भारत में हिजाब विवाद और धर्म संसद पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने जताई चिंता

भारत में हिजाब विवाद और धर्म संसद पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने जताई चिंता

हिजाब को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। लेकिन अब ये मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुल पकड़ लिया है। दरअसल, इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) ने भारत सरकार के हिजाब को लेकर रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है।

OIC ने सोमवार को हरिद्वार में हुए धर्म संसद, कर्नाटक में हिजाब विवाद और मुसलमानों के खिलाफ भारत में बढ़ रहे नफरत को लेकर चिंता जाहिर की। संगठन के महासचिव की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ”OIC के महासचिव ने भारत के हरिद्वार में हिन्दुत्व के झंडाबरदारों की ओर से मुसलमानों के जनसंहार की अपील और सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर चिंता जताई है। कर्नाटक में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध भी चिंताजनक है।

इतना ही नहीं OIC महासचिव ने ये भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार परिषद को इस मामले पर जरूरी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, “OIC के महासचिव ने भारत से आग्रह किया है कि वह मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसके साथ ही मुसलमानों की जीवन शैली की भी रक्षा होनी चाहिए। मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिए।”

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कश्मीरी पत्रकार आदित्य राज कौल ने OIC के बयानों को लेकर ट्वीट किया है। कौल ने लिखा है, ”क्या OIC मुस्लिम महिलाओं के साथ केवल पीछे ले जाने वाले रिवाजों का समर्थन कर ही खड़ा रह सकता है? जब मुस्लिम लड़कियां अतिवादियों पर सवाल उठाती हैं और उनका उत्पीड़न होता है, तब OIC कहाँ रहता है? कश्मीर में अरूसा परवेज़ के बारे में सुना है?”

दूसरी तरफ, पाकिस्तान ने OIC के बयान को हाथों-हाथ लिया है। पाकिस्तान में सोशल मीडिया और वहां के मीडिया ने इस खबर तो प्रमुखता से जगह दी है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के रिपोर्टर तारिक नकाश ने OIC पर तंज करते हुए उसके ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ”क्या आप ज़िंदा हैं?” पाकिस्तान के कुछ लोगों ने लिखा है कि केवल बयान जारी करने से नहीं होगा।

उधर, विदेशों से आई प्रतिक्रिया को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी जवाब दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी कर कहा, ”कर्नाटक के कुछ शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड का मामला प्रदेश के हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र के साथ ही लोकतांत्रिक स्वभाव और नीति के जरिए इस मुद्दे का समाधान होगा। जो भारत को ठीक से जानते हैं, उन्हें सच्चाई पता है। हमारे आंतरिक मुद्दों पर राजनीति से प्रेरित टिप्पणियां स्वागत योग्य नही हैं।”

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अमेरिका के इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (IRF) ने भी कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद पर शुक्रवार को बयान जारी किया था। IRF ने कहा था कि कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और इससे मुस्लिम महिलाएं मुख्यधारा से कट जाएंगी। कर्नाटक में हिजाब को लेकर अब भी विवाद चल रहा है।

जैसा कि मालूम है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में छात्रों के क्लासरूम में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दी है। इसे लेकर भारत के भीतर कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है।

इससे पहले OIC ने कश्मीर को लेकर भी बयान जारी किया था। बीते सितंबर महीने में OIC ने कश्मीर को लेकर कहा था कि वहां के लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। भारत ने OIC के बयान पर कहा था कि वह कश्मीर की सच्चाई नहीं जानता है इसलिए अपने मंच का दुरुपयोग किसी ख़ास देश के लिए ना होने दे।

हिजाब विवाद और धर्म संसद पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने जताई चिंता

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पिछले साल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए कंट्रीज ऑफ पर्टीकुलर कंसर्न (CPC) की सूची जारी की थी। धार्मिक आज़ादी का आकलन करने वाले एक अमेरिकी पैनल ‘यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम’ की इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया था।

CPC की ओर से जारी सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया था। हर साल अमेरिका ऐसे देशों और संगठनों की लिस्ट जारी करता है जो अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। साथ ही अमेरिका ने अल्जीरिया, कोमोरोस, क्यूबा और निकारागुआ को विशेष निगरानी सूची में रखा था, जो कथित तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में शामिल हैं।

हालांकि, धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर काम करने वाले अमेरिकी कमीशन की सिफ़ारिश के बावजूद CPC लिस्ट में भारत को शामिल नहीं करने पर कई लोग सवाल भी खड़े कर रहे थे। आयोग ने अपने बयान में कहा था, ”साल 2020 में धार्मिक आज़ादी के आकलन के बाद CPC सूची के लिए चार देशों के नाम विदेश मंत्रालय को सुझाए गए थे, जिनमें- भारत, रूस, सीरिया और वियतनाम शामिल हैं, लेकिन रूस को छोड़ कर इनमें से किसी देश को सूची में शामिल नहीं किया गया।”

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दरअसल, OIC के दुनियाभर के 57 मुसलमान बहुल देश सदस्य हैं। इस संगठन पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा रहा है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बनाए रखते हुए मुसलमानों के हितों की सुरक्षा करना है। इस समूह के सदस्य केवल मुस्लिम देश ही हो सकते हैं। सदस्य देशों के अलावा रूस, थाईलैंड और कुछ दूसरे छोटे देशों को आब्जर्वर का स्टेट्स मिला हुआ है।


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