अमेरिका ने ईरान पर लगाया अल-कायदा को पनाह देने का आरोप, जवाद जरीफ ने किया खंडन

अमेरिका ने ईरान पर लगाया अल-कायदा को पनाह देने का आरोप, जवाद जरीफ ने किया खंडन

वाशिंगटन: अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाया है कि वह अल-कायदा का नया गढ़ बन गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि आतंकवादी संगठन अल-कायदा से ईरान संबंध रखता है। हालांकि, पोम्पिओ ने अपने आरोप के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया। दूसरी तरफ ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अमेरिका के इन आरोपों का खंडन किया है।

माइक पोम्पिओ का कहना है कि ईरान में आतंकी संगठन अल-कायदा ने अपना नया ठिकाना स्थापित किया है और वहां अपनी पैठ मजबूत कर ली है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने दावा किया कि अल-कायदा ईरान के अंदर तक घुस गया इसलिए अमेरिका के लिए उसके सदस्यों को निशाना बनाना कठिन हो गया है। दरअसल, पोम्पिओ ने अपना ये दावा न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट पर किया है, जिसमें कहा गया था कि ईरान में अल-कायदा के शीर्ष नेता अबु मोहम्मद अल-मसरी इस्राएल के ऑपरेशन के दौरान बीते अगस्त 2020 में मारा गया। हालांकि, ईरान की तरफ से इस रिपोर्ट का खंडन किया था।

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पोम्पिओ ने वॉशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “ईरान में अल-मसरी की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि आज हम यहां खड़े हैं। अल-कायदा के पास नया अड्डा है, यह इस्लामिक गणराज्य ईरान है।” उन्होंने बिना पुख्ता सबूत के कहा, “मैं कहूंगा ईरान वास्तव में एक नया अफगानिस्तान है…अल-कायदा के लिए प्रमुख भौगोलिक केंद्र के रूप में। अफगानिस्तान में अल कायदा के सदस्य पहाड़ों में छिपते थे लेकिन अल कायदा आज उसके उलट ईरानी प्रशासन की कड़ी सुरक्षा में गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।”

अमेरिकी विदेश मंत्री ने आगे कहा, “तेहरान आतंकी संगठन के बडे़ नेताओं को पनाहगाह दे रहा है…उसने अल-कायदा को दुनिया भर में संबंध स्थापित करने के लिए धन जुटाने की अनुमति दी है ताकि वह उन सभी कार्यों को अंजाम दे सके जो वे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में करते थे।”

पोम्पिओ के इस आरोप पर ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने सोशल मीडिया पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। जरीफ ने दावों को ‘काल्पनिक डिक्लासिफिकेशन’ और ‘युद्ध को भड़काने वाला झूठ’ करार दिया।

देखा जाए तो ईरान एक शिया बहुल देश है और अल-कायदा एक सुन्नी संगठन है। ईरान को अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन का वैचारिक रूप से विरोधी माना जाता है। अल-कायदा इस्लाम के सुन्नी मान्यताओं का पालन करता है और पारंपरिक रूप से ईरान के कट्टर दुश्मन सऊदी अरब द्वारा कथित समर्थित रहा है।

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पोम्पिओ के आरोप के बारे में क्विंसी इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के उपाध्यक्ष ट्रिता पारसी का मानना है कि अमेरिका का ये आरोप अविश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि ईरान पर ट्रंप प्रशासन बहुत दबाव डाल रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सबूत मौजूद थे तो ट्रंप प्रशासन सामने पहले क्यों नहीं आया। उन्होंने यये भी रेखांकित किया कि यह दावा किया जा रहा है कि ईरान अल-कायदा का नया ठिकाना बन गया है, इस तरह से ट्रंप के सत्ता के आखिरी दिनों में प्रशासन ईरान पर हमला करने की इजाजत दे देगा। 2002 का एक कानून अमेरिकी सरकार को अल-कायदा के खिलाफ कांग्रेस की मंजूरी के बिना सैन्य अभियान चलाने की अनुमति देता है।

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