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया था। रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों ने प्रस्थाव के समर्थन में मतदान किया। जबकि चार सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
ट्रंप के खिलाफ इससे पहले एक महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन दो तिहाई बहुमत से सीनेट में प्रस्ताव पारित नहीं होने के चलते ट्रंप को इस प्रस्ताव से राहत मिल गई थी। उस वक्त यूक्रेन के राष्ट्रपति को जो बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू कराने के लिए ट्रंप के फोन करने की बात सामने आई थी। कथित टेलिफोन कॉल में इसके बदले में यूक्रेन को अमेरिकी सहायता का वादा किया गया था।
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25वें संशोधन का इस्तेमाल
अमेरिकी संविधान के जानकारों का मानना है कि ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनने से रोकने के लिए लाया जा रहा है। बर्नार्ड कॉलेज के राजनीति शास्त्र के विशेषज्ञ शेरी बर्मन का कहना है, “अगर सीनेट में उन पर दोष सिद्ध हो जाता है तो विचार यह होगा कि उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने से रोका जाए। राष्ट्रपति ने देशद्रोह के लिए उकसाया है, हिंसा के लिए उकसाया है तो लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि कानून का शासन उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराए।”
ट्रंप के बयानों के आधार पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पेलोसी उनके खिलाफ महाभियोग का मामला बनाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने इससे बचने के लिए उप-राष्ट्रपति माइक पेंस के सामने 25वें संशोधन का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था। हालांकि, माइक ने नैन्सी की बात नहीं मानी और ट्रंप के साथ बने रहने की बात कही। दरअसल, 25वां संशोधन विशेष परिस्थिति में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके तहत उप-राष्ट्रपति अगर किसी वैध आधार पर राष्ट्रपति को उनके पद के लिए अयोग्य घोषित कर दे तो उस स्थिति में उप-राष्ट्रपति खुद कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं और सारी शक्तियां उनके पास आ जाती हैं। अमेरिकी संविधान के मुताबिक, कोई भी शख्स केवल दो बार राष्ट्रपति बन सकता है। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि उसका दोनों कार्यकाल लगातार हों। अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ दो बार महाभियोग लाया जाता है कि तो वह दूबारा चुनाव नहीं लड़ सकता है।
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