रोजा रखने का आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है? जानें एक्सपर्ट्स व्यू

रोजा रखने का आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है? जानें एक्सपर्ट्स व्यू

दुनियाभर के मुसलमान हर साल रमजान के महीने में 30 दिन, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं। अमूमन 11 से 14 घंटे तक लोग रमजान में रोजा रखते हैं। लेकिन हाल के दिनों में उत्तरी गोलार्ध में रमजान गर्मियों पड़ने लगा है इसलिए आइसलैंड, नीदरलैंड, नार्वे और डेनमार्क में सबसे लम्बा रोजा रखा जा रहा है। इन देशों में लगभग 15 से 22 घंटे तक के बीच रोदा रखना होता है।

अब सवाल उठता है कि रोजा रखने का इंसानी शरीर पर क्या असर पड़ता है और यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा है? चलिए एक महीने के रोजे को हिस्सों में बांटकर देखते हैं कि इसका आपके शरीर पर कब और क्या प्रभाव पड़ता है।

रोजा रखने का आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है? जानें एक्सपर्ट्स व्यू

रोजेदार का शुरुआती दिन

तकनीकी तौर पर आखिरी बार खाना खाने के तकरीबन आठ घंटे बाद तक आपका शरीर उपवास की स्थिति में नहीं जाता है। यह आपकी आंत के भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने का समय होता है। लेकिन आठ घंटे या उसके कुछ समय बाद, हमारा शरीर लीवर में जमा ग्लूकोज और मांसपेशियों से ऊर्जा पाने लगता है।

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रोजा के दौरान या बाद ग्लूकोज के भंडार खत्म होने के बाद शरीर के लिए ऊर्जा का अगला स्रोत बनता है वसा। वसा जब शरीर से कम होने लगता है तो इससे वजन घटता है, कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटती है और यह डायबिटीज के जोखिम को भी कम करता है।

हालांकि, कुछ परिस्थितियों में ब्लड शुगर का लेवल कम होना शारीरिक कमजोरी और सुस्ती का कारण बन सकती है। जिसके चलते सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह तब होता है जब भूख अपने सबसे तीव्र स्तर को छूता है।

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रोजेदार का 3 से 7 दिन

ग्यारह महानों तक शरीर नॉर्मल स्थिति में रहने के बाद उपवास के पेरियड में दाखिल होता है तो कुछ समय तक मुश्किल महसूस होता हैं। लेकिन जैसे ही आपका शरीर रोजा का अभ्यस्त होने लगता है, वसा टूटने लगते हैं और ब्लड शुगर में बदलने लगते हैं सब कुछ सामान्य होने लगता है। शुरुआती दिनों में कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है।

शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए दो रोजों के बीच के वक्त में पानी पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो पसीना निकलने की स्थिति में शरीर में पानी की कमी महसूस हो सकती है। आपके खाने में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेड और कुछ वसा जैसे एनर्जी फूड होने चाहिए। इस दौरान कुछ प्रोटीन, नमक और पानी से संबंधित संतुलित आहार का लेना चाहिए।

रोजेदार का 08 से 15 दिन

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एक हफ्ते बाद तीसरा चरण शुरू होता है। इस चरण के आने तक आपको अपनी मनोदशा में सुधार दिखने लगेगा। क्योंकि तब तक आपके शरीर को रोजा रखने की आदत पड़ जाती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि, हम रोजाना अपने दैनिक जीवन में बहुत अधिक कैलरी कंज्यूम करते हैं इसलिए यह आपके शरीर को अन्य कार्यों को करने से रोक सकता है, जैसे कि खुद की मरम्मत करना।

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उनका मानना है कि रमजान के दौरान शरीर के मरम्मत का काम किया जा सकता है ताकि शरीर दूसरे कार्यों पर ध्यान दे सके। रोजा शरीर को स्वस्थ बनाने, संक्रमण रोकने और इससे लड़ने के लिए शरीर को बुस्ट करता है।

रोजेदार का 16 से 30 दिन

आपका शरीर रमजान के आखिरी आधे हिस्से यानी दो सप्ताह के दौरान उपवास के अनुकूल ढल जाता है। इस दौरान आपका लीवर, किडनी, मलाशय और स्किन डीटॉक्सिफिकेशन के दौर से गुजरता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्वास्थ्य के मामले में इस चरण में शरीर के अंगों को कार्य करने की अधिकतम क्षमता पर लौट आता है। आपकी याददाश्त और एकाग्रता बढ़ सकती है। और आप पहले से अधिक एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं।

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उनका कहना है कि आपके शरीर को ऊर्जा के लिए प्रोटीन का रुख नहीं करना चाहिए। यह वो वक्त है जब वह भुखमरी के मोड़ में आने लगता है और ऊर्जा के लिए आपकी मांसपेशियों का इस्तेमाल करने लगता है। यह तब होता है जब आपका उपवास कई दिनों या हफ्तों तक चलता रहता है।

रमजान में चूंकि रोजा केवल सुबह से शाम तक चलता है, इसलिए हमारे पास ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों और तरल पदार्थों से खुद को भरने का पर्याप्त अवसर होता है। यह मांसपेशियों को बरकरार रखता है पर साथ ही यह वजन घटाने में भी मददगार साबित होता है।

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमारे शरीर के लिए उपवास काफी अच्छा है। क्योंकि इससे हमें क्या और कब खाते हैं, इस पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। हालांकि, एक महीने का रोजा तो ठीक है पर उससे अधिक उपवास रखना सही नहीं माना जाता है।

जानकारों का कहना है कि लगातार उपवास रखना लंबे समय तक वजन घटाने के लिए अच्छा साधन नहीं है। क्योंकि अंत में आपका शरीर वसा को ऊर्जा में बदलने के प्रक्रिया को रोक देगा। और इसके बजाय उन्हें मांसपेशियों में बदल देगा। यह अस्वास्थ्यकर है और इसका मतलब है कि आपका शरीर अब ‘भुखमरी मोड’ में जा रहा है।

हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि रमजान के अलावा कुछ अवधि का उपवास या 5:2 डाइट (स्वस्थ खाने के दिनों के बीच, हफ्ते में कुछ दिनों के लिए उपवास) एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है। उनका ये भी मानना है कि रमजान के दौरान सही तरीके से रखा गया रोजा, आपको हर दिन अपने शरीर में ऊर्जा भरने की अनुमति देता है, जिसका मतलब यह हो सकता है कि आप अपने शरीर में महत्वपूर्ण मांसपेशियों को जलाए बिना अपना वजन कम कर सकते हैं।


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