राफेल विमान खरीद को लेकर भारत में हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। इसमें अब नया मोड़ सामने आया है। दरअसल, इंडोनेशिया को लड़ाकू राफेल जेट विमान भारत से सस्ते में मिलने वाली है। इंडोनेशिया को फ्रांस छह अधिक देगा, उतने से कम पैसे में जितने में भारत ने डील की। 42 फाइटर जेट्स के लिए इंडोनेशिया के साथ डील 8.1 अरब डॉलर में हुई है, जबकि भारत ने 36 राफेल विमान (साल 2016 में) 8.7 अरब डॉलर में खरीदे थे।
जैसाकि मालूम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने जनवरी 2016 में डसॉल्ट के बनाए राफेल लड़ाकू जेट की खरीद को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर साइन किया था। वैसे, कुछ महीने पहले (पेरिस यात्रा के दौरान) भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि उनकी सरकार फौरी तैनाती के लिए 36 जेट खरीदेगी।
मोदी सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 2016 में फ्रांस के साथ सौदा किया था।
— Congress (@INCIndia) February 13, 2022
लेकिन देशवासियों को यह बात समझ नहीं आ रहा है कि जो राफेल मोदी सरकार ने महंगे में खरीदा, वह इंडोनेशिया की सरकार सस्ते में कैसे खरीद रही है। pic.twitter.com/bjCDUcGmAo
डील के मुताबिक, सितंबर 2018 की शुरुआत तक इन्हें डिलीवर किया जाना था, जिनकी लागत 7.8 बिलियन यूरो थी। भारत को इसके अलावा स्पेयर पार्ट्स और यूरोपीय कंपनी एमबीडीए (MBDA) की बनाई उल्का मिसाइल (Meteor Missile) भी मिलने की बात थी।
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डील की एक और शर्त यह भी थी कि फ्रांस को भारत में विमान के कुछ हिस्सों के प्रोडक्शन के लिए करीब आठ बिलियन यूरो का 20 फीसदी इन्वेस्ट करना होगा। 30% का इस्तेमाल एयरोनॉटिक्स और डिफेंस में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए किए जाने की बात भी थी।
उधर ताजा डील से जुड़े बयान के मुताबिक, इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सेना वायु सेना के आदेश में एयरक्रू ट्रेनिंग, कई हवाई अड्डों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट (सैन्य सहायता) और दो फुल-मिशन सिमुलेटर से लैस एक ट्रेनिंग सेंटर भी है।

आगे कहा गया “हमारा 42 राफेल विमान खरीदने का प्लान है। हमने आज छह विमानों के साथ शुरुआत की। जल्द ही बाकी 36 विमानों के साथ वेपन ट्रेनिंग (हथियार संबंधी प्रशिक्षण) और सिमुलेटर के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा।”
डसॉल्ट ने सेल्स के बारे में टेक्नोलॉजी डील्स के ऑफसेट और ट्रांसफर के लिए इंडोनेशियाई राज्य विमान निर्माता दिर्गंतारा इंडोनेशिया के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। ऑफसेट सौदे में अक्सर विमान बेचने वाला देश शामिल होता है।
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उल्लेखनीय है कि बीते नवम्बर महीने में एक फ्रेंच मैगजीन ने राफेल डील को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया था। फ्रांसीसी ऑनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट ने दावा किया था कि CBI और ED को बिचौलिये के घूस लेने की जानकारी थी। इस घूस में 65 करोड़ रुपये दिए गए थे।
मीडियापार्ट ने फेक इनवॉयस पब्लिश कर कहा था कि फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन ने इस डील के लिए भारतीय बिचौलिए को कम-से-कम 65 करोड़ रुपये दिए गए। ताकि कंपनी, भारत के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा हासिल कर सके।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये पैसे डसॉल्ट कंपनी ने भारतीय बिचौलिया सुशेन गुप्ता को दिए थे। जिसकी जानकारी CBI और और ED दोनों को थी। लेकिन इन एजेंसियों ने इस मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया।
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