धर्म संसद पर नसीरुद्दीन शाह बोले- हममें से 20 करोड़ मुसलमान इतनी आसानी से नहीं नष्ट होने वाले

धर्म संसद पर नसीरुद्दीन शाह बोले- हममें से 20 करोड़ मुसलमान इतनी आसानी से नहीं नष्ट होने वाले

फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह सोशल इश्यू के मुद्दों पर बेबाक तरीके से अपना पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं। अल्पसंख्यकों को लेकर दिए जा रहे हेट स्पिच के संबंध में उन्होंने कहा है कि जो मुसलमानों के जनसंहार के लिए कह रहे हैं, वे गृह युद्ध कराना चाहते हैं।

नसीरुद्दीन शाह ने ये बातें जाने-माने पत्रकार करण थापर को ‘द वायर’ के लिए दिए एक इंटरव्यू में कहा। फिल्म अभिनेता ने हरिद्वार धर्म संसद पर विस्तार से बात की। जैसा कि मालूम है कि हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित एक धर्म संसद में मुसलमानों के जनसंहार की अपील की गई थी।

जब नसीरुद्दीन शाह से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”अगर इन्हें पता है कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं, तो मैं हैरान हूँ। ये एक गृह युद्ध के लिए अपील कर रहे हैं। हममें से 20 करोड़ लोग इतनी आसानी से नष्ट होने वाले नहीं हैं। हम 20 करोड़ लोग लड़ेंगे।”

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उन्होंने आगे कहा, “हम 20 करोड़ लोगों के लिए यह मातृभूमि है। हम 20 करोड़ लोग यहीं के हैं। हमारा यहाँ जन्म हुआ है। हमारे परिवार और कई पीढ़ियां यहीं रहीं और इसी मिट्टी में मिल गईं। मैं इस बात को लेकर निश्चिंत हूँ कि अगर इस तरह का कोई अभियान शुरू होता है तो कड़ा प्रतिरोध होगा और लोगों का गुस्सा फूट पड़ेगा।”

नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है। यह मुसलमानों के बीच डर पैदा करने की कोशिश है, लेकिन मुसलमान हार नहीं मान लेंगे। मुसलमान इसका सामना करेंगे क्योंकि हमें अपना घर बचाना है, हमें अपनी मातृभूमि बचानी है, हमें अपना परिवार बचाना है, हमें अपने बच्चों को बचाना है। मैं मज़हब की बात नहीं कर रहा। मज़हब तो बहुत आसानी से ख़तरे में पड़ जाता है।”

धर्म संसद पर नसीरुद्दीन शाह बोले- हममें से 20 करोड़ मुसलमान इतनी आसानी से नष्ट होने वाले नहीं

फिल्म अभिनेता ने कहा, “मुसलमानों को हाशिए पर डालने की कोशिश ऊपर से हो रही है। यह मुसलमानों को असुरक्षित महसूस कराने की संगठित कोशिश है। यह शीर्ष से किया जा रहा है। सत्ताधारी पार्टी के लिए अलगाववाद नीति बन गया है। मैं यह देखने को उत्सुक था कि जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया, उनका क्या होगा। लेकिन यह सच है कि कुछ नहीं हुआ। हालाँकि, यह हैरान करने वाला नहीं है क्योंकि उसके साथ भी कुछ नहीं हुआ जिसके बेटे ने किसानों को कुचला था।”

उन्होंने फिर कहा कि वे सरकार के रवैये से हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा, ”निश्चित तौर पर यह पूरी तरह से हैरान करने वाला नहीं है। यह निराशाजनक है लेकिन कमोबेश हमें यही उम्मीद थी। लेकिन चीज़ें जिस तरह से आ रही हैं वो मेरी आशंकाओं से भी बदतर हैं। इस तरह के उकसावों पर हमारा नेता ख़ामोशी ओढ़ लेता है।”

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उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के कई जाने-माने वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर हरिद्वार धर्म संसद मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है। उन सभी ने हरिद्वार के अलावा दिल्ली में भी आयोजित एक कार्यक्रम के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है, जिसमें मुसलमानों के नरसंहार की बात कही गई है।

वकीलों ने कहा है कि इन दो कार्यक्रमों के वीडियो सार्वजनिक हैं और इनमें नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मुख्य न्यायधीश को लिखे पत्र पर कुल 76 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें कहा गया है कि यह केवल भाषण का मामला नहीं है बल्कि एक समुदाय के लोगों की हत्या करने की खुलेआम अपील की गई है।

पत्र में ये कहा गया है कि इससे न केवल देश की एकता और अखंडता को खतरा है बल्कि लाखों मुसलमानों की जान भी खतरे में है। वकीलों का कहना है कि नफरत फैलाने वालों के खिलाफ पहले भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है इसलिए अब तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, सलमान ख़ुर्शीद, राजू रामचंद्रन, पीवी सुरेंद्रनाथ, शालिनी गेरा और नयनतारा रॉय शामिल हैं।


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