राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने आंदोलन से खुद को किया अलग, टिकैत पर लगाया आरोप

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने आंदोलन से खुद को किया अलग, टिकैत पर लगाया आरोप

गणतंत्र दिवस के दिन किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए बवाल और हिंसा के बाद किसान आंदोलन में अब फूट पड़ गई है। खबरों के मुताबिक, राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने आज अपना आंदोलन खत्म कर दिया। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.एम. सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर कई गंभीर आरोप भी लगाएं।

साथ ही उन्होंने कहा कि खुद को और अपने संगठन को इस आंदोलन से अलग करने का फैसला किया है। उन्‍होंने कहा कि हम अपना आंदोलन यहीं खत्‍म करते हैं। हमारा संगठन इस आंदोलन से अलग होता है।

हालांकि, वी.एम. सिंह की बात पर संयुक्‍त किसान मोर्चे के एक प्रमुख नेता ने कहा, “उनको तो पहले ही मोर्चे ने खुद से अलग रखा हुआ है। संयुक्‍त किसान मोर्चे के तहत जो भी संगठन आंदोलन कर रहे हैं, वह शांतिपूर्वक अपना आंदोलन करते रहेंगे।”

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जानकारी के मुताबिक, किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार दोपहर के बाद बैठक बुलाई थी। मोर्चा की बैठक से पहले पंजाब के 32 संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच भी सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई।

वी.एम. सिंह ने कहा कि टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई। धान खरीफ की कोई बात नहीं की। हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो

वी.एम. सिंह ने राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा, “हम लोगों को पिटवाने के लिए यहां नहीं आए हैं। हम देश को बदनाम करना नहीं चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है।”

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सिंह ने कहा, “सरकार की भी गलती है, जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी।”

उन्होंने कहा, “हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं। ITO में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।”

उधर राकेश टिकैत ने अपने ऊपर लगे आरोप पर कहा है, “मैं पहले ही किसानों की सारी जिम्‍मेवारी ले चुका हूं। जिसको गाजीपुर छोड़ना है वह छोड़ दे। दो महीने तक यहां क्‍यों डटे थे? जब पुलिस का डंडा पड़ा तो भाग गए। जब नेतागिरी करनी थी तो करते रहे, लेकिन एफआईआर दर्ज हो गई तो आंदोलन छोड़कर भाग गए। आंदोलन को कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है।”

वहीं किसान मजदूर संघर्ष समिति के जनरल सचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमारा कार्यक्रम दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर था, वहां पर जाकर हम लोग वापस आ गए। हमारा न तो लाल किले का कार्यक्रम था, न ही झंडा फहराने का था। जिन लोगों ने ये काम किया हम उनकी निंदा करते हैं। जिसने भी ये काम किया वो दोषी है। दीप सिद्धू की फोटो पीएम के साथ भी आ रही है। हमें इन पर शक है। अब दीप सिद्धू जी किधर से लाल किले के पास गए और कहां से वापस आए। जिन लोगों ने ऐसा किया उन्हें चिंहित किया जाएगा। ये सब किसान मजदूर को बदनाम करने के लिए किया गया है।”

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दूसरी तरफ अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, “किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी। हमें डर था कि कोई साजिश कामयाब न हो जाए मगर आखिर में साजिश कामयाब हो गई। लाल किले में बिना किसी सांठगांठ के कोई नहीं पहुंच सकता। इसके लिए किसानों को बदनाम करना ठीक नहीं है।” मालूम हो कि सिंघु बॉर्डर पर पिछले करीब दो महीने से कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा था।

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