बाबरी मस्जिद के तर्ज पर ज्ञानवापी मस्जिद का भी पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश

बाबरी मस्जिद के तर्ज पर ज्ञानवापी मस्जिद का भी पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में अदालत ने बाबरी मस्जिद की तर्ज पर पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया है। साल 1991 से चल रहे इस मामले में वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 2019 दिसंबर से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने को लेकर कोर्ट में बहस चल रही थी।

फार्स्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने ज्ञानवापी मस्जिद केस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि सर्वे कराकर आख्या प्रस्तुत किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।

अब कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को अपने खर्चे पर खुदाई करने का निर्देश दिया है। अदालत ने ऑब्जर्वर के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने का भी आदेश दिया है।

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उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने दिसंबर 2019 में सिविल जज की अदालत में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के तरफ से एक अर्जी डाली थी। अर्जी में ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था। रस्तोगी ने स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के ‘वाद मित्र’ के रूप में याचिका दायर की थी।

बाबरी मस्जिद के तर्ज पर ज्ञानवापी मस्जिद का भी पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश

इसके बाद अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने जनवरी 2020 में सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर कोर्ट में प्रतिवाद दाखिल किया। पहली बार 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की तरफ से ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी।

याचिकाकर्ता विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि लगभग 2,050 साल पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, पर मुगल सम्राट औरंगजेब ने सन् 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया।

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रस्तोगी की दलील है कि विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया था जिसे मंदिर भूमि पर निर्मित ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। याचिकाकर्ता ने अदालत से मंदिर की जमीन से मस्जिद को हटाने का निर्देश जारी करने और मंदिर ट्रस्ट को अपना कब्जा वापस देने का अनुरोध किया था।

उधर, सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के वकील अभय नाथ यादव ने कहा है कि वह फैसले से संतुष्‍ट नहीं हैं और वो इसे हाइकोर्ट में चुनौती देंगे। बताते चलें कि इसी मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हाइकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। दोनों पक्षों के तरफ इस मामले में बहस भी पूरी हो चुकी है, इस पर हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।


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