अब हेडफोन की जरूरत नहीं, इस ब्रेन चिप से संगीत सीधे आपके दिमाग तक पहुंचेगा

अब हेडफोन की जरूरत नहीं, इस ब्रेन चिप से संगीत सीधे आपके दिमाग तक पहुंचेगा

नई दिल्ली: टेस्ला, इंक एक अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन और वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी है। यह कैलिफोर्निया प्रांत के पालो ऑल्टो में स्थित है। आज कल के युवा कंपनी के मालिक एलन मस्क से खासे प्रभावित हैं। दरअसल, इस कंपनी की खबर को सुचना क्रांति से जोड़कर देखा जाता है। यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर काम करती है।

टेस्ला इन दिनों न्यूरालिंक ब्रेन इम्प्लांट तकनीक पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि अगर टेस्ला के सीईओ एलन मस्क का प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो दुनिया से हेडफोन जैसी चीज खत्म हो जाएगी। एलन मस्क एक प्रोजेक्ट को फंड कर रहे हैं जिसका नाम है-न्यूरालिंक।

डिप्रेशन से छुटकारा

इस प्रोजेक्ट तहत एक ऐसा कम्प्यूटर बनाया जा रहा है, जो एक छोटे से चिप के बराबर होगा और इंसानी दिमाग में फीट होगा। मस्क ने जाने-माने कम्प्यूटर वैज्ञानिक ऑस्टिन हॉवर्ड से ट्विटर पर बातचीत के दौरान दावा किया कि कंपनी द्वारा बनाई गई यह डिवाइस संगीत को सीधे दिमाग तक पहुंचा देगी। यह भी दावा किया गया है कि ये डिवाइस किसी भी प्रकार की लत और डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में भी बेहद मददगार साबित हो सकती है।

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कब होगा लॉन्च

यह एक इंच होगा जिसे सर्जरी कर इम्प्लांट करवाया जा सकता है। माना जा रहा है कि इसे 28 अगस्त को कंपनी लान्च कर सकती है। बता दें कि एलन मस्क ने साल 2016 में न्यूरालिंक नामक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसके तहत अत्यंत बारीक और लचीले थ्रेड्स डिजाइन किए गए हैं, जो इंसान के बाल की तुलना में दस गुना पतले हैं और इसे सीधे दिमाग में इम्प्लांट किया जा सकता है।

हजारों माइक्रोस्कोपिक थ्रेड से यह चिप जुड़ी होगी। मस्क का दावा है इस ब्रेन कम्प्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी की मदद से कई तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। साथ ही यह डिवाइस लकवाग्रस्त और रीढ़ की चोट के इलाज के लिए वरदान साबित होगी।

बंदरों और चूहों पर परीक्षण

मस्क से जब एक ट्विटर यूजर प्रणय पथोले ने पूछा कि क्या न्यूरालिंक का इस्तेमाल दिमाग के उस हिस्से को फिर से प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है, जो किसी भी तरह के व्यसन या डिप्रेशन पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं? तो इसके जवाब में मस्क ने कहा, “हां, बिल्कुल। साथ ही इस तकनीक को अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। बंदरों और चूहों पर सफल परीक्षण के बाद इसका इंसानी परीक्षण अंतिम दौर में है।”

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इंसानों के दिमाग में न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी ‘अल्ट्रा थिन थ्रेड्स’ के जरिए इलेक्ट्रॉड्स इम्प्लांट करने से संबंधित है। ये इंसान के दिमाग की स्किन में चिप और थ्रेड्स के जरिए कनेक्टेड होंगे। यह चिप रिमूवेबल पॉड से लिंक्ड होंगे, जिन्हें कानों के पीछे फिट किया जाएगा। और बिना तार के दूसरे डिवाइस से कनेक्ट किया जाएगा। इसके जरिए दिमाग के अंदर की जानकारी सीधे स्मार्टफोन या फिर कम्प्यूटर में दर्ज होगी।

लेकिन यहां ये बताना जरूरी है कि RFID चिप की तरह से एलन मस्क के प्रोजेक्ट पर भी कई विद्वानों की अलग राय है। उनका मानना है कि ये इंसानी स्वतंत्रता को बाध्य करेगा और इसके जरिए इंसान को मशीन की तरह से इस्तेमाल किया जाएगा।

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