नई दिल्ली: कृषि कानून के विरोध में तीन निर्दलीय विधायकों का भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खट्टर सरकार पर सरकार पर खतरे का बादल मंडराने लगा है। जजपा ने किसान समर्थन के दम पर 10 सीटें जीती थी। अब किसानों और खाप पंचायतों का हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार गिराने का दबाव दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।
एक महीने में जजपा प्रमुख और प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला दो बार गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं। कल मंगलवार देर रात को अमित शाह के साथ बैठक के बाद खट्टर और चौटाला की बैठक हुई। बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने ये भी कहा था कि बैठक में उन्होंने राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में बातचीत की। लेकिन सच्चाई कुछ और है। यही वजह है कि आज चौटाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले हैं।
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माना जा रहा है कि जजपा अभी किसानों के दबाव में है। पार्टी के विधायकों पर प्रदर्शनकारी किसानों का लगातार दबाव बढ़ता जा रहा हैं। किसानों के समर्थन में पार्टी के चार असंतुष्ट विधायकों में पुंडरी से कलायत से ईश्वर सिंह, नारनोद से रामकुमार गौतम, शाहबाद से रामकरण काला और टोहाल से दवेंद्र बबली खुलकर भाजपा सरकार से गठबंधन तोड़ने की इच्छा जता चुके हैं।
विधायकों के असंतोष को देखते हुए मुख्यमंत्री खट्टर उन 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन पक्का करने के लिए उन्हें साधने पर लग हुए हैं। चारों विधायकों को साधने के लिए बिजली मंत्री रणजीत सिंह चोटाला ने अगुवाई करते हुए अपने आवास पर दोपहर भोज निमंत्रण दिया था। भोज में मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया था। भोज के बहाने खट्टर की विधायकों के साथकरीब दो घंटे तक बातचीत हुई।
खट्टर और चौटाला का दिल्ली दौरा इसलिए शुरू हुआ है क्योंकि हरियाणा के लगभग 70 गांवों ने किसान आंदोलन के समर्थन में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के मंत्रियों, विधायकों और भाजपा सांसदों का सामूहिक बहिष्कार कर दिया है। गांववालों ने इन मंत्रियों और विधायकों का अपने गांव में प्रवेश पर निषेध लगा दिया है। जिन गांवों ने ये प्रतिबंध लगाया है उसमें राज्य की जीटी रोड बेल्ट के अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत के नाम शामिल हैं।
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इसके अलावा जाटलैंड रोहतक, जींद, हिसार, भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद और दादरी के गांवों में भाजपा-जजपा विधायकों व मंत्रियों के प्रवेश पर रोक है। किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए बहुत-सी गांव पंचायतों के सरपंचों ने भी खुलकर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के बहिष्कार की घोषणा की है।
अंबाला से बीकेयू के वरिष्ठ नेता हरकेश सिंह ने बताया कि किसानों को मंगवार को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। दूसरी तरफ प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार भी किसानों के पक्ष में नहीं है इसलिए सामूहिक बहिष्कार का फैसला लिया गया है। उधर जींद सर्वखाप ने भी इसी बीच उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और सांसद ब्रिजेंद्र सिंह के बहिष्कार का एलान कर दिया है।
इसके अलावा आठ गांवों में कृषि मंत्री जे.पी. दलाल के निर्वाचन क्षेत्र लोहारु की एक खाप पंचायत ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दिया है। कुरुक्षेत्र में बीकेयू (चढूनी) ने खेल मंत्री और पिहोवा से विधायक संदीप सिंह को गांवों में गांव में प्रवेश न करने की हिदायत दी है। विधायकों और मंत्रियों का इस तरह से बहिष्कार की बात सामने आने के बाद गठबंधन के हाथ-पैर फूल गए हैं। वह भी ऐसे समय पर जब राज्य में पंचायत चुनाव सिर पर हैं।
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उम्मीद जताई जा रही थी कि जनवरी में पंचायत चुनाव होंगे लेकिन सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए अब अगले दो महीने तक टाले जाने की चर्चा है। गांवों में नेताओं के प्रतिबंध के पोस्टर लगने के बाद भाजपा का आगामी किसान महापंचायत कार्यक्रम भी खटाई में पड़ गया है। पिछले दिनों करनाल-कैमला में महापंचायत कार्यक्रम के दौरान हुए बवाल से प्रदेश सरकार डरी हुई है।
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