म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सैन्य गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए हैं। देश में दिन-ब-दिन हालात बद-से-बदतर हो रहे हैं। सुरक्षा बलों और क्षेत्रीय हथियारबंद गुटों के बीच झड़पों के बीच फिर से पलायन शुरू हो गया है। यह पलायन पड़ोसी देशों से लिए मुसीबत बनता जा रहा है। लोगों का झुंड पड़ोसी देशों की ओर आ रहा जिसके चलते भारत जैसे देशों के लिए संकट आ खड़ा हुआ है।
खासकर पूर्वोत्तर के मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर जैसे राज्यों में लोग सीमा पार कर पहुंच रहे हैं। ऐसे में समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। मगर अभी तक केंद्र सरकार के तरफ से इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया। ऐसे में म्यांमार सीमा से लगे मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर की सरकारें असमंजस में हैं।
शरणार्थियों के लिए मणिपुर की बीजेपी सरकार ने राहत शिविर खोलने से इंकार कर दिया था पर आलोचना के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है। अब तक तीन हजार से लोग सीमा पार कर इलाके में पहुंच चुके हैं।

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दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र (यूएन) कार्यालय की ओर से बुधवार को म्यांमार के मौजूदा हालात पर एक अपडेट जारी किया गया। अपडेट में बताया है कि हिंसा की वजह से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
अपने अपडेट में यूएन एजेंसी ने उन अपुष्ट खबरों का ज़िक्र किया है जो बताती हैं कि मध्य म्यांमार के ‘कायिन’ और ‘बागो’ प्रान्तों में लड़ाई से बचने के लिए हजारों लोग घर-बार छोड़कर पलायन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि म्यांमार के मध्य में स्थित मॉन प्रान्त के एक इलाके में गोलीबारी में एक चिकित्सा केंद्र क्षतिग्रस्त हो गया है।
🇹🇱/🇮🇩 Heavy rains and flash floods hit #TimorLeste and #Indonesia
— UN OCHA Asia Pacific (@OCHAAsiaPac) April 6, 2021
🇲🇲 Civilians caught in clashes between the #Myanmar Armed Forces (MAF) and the Karen National Union (#KNU)
🇵🇭Ongoing response for 66,000 people displaced in #Maguindanao, #Philippines
↘️https://t.co/H7TzQi9TXI https://t.co/XOogpvXsD7
माना जा रहा है कि म्यांमार सशस्त्र बलों और कैरेन नेशनल यूनियन के अंधाधुंध झड़पों और तख्तापलट के बाद से बढ़ती असुरक्षा के चलते दो प्रान्तों में लगभग सात हजार से अधिक लोगों के विस्थापित होने का अनुमान है।
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यूएन कार्यालय ने बताया, “संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी जमीन पर कार्यरत साझीदारों के साथ सम्पर्क में है, ताकि विस्थापितों के लिए महत्वपूर्ण मानवीय राहत सहायता और समर्थन पहुंचाए जाने की सम्भावनाओं को तलाश किया जा सके।” कार्यालय का आगे कहना है, “इलाके में टकराव बढ़ने के भय की वजह से, 27 मार्च से कायिन प्रान्त में तीन हजार 848 लोगों ने थाईलैंड की सीमा को पार किया है।”

वहीं, थाई अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकांश लोगों की म्यांमार वापसी हो गई है, जबकि 1,167 लोग अभी भी थाईलैंड में हैं।
देखा जाए तो म्यांमार में तख्तापलट के बाद आम जन-जीवन पर भारी असर पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने उन रिपोर्टों का उल्लेख किया है जिनके मुताबिक, 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलटके बाद से अब तक महिलाओं, बच्चों और पुरुषों समेत 568 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, इससे अधिक होने की आशंका जताई गई है।
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म्यांमार के तामू जिले से भागकर भारत आई कुछ महिलाओं का कहा कि रात को सेना के उनके घरों में घुस आते हैं। बलात्कार करते हैं और हत्या कर देते हैं। बाग कर आए लोगों का कहन है कि उनके पास वहां से भाग जाने का मौका था और उन्होंने वैसा ही किया। हो सकता है फिर यह मौका कभी न आए। एक महिला ने बताया कि कि जब से म्यांमार में हिंसा शुरू हुई है तब से वे अपने घरों में रहने में डरने लगे और कई बार उन्हें जंगल में छिपकर रातें गुजारनी पड़ी।
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